Wednesday, September 18, 2024
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जुटीं 37000 महिलाएँ, जीवंत हो उठी 5000 साल पुरानी परंपरा: द्वारका के नन्दधाम में महारास का Video वायरल

गुजरात के द्वारका में एक साथ 37,000 अहीर महिलाओं ने रास रचाया। इस रास रचाने का वीडियो अब वायरल हो रहा है। महिलाओं के रास रचाने से 5000 वर्ष पुरानी प्रभु श्रीकृष्ण काल की परम्परा पुनर्जीवित हो गई। इस कार्यक्रम में डेढ़ लाख से अधिक अहीर समुदाय के लोग शामिल हुए। यह आयोजन 24 दिसम्बर, 2024 को सुबह किया गया।

गुजरात के द्वारका में एक साथ 37,000 अहीर महिलाओं ने महारास रचाया। इस रास रचाने का वीडियो अब वायरल हो रहा है। महिलाओं के महारास रचाने से 5000 वर्ष पुरानी प्रभु श्रीकृष्ण काल की परम्परा पुनर्जीवित हो गई। इस कार्यक्रम में डेढ़ लाख से अधिक अहीर समुदाय के लोग शामिल हुए। यह आयोजन 24 दिसम्बर, 2024 को सुबह किया गया।

इस कार्यक्रम का आयोजन अखिल भारतीय यादव समाज और अहिरानी मंडल समाज द्वारा किया गया था। महिलाओं का नृत्य जहाँ आयोजित हुआ उस स्थान को नन्दधाम परिसर का नाम दिया गया था। इस नृत्य का ड्रोन वीडियो अब वायरल हो रहा है।

इस आयोजन में शामिल होने के लिए दुनिया भर से अहीर समाज की महिलाएँ शामिल हुई थीं। अहीर महिलाओं ने इस दौरान पारम्परिक लाल रंग की पोशाक पहनी हुई थी। इन महिलाओं ने मैदान में बीच में लगी श्रीकृष्ण प्रतिमा के चारों तरफ महारास रचाया। यह नृत्य बाणासुर की बेटी और भगवान कृष्ण की बहू ऊषा के महारास की स्मृति में आयोजित किया गया था।

टीवी 9 भारतवर्ष के अनुसार, मान्यता है कि कच्छ के व्रजवानी गाँव में एक ढोली ने जब ढोल बजाना शुरू किया, तब आहिर समाज की 140 महिलाएँ अपने कार्य को अधूरा छोड़कर महारास खेलने चली गई थीं। लोककथाओं के मुताबिक भगवान श्रीकृष्ण ने यह ढोल बजाया था और सभी महिलाएँ कृष्ण के साथ महारास रचाने गई थीं। यहाँ ढोल बजता रहा और महिलाएँ महारास खेलती गईं। अभी भी उस जगह पर सभी महिलाओं की समाधि है।

23 दिसंबर की शाम शुरू हुए अहिरानी महारास कार्यक्रम की शुरुआत में कार्यक्रम स्थल पर हस्तशिल्प उद्योग का बिजनेस एक्सपो और प्रदर्शनी आयोजित की गई थी। शाम को अहीर समाज के दानदाताओं, नेताओं, युवाओं, कार्यकर्ताओं की विशेष उपस्थिति में यहाँ पूजा शुरू हुई। 

महारास नृत्य समाप्त होने के बाद इन महिलाओं को श्रीमदभगवद्गीता पुस्तक उपहार में दी गई। इस आयोजन में जामनगर सांसद पूनमबेन माडम भी शामिल हुईं। उन्होंने पारम्परिक वेशभूषा में इन महिलाओं के साथ नृत्य किया। इस नृत्य का आयोजन नई पीढ़ी को परम्पराओं से अवगत करवाने के लिए किया गया था।

इस कार्यक्रम में सम्मान समारोह, पूजा-अर्चना, सामूहिक प्रसाद और राधा भाई अहीर सहित कलाकारों के भव्य लोक के साथ-साथ अहीर बहनों द्वारा तैयार किए गए सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए गए थे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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