Thursday, May 15, 2025
Homeविविध विषयधर्म और संस्कृतिराम मंदिर परिसर में वाल्मीकि, वशिष्ठ, निषाद राज, जटायु, शबरी, अहिल्या के भी मंदिर...

राम मंदिर परिसर में वाल्मीकि, वशिष्ठ, निषाद राज, जटायु, शबरी, अहिल्या के भी मंदिर हों – ये आईडिया PM मोदी का था: जन्मभूमि ट्रस्ट के महासचिव

उनका ही सुझाव था कि राम मंदिर के प्रांगण में शबरी, जटायु, निषादराज, अहिल्या आदि का स्थान होना चाहिए, क्योंकि ये प्रभु श्री राम के जीवन के अभिन्न अंग हैं।

ये तो लगभग सभी स्वीकारते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच हमेशा से समावेशी रही है। वो हमेशा से सभी धर्मों और जातियों को मिला कर चलने की बातें करते रहे हैं और उनकी जन-कल्याणकारी नीतियों में भी इस बात की झलक मिलती है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय के अंत्योदय से वो और उनकी पार्टी प्रेरित रही है, ऐसे में ये स्वाभाविक है। राम मंदिर को लेकर भी पीएम मोदी ने कुछ ऐसी सलाह दी थी, जिसे ट्रस्ट के लोगों ने तुरंत स्वीकार किया।

आखिर करें भी क्यों न, ये विचार ऐसा था जो हिन्दू धर्म के विभिन्न वर्गों के बीच एकता को और सुदृढ़ करेगा। ‘श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र’ ट्रस्ट के जनरल सेक्रेटरी और ‘विश्व हिन्दू परिषद (VHP)’ के अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष चंपत राय ने ‘मोदी स्टोरी’ नामक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से इस बारे में वाकया साझा किया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि पीएम मोदी का विचार विचार राष्ट्र को जोड़ने वाला विचार है। उनका ही सुझाव था कि राम मंदिर के प्रांगण में शबरी, जटायु, निषादराज, अहिल्या आदि का स्थान होना चाहिए, क्योंकि ये प्रभु श्री राम के जीवन के अभिन्न अंग हैं।

चंपत राय ने बताया, “रामनवमी के दिन भगवान श्रीराम का जन्म दोपहर के 12 बजे हुआ था। वो सूर्यवंशी कुल में जन्मे थे। तो क्या प्रतिवर्ष दोपहर के 12 बजे सूर्य देवता की किरणें रामलला के मस्तक को प्रकाशित कर सकती हैं? – ये आईडिया उनका है। उन्होंने CSIR (वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद) को ये आईडिया दिया और उन्होंने इसे स्वीकार कर लिया। उन्हें सफलता भी मिली। भगवान श्रीराम के जीवन में सामाजिक सौहार्दता दिखती है।”

चंपत राय ने बताया कि राम के जीवन की सामाजिक सौहार्दता को ट्रस्ट के सामने पीएम मोदी ने ही प्रदर्शित किया था। महर्षि वाल्मीकि के कारण राम की कहानी लोगों के सामने आई, ब्रह्मर्षि वशिष्ठ उनके गुरु थे, विश्वामित्र, भारद्वाज – इन सारे महर्षियों के स्थान वहाँ होने चाहिए। चंपत राय ने बताया कि सामाजिक दृष्टि का भाव रखते हुए पीएम मोदी ने ही शबरी, जटायु, निषादराज और अहिल्या के मंदिरों का सुझाव दिया था – क्योंकि ये राम के जीवन के अभिन्न अंग रहे हैं। चंपत राय ने इसे राष्ट्र की एकात्मता को सिद्ध करने वाला विचार करार दिया।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

'द वायर' जैसे राष्ट्रवादी विचारधारा के विरोधी वेबसाइट्स को कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

ड्रोन-मिसाइल दाग-दागकर पस्त हो गया पाकिस्तान, पर भारत में इस बार नहीं दिखी युद्ध काल की वह आपाधापी: आर्मी ब्रैट का सैल्यूट स्वीकार करिए...

ऑपरेशन सिंदूर के बाद युद्ध काल के उस 'भय' को खत्म करने के लिए आर्मी ब्रैट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेज रही सैल्यूट।
- विज्ञापन -