Thursday, July 10, 2025
Homeविविध विषयधर्म और संस्कृतिनहीं रहा केरल का शाकाहारी मगरमच्छ 'बाबिया', अंतिम संस्कार में जुटेंगे भक्त: खाता था...

नहीं रहा केरल का शाकाहारी मगरमच्छ ‘बाबिया’, अंतिम संस्कार में जुटेंगे भक्त: खाता था केवल मंदिर का प्रसाद, 70 साल से कर रहा था भगवान के गुफा की रक्षा

बता दें कि यह मंदिर कासरगोड जिले के अनंतपुर नाम के छोटे से गाँव में बना है। इस मंदिर को तिरुवनंतपुरम के पद्मनाभ स्वामी के मंदिर के मूलस्थान के तौर पर जाना जाता है।

केरल के कासरगोड स्थित श्री आनंदपद्मनाभ स्वामी मंदिर की सालों से रखवाली करने वाले ‘शाकाहारी’ मगरमच्छ बाबिया (Crocodile Babiya) का रविवार (10 अक्टूबर 2022) रात को निधन हो गया। बाबिया मंदिर के पास मृत पाया गया था। बताया जाता है कि यह मगरमच्छ मंदिर परिसर के अंदर बने तालाब में रहता था और 70 से अधिक सालों से इसकी रक्षा कर रहा था।

मंदिर के पुजारियों के अनुसार, दिव्य मगरमच्छ अपना अधिकांश समय गुफा के अंदर बिताता था। वह सिर्फ दोपहर में प्रसाद के लिए बाहर निकलता था। वहीं, मंदिर के ट्रस्टी उदयकुमार आर गैट्टी ने कहा कि बाबिया की तबीयत पिछले कुछ दिनों से खराब चल रही थी। मंगलुरु के पिलिकुला बायोलॉजिकल पार्क के पशु चिकित्सक उसकी देखभाल कर रहे थे। उन्होंने कहा, “पिछले दो दिनों से बाबिया भोजन के लिए भी नहीं आया था। जब हमने उसकी तलाश की तो वह हमें नहीं मिला। लेकिन रविवार की रात, हमने इसे झील में मृत पाया। मंदिर में उसके अंतिम संस्कार में 1000 से अधिक भक्तों के आने की उम्मीद है।” गैटी ने कहा, “बाबिया को पूरे सम्मान के साथ मंदिर के मैदान में दफनाया जाएगा।”

मंदिर प्रबंधन के अनुसार, बाबिया दिन में दो बार भगवान के दर्शन करने निकलता था। इस दौरान वह परोसे जाने वाले चावल और गुड़ के प्रसाद को ही खाकर रहता था। इसलिए उसे शाकाहारी मगरमच्छ कहा जाता है। मगरमच्छ बाबिया तालाब में रहने के बावजूद मछलियाँ और दूसरे जलीय जीवों को नहीं खाता था। उसने आज तक किसी के साथ भी हिंसक व्यवहार नहीं किया था। कहा जाता है कि मगरमच्छ बाबिया उस गुफा की रक्षा करता था, जिसमें भगवान गायब हो गए थे। कोई नहीं जानता था कि बाबिया तालाब में आखिर कैसे और कहाँ से आया था। बाबिया की तस्वीरें सोशल मीडिया पर भी वायरल हो गई हैं।

बता दें कि यह मंदिर कासरगोड जिले के अनंतपुर नाम के छोटे से गाँव में बना है। इस मंदिर को तिरुवनंतपुरम के पद्मनाभ स्वामी के मंदिर के मूलस्थान के तौर पर जाना जाता है।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

'द वायर' जैसे राष्ट्रवादी विचारधारा के विरोधी वेबसाइट्स को कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

चढ़ावा हड़प लो, सोना पिघला दो, ब्याज छीन लो… तमिलनाडु में ‘विकास’ के नाम पर राज्य सरकार ऐंठ रही मंदिर की कमाई, मस्जिद-चर्च की...

DMK सरकार ने 2021 में मंदिरों की निधि से 4 कला और विज्ञान कॉलेज खोलने की योजना बनाई थी। विपक्षी दलों में इस पर तब भी विरोध किया था।

अवैध ढाँचों के बाद ढोंगियों पर सख्त हुई उत्तराखंड की सरकार, ‘ऑपरेशन कालनेमि’ का CM पुष्कर सिंह धामी ने किया ऐलान: कहा- पहचान छिपा...

उत्तराखंड में अब सनातन के नाम पर ठगने वालों के खिलाफ विशेष अभियान चलाया जाएगा। यह ऑपरेशन CM धामी ने लॉन्च किया है।
- विज्ञापन -