Thursday, March 28, 2024
Homeदेश-समाज'तलाक-ए-सुन्नत' खत्म कराने सुप्रीम कोर्ट पहुँची मुस्लिम महिला, जानिए कैसे तीन तलाक से है...

‘तलाक-ए-सुन्नत’ खत्म कराने सुप्रीम कोर्ट पहुँची मुस्लिम महिला, जानिए कैसे तीन तलाक से है अलग: दिल्ली हाई कोर्ट में एक से अधिक निकाह का मामला

तलाक-ए-सुन्नत एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें शौहर अपनी बीवी को एक बार में तलाक न देकर उसे तीन महीनों में धीरे-धीरे देता है। इस दौरान यदि शौहर और बीवी के बीच की समस्या सुलझती है तो समझौते की गुंजाइश रहती है। इसी तरह इस्लाम में बहुविवाह भी सामान्य चीज है। इस्लामी कानून के तहत चार निकाह इस्लाम में जायज हैं।

इस्लामी प्रथाओं के कारण मुस्लिम महिलाओं के साथ होती आई नाइंसाफी के खिलाफ अब समुदाय की महिलाओं ने धीरे-धीरे आवाज उठानी शुरू की है। हाल ही की खबरें हैं कि दिल्ली हाई कोर्ट में बहुविवाह से पहले बीवी की इजाजत और सुप्रीम कोर्ट में तलाक-ए-सुन्नत को असंवैधानिक घोषित कराने के लिए याचिका डाली गईं थीं। दिलचस्प बात ये है कि ये याचिकाएँ उसी दौरान चर्चा में आईं जब देश में समान नागिरक संहिता लागू कराने की माँग भी जोरों पर है और केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा है कि भाजपा शासित राज्यों में इसे लागू किया जा सकता है।

तलाक-ए-सुन्नत को असंवैधानिक कराने की माँग

सुप्रीम कोर्ट में महिला पत्रकार बेनजीर हीना द्वारा जिस ‘तलाक-ए-सुन्नत’ के विरुद्ध याचिका डाली गई है। वो किसी मुस्लिम व्यक्ति को ये अधिकार देता है कि वो अपनी बीवी को बेवजह तलाक दे सके। यह प्रक्रिया एक बार में लागू नहीं होती। इसे रिकवरेबल तलाक भी कहा जाता है। इसमें पुरुष एक महीने में एक बार तलाक कहता है। तीसरे तलाक कहने तक अगर दोनों के संबंध सुधर जाते हैं तो इस रूप में शौहर-बीवी के बीच समझौते की संभावना बनी रहती है। जबकि ट्रिपल तलाक एक बार में ही दिया जाता है। इसीलिए ये तलाक-ए -सुन्नत और ट्रिपल तलाक दो अलग चीजें हैं। 

शिया और सुन्नी दोनों इसे अमल में लाते हैं। जिस महिला ने इसे असंवैधानिक घोषित कराने के लिए न्यायलय का दरवाजा खटखटाया है वो खुद भी तलाक-ए-सुन्नत की पीड़िता है। याचिकाकर्ता के अनुसार, उन्हें उनके ससुराल वालों ने पहल दहेज न मिलने पर यातनाएँ दीं। बाद में शौहर ने भी तलाक-ए-सुन्नत का नोटिस भेज दिया। उन्होंने ये भी बताया कि कैसे तमाम घटनाओं का उल्लेख करते हुए उन्होंने दिल्ली महिला आयोग से शिकायत की थी और एफआईआर भी दर्ज की थी। मगर उन्हें जवाब मिला कि ये शरीया कानून के अनुसार सही है।

बहुविवाह के खिलाफ मुस्लिम महिला की आपत्ति

इसी तरह इस्लाम में 4 निकाह करने को मान्यता प्राप्त है। कई कट्टर मौलाना इसके लिए मुस्लिम पुरुषों को प्रेरित करते हैं और ऐसे दर्शाया जाता है कि समाज कल्याण के लिए किया जाने वाला कार्य है।ऐसे में रेशमा ने इस प्रथा के विरुद्ध आवाज उठाते हुए दिल्ली हाई कोर्ट में अपनी याचिका डाली थी और माँग की थी कि बहुविवाह करने से पहले ये अनिवार्य किया जाना चाहिए कि पुरुष अपनी पत्नी से अगले निकाह की इजाजत ले। इसके अलावा यह भी सुनिश्चित हो कि व्यक्ति नई बीवी के लिए घर और उसकी जरूरतें पूरी करने में सक्षम है या नहीं। उसे अगला निकाह करने से पहले न्यायिक अधिकारी का प्रमाण पत्र अनिवार्य किया जाए जिसमें वो बताए कि वो अपनी सारी बीवियों के साथ समान व्यवहार करेगा। इस्लामी कोड के तहत होने वाली शादियों के पंजीकरण अनिवार्य किए जाने की माँग भी याचिका में उठाई गई थी।

मुस्लिम महिलाओं के हित में केंद्र ने लिया फैसला

बता दें कि इस्लाम में ट्रिपल तलाक, तलाक-ए-सुन्नत, हलाला, बहुविवाह ऐसी प्रक्रियाएँ जिनके कारण मुस्लिम महिलाओं को लंबे समय से तमाम यातानाओं से गुजरना पड़ा। ऐसे में केंद्र की मोदी सरकार ने मुस्लिम महिलाओं को राहत देने के लिए ट्रिपल तलाक के खिलाफ तो 2019 में कानून बना दिया, जिसमें तलाक देने वाले पुरुषों के खिलाफ दंड का प्रावधान है। मगर कट्टरपंथी मोदी सरकार के इस फैसले को आज भी इस्लाम विरोधी बताते है, जबकि हकीकत में ये रिवायत महिला विरोधी थी और इस पर कार्रवाई भी तभी हुई जब मुस्लिम महिलाओं ने शिकायत की, अपनी आवाज उठाई। आज ट्रिपल तलाक की तरह अन्य कट्टरपंथी प्रथाओं से छुटकारा पाने के लिए मौलानाओं के पास जाने की जगह कोर्ट के पास आना बताता है कि देश में संविधान के अनुसार समान कानून की आवश्यता सबको।

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

गिरफ्तारी के बाद भी CM बने हुए हैं केजरीवाल, दिल्ली हाई कोर्ट का दखल देने से इनकार: कहा – कानूनी प्रावधान दिखाओ, ये कार्यपालिका...

याचिका में आशंका जताई गई थी कि केजरीवाल के CM बने रहने से कानूनी कार्यवाही में बाधा आएगी, साथ ही राज्य की संवैधानिक व्यवस्था भी चरमरा जाएगी।

‘न्यायपालिका पर दबाव बना रहा एक खास गुट, सोशल मीडिया पर करता है बदनाम’: हरीश साल्वे समेत सुप्रीम कोर्ट के 600+ वकीलों की CJI...

देशभर के 600 से ज्यादा वकीलों ने मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर चिंता जाहिर की है। वकीलों का कहना है कि न्यायपालिका पर उठते सवाल और अखंडता को कमजोर करने के प्रयासों को देखते हुए वो चिंतित हैं।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
418,000SubscribersSubscribe