Friday, April 26, 2024
Homeविविध विषयधर्म और संस्कृतिश्रीकृष्ण जन्मभूमि विराजमान- शाही ईदगाह मामले में नहीं लागू होगा प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट:...

श्रीकृष्ण जन्मभूमि विराजमान- शाही ईदगाह मामले में नहीं लागू होगा प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट: जानें मथुरा कोर्ट ने निर्णय में क्या कहा

कोर्ट ने श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट और अन्य निजी पक्षों की ओर से दायर पुनरीक्षण याचिका को अनुमति दी और सितंबर 2020 में उनके मुकदमें को खारिज करने के एक सिविल कोर्ट के आदेश को पलट दिया।

मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मस्थान और शाही ईदगाह विवाद के मामले में पूजा स्थल अधिनियम 1991 (Places of Worship Act 1991) रुकावट नहीं होगी। यह अधिनियम इस केस में लागू नहीं होगा। यह बात जिला जज राजीव भारती ने अपने निर्णय में कहा है। इसकी जानकारी वादी के अधिवक्ता गोपाल खंडेलवाल ने दी। 

इसके साथ ही कोर्ट ने श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट और अन्य निजी पक्षों की ओर से दायर पुनरीक्षण याचिका को अनुमति दी और सितंबर 2020 में उनके मुकदमें को खारिज करने के एक सिविल कोर्ट के आदेश को पलट दिया

बता दें कि भगवान श्रीकृष्ण विराजमान को वादी बनाकर 13.37 एकड़ जमीन पर दावा पेश करने वाली सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री के केस को जिला जज राजीव भारती की अदालत ने गुरुवार (19 मई 2022) को सुनवाई योग्य मानते हुए दर्ज कर लिया। करीब दो वर्ष के लंबी अदालती प्रक्रिया के बाद उनकी याचिका को अदालत ने दर्ज करने संबंधी निर्णय दिया। अगली सुनवाई 26 मई को होगी। अदालत के निर्णय पर अधिवक्ता रंजना ने कहा कि यह भगवान श्रीकृष्ण विराजमान की जीत है। 

समझौते को बताया गलत, रद्द करने की माँग

रंजना अग्निहोत्री ने 25 सितंबर 2020 को श्रीकृष्ण जन्मस्थान की 13.37 एकड़ जमीन पर दावा पेश किया था, जिसमें उन्होंने वर्ष 1973 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट और शाही ईदगाह के बीच हुए समझौते को गलत बताकर इसे रद्द करने की माँग की है। उनकी याचिका में बताया गया है कि 20 जुलाई 1973 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट और शाही मस्जिद इंतजामिया कमेटी के मध्य बीच समझौता हुआ था, जिसके तहत परिसर की जमीन को ईदगाह इंतजामिया कमेटी को दे दिया गया। बाद में समझौते की डिक्री (न्यायिक निर्णय) 7 नवंबर 1974 को हुई।

जिला जज ने अपने निर्णय में यह कहा 

श्रीकृष्ण विराजमान और उनकी भक्त रंजना अग्निहोत्री ने इसी डिक्री को रद्द करने की माँग की है। जिला जज ने रिवीजन स्वीकार करने के निर्णय में कहा है कि चूँकि याचिकाकर्ता द्वारा समझौता और डिक्री को चैलेंज किया गया है, इसीलिए उपासना स्थल अधिनियम इस केस में लागू नहीं होगा। वादी के अधिवक्ता गोपाल खंडेलवाल ने बताया कि केस में समझौता और डिक्री को आधार बनाया गया है, इसलिए अदालत ने इस मामले में उपासना स्थल अधिनियम 1991 का लागू होना नहीं माना है।

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

लोकसभा चुनाव 2024: दूसरे चरण की 89 सीटों पर मतदान, 1198 उम्मीदवारों का फैसला करेंगे मतदाता, मैदान में 5 केंद्रीय मंत्री और 3 राजघरानों...

दूसरे चरण में 5 केंद्रीय मंत्री चुनाव मैदान में हैं, जिसमें वी. मुरलीधरन, राजीव चंद्रशेखर, गजेंद्र सिंह शेखावत, कैलाश चौधरी और शोभा करंदलाजे चुनाव मैदान में हैं।

हिंदुओं से घृणा और इस्लामी कट्टरपंथ से मोहब्बत: प्रिंसिपल परवीन शेख पर ऑपइंडिया की रिपोर्ट से जागा मशहूर सोमैया स्कूल, बोला- करेंगे कार्रवाई

सोमैया ट्रस्ट ने ऑपइंडिया की रिपोर्ट के जवाब में कहा कि हमें परवीन शेख के इस पहलू के बारे में पता नहीं था, ये पूरी तरह से अस्वीकार्य है।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
417,000SubscribersSubscribe