Thursday, April 18, 2024
Homeविविध विषयधर्म और संस्कृतिराम मंदिर निर्माण ने पकड़ी रफ्तार: चबूतरे में लगेंगे 17000 ग्रेनाइट पत्थर, 25000 श्रद्धालु...

राम मंदिर निर्माण ने पकड़ी रफ्तार: चबूतरे में लगेंगे 17000 ग्रेनाइट पत्थर, 25000 श्रद्धालु कर सकेंगे दर्शन, जानें और क्या-क्या होगा खास

राम मंदिर के निर्माण में राजस्थान के भरतपुर के इलाके बांसी-पहाड़पुर से आए गुलाबी पत्थर लगाए जाने हैं। वहीं गर्भगृह के भीतर राजस्थान के मकराना पहाड़ियों से सफेद मार्बेल मँगा कर लगाए जाएँगे।

अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के निर्माण का कार्य पूरा होने का इंतजार हर कोई कर रहा है, लेकिन ये काम 2 साल में कहाँ तक पहुँचा है इसकी जानकारी सामान्य जन में कम है। आइए आज आपको शुरू से बताते हैं कि 2020 से आज की तारीख तक राम मंदिर में कब कितना काम हुआ।

5 अगस्त 2020 को पीएम मोदी द्वारा श्रीराम जन्मभूमि पूजन के बाद मंदिर निर्माण का कार्य लार्सेन एंड ट्रुबो और टाटा कंपनी के इंजीनियर, ट्रस्ट की ओर से काम कर रहे स्वतंत्र इंजीनियरों के साथ मिल के कर रहे हैं। सितंबर-अक्टूबर 2020 में l&t ने मंदिर का एक डिजाइन दिया था। लेकिन कुछ कमियों के कारण उसे ड्रॉप कर दिया गया। नवंबर 2020 में आईआईटी दिल्ली के (सेवानिवृत्त) निदेशक की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया जिसमें कई प्रोफेसर और नामी कंपनियों के इंजीनियर शामिल हुए। इसके बाद हैदराबाद के नेशनल जियो रिसर्च संस्थान के अनुरोध पर नवंबर-दिसंबर 2020 तक यहाँ जीपीआर सर्वे चला। 

3 महीने तक (जनवरी 2021- मार्च 2021) निर्धारित मंदिर स्थल की 6 एकड़ भूमि तथा उसकी आसपास की जगह से 1.85 लाख क्यूबिक मीटर मलबा और पुरानी मिट्टी हटाई गई। ये जगह विशाल खुली खदान जैसा दिखने लगी थी। गर्भगृह में भी 14 मीटर गहरा गड्ढा और आसपास 12 मीटर गहराई हो गई थी। फिर लगभग 6 माह (अप्रैल 2021-सितंबर 2021) तक इसकी भराई काम हुआ और करीब तीन महीनों तक मंदिर को 1000 वर्ष की मजबूती प्रदान करन के लिए मानव निर्मित चट्टानें लगाई गईं। 

अब इस साल की बात करें तो 24 जनवरी से मंदिर के चबूतरे को ऊँचा करने का काम प्रगति पर है। कर्नाटक और तेलंगाना से आए ग्रेनाइट पत्थर ब्लॉक्स को चबूतरों पर लगाने के लिए इस्तेमाल किया गया है। एक ब्लॉक लंबाई में 5 फीट, चौड़ाई में 2.5 फीट और ऊँचाई में 3 फीट है। चबूतरा निर्माण में 17000 ग्रेनाइट ब्लॉक इस्तेमाल किए जाएँगे।

उम्मीद है कि ये कार्य सितंबर 2022 तक पूरा हो जाएगा। इसके अलावा गर्भगृह में व उसके आसपास नक्काशीदार पत्थर लगेंगे। मंदिर के निर्माण में राजस्थान के भरतपुर के इलाके बांसी-पहाड़पुर से आए गुलाबी पत्थर प्रयोग में लाए जा रहे हैं। गर्भगृह के भीतर राजस्थान के मकराना पहाड़ियों से सफेद मार्बेल मँगा कर लगाए जाएँगे। इनमें से कुछ पर नक्काशी हो गई है, कुछ में बाकी है। मंदिर के पकरोटा में 8 से 9 लाख क्यूबिक फीट पत्थर लगेंगे जबकि चबूतरे के लिए 6.37 लाख क्यूबिक फीट और मंदिर के लिए 4.70 लाख क्यूबिट फीट इस्तेमाल होंगे। इसी तरह 13 300 क्यूबिक फीट मकराना गर्भगृह निर्माण में प्रयोग में आएँगे और 95,300 स्क्वॉयर फीट का प्रयोग फर्श आदि के लिए होगा।

मंदिर निर्माण के दौरान ये भी ध्यान रखा जा रहा है कि आसपास इलाके को संभावित सरयू बाढ़ से बचाया जा सके। इस काम के लिए पश्चिम, दक्षिण और उत्तर में मजबूत दीवार बनाने का काम चल रहा है। पहले चरण में दर्शनार्थी प्रबंधन ने कम से कम 25000 श्रद्धालुओं के दर्शन का प्रबंध किया है। खास बात ये हैं कि राम मंदिर के ईर्द-गिर्द भगवान वाल्मिकी, ऋषि केवट, माता शबरी, जटायु, माता सीता और शेषावतार लक्ष्मण जी का भी मंदिर योजना में है। हर माह निर्माण समिति इंजीनियर और आर्किटेक्ट्स के साथ मिल कर बैठक करते हैं और छोटी-छोटी बातों पर चर्चा होती है।

जानकारी के मुताबिक, 1 जून से मंदिर की पहली मंजिल का काम शुरू होगा। पंचागानुसार इस दिन दुर्लभ व सर्वसिद्धि योग मिल रहे हैं। 2023 तक पहली मंजिल का काम पूरा होगा जिसके बाद रामलला यहाँ लाए जाएँगे। वहीं मंदिर का पूरा कार्य 2025 तक पूर्ण होने की संभावना है।

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बने भारत: एलन मस्क की डिमांड को अमेरिका का समर्थन, कहा- UNSC में सुधार जरूरी

एलन मस्क द्वारा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता की दावेदारी का समर्थन करने के बाद अमेरिका ने इसका समर्थन किया है।

BJP ने बनाया कैंडिडेट तो मुस्लिमों के लिए ‘गद्दार’ हो गए प्रोफेसर अब्दुल सलाम, बोले- मस्जिद में दुर्व्यव्हार से मेरा दिल टूट गया

डॉ अब्दुल सलाम कहते हैं कि ईद के दिन मदीन मस्जिद में वह नमाज के लिए गए थे, लेकिन वहाँ उन्हें ईद की मुबारकबाद की जगह गद्दार सुनने को मिला।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
417,000SubscribersSubscribe