अयोध्या में बन रहे भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर के लिए दो विशाल शिलाएँ नेपाल से लाई जा रहीं हैं। इनसे भगवान राम और माता सीता की मूर्ति का निर्माण होना है। इन शिलाओं को जिस रास्ते से लाया जा रहा है। वहाँ इनके दर्शन और पूजा-अर्चना के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ रही है। दोनों शिलाओं का वजन 60 टन बताया जा रहा है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, शनिवार (28 जनवरी 2023) रात करीब 11 बजे ये दोनों शीलाएँ जनकपुर धाम में स्थित जानकी मंदिर पहुँचीं। जहाँ मंदिर के महंत राम तपेश्वर दास ने इन दोनों शिलाओं का स्वागत किया। यही नहीं, इन शिलाओं के जनकपुर में प्रवेश करने पर बड़ी संख्या में स्थानीय व आसपास के लोग एकजुट हुए। इस दौरान, कहीं पूजा-अर्चना तो कहीं वैदिक मंत्रोच्चार के साथ देव शिलाओं का स्वागत हुआ।
नेपाल के पोखरा से अयोध्या लाए जा रहे देव शिला
— Vikash Mohta (@VIKASHMOHTA90) January 28, 2023
शालिग्राम के पत्थर की रास्ते में पूजा करते श्रद्धालु
इसी शिला से अयोध्या में होगा प्रभु श्रीराम की मूर्ति का निर्माण 🙏https://t.co/AMv7J1q2lz pic.twitter.com/r5xQk7tPp8
ये दोनों शिलाएँ नेपाल के पोखरा में शालीग्रामी नदी से निकाली गई हैं। शालिग्रामी नदी को काली गंडकी नाम से भी जाना जाता है। पोखरा से जनकपुर के रास्ते में पड़ने वाले प्रत्येक गाँव, शहर, कस्बे व चौक-चौराहों में इन शिलाओं का भव्य स्वागत हुआ है। कुछ जगहों पर भजन, कीर्तन व शांति पाठ का भी किया गया है।
इन शिलाओं के साथ श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्यों के अलावा साधु, संत, महंत व हिंदूवादी संगठनों के नेता शामिल हैं। साथ ही, रास्ते में पड़ने वाले मठों व मंदिरों के संत भी शामिल होते जा रहे हैं। एक शिला का वजन 26 टन जबकि दूसरे का 14 टन है। इस तरह, दोनों शिलाओं का वजन 40 टन बताया जा रहा है।
ये शिलाएँ सोमवार (30 जनवरी, 2023) को बिहार के मधुबनी जिले के रास्ते भारतीय सीमा में प्रवेश करेंगीं। इसके बाद शिलाएँ मंगलवार (31 जनवरी, 2023) को गोरखपुर पहुँचेगी। जहाँ, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इनका पूजन करेंगे। इसके बाद 2 फरवरी को शिलाएँ अपने गंतव्य, यानी अयोध्या पहुँचेगी।
इन शिलाओं के साथ चल रहे ‘श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट’ के सदस्य कामेश्वर चौपाल का कहना है, “जब वह शालिग्राम की शीलाएँ लेकर पोखरा से निकले तो रास्ते में सड़कों के दोनों तरफ नेपाल के लोग खड़े दिखे। वहाँ लोग शिलाओं का पूजन-अर्चन इस तरह से कर रहे थे जैसे कि त्रेतायुग आ गया हो। मिथिला में तो रामलला के प्रति इतनी श्रद्धा और स्नेह दिखाई दिया, जिसको देखने के बाद मैं बस अभिभूत हो गया और उसको बोलने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं।”
उन्होंने यह भी कहा है, “हमें अभी शिलाओं को अयोध्या लाने के लिए कहा गया है। शिलाओं के अयोध्या पहुँचने के बाद ट्रस्ट अपना काम करेगा। ये शिलाएँ अयोध्या में 2 फरवरी को पहुँच सकती हैं। शालिग्रामी नदी से निकाली गईं ये दोनों शिलाएँ करीब 6 करोड़ साल पुरानी बताई जा रही हैं।”