Thursday, April 18, 2024
Homeविविध विषयधर्म और संस्कृतिहिन्दू मंदिरों के सरकारी नियंत्रण से मुक्ति की मुहिम में सद्गुरु के साथ आए...

हिन्दू मंदिरों के सरकारी नियंत्रण से मुक्ति की मुहिम में सद्गुरु के साथ आए सहवाग, देश भर में अभियान चलाने की जरुरत

संविधान के अनुसार भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है जो सभी धर्मों के प्रति निष्पक्ष भाव रखता है। धर्मनिरपेक्षता का आधार है कि राज्य व्यक्ति और ईश्वर के बीच के संबंधों में कोई हस्तक्षेप नहीं करेगा क्योंकि यह संबंध व्यक्ति के अंतःकरण का विषय है। किन्तु क्या ऐसा है?

आज प्रत्येक व्यक्ति सद्गुरु से परिचित है। सद्गुरु एक संत, वक्ता, समाजसेवी एवं योग तथा धर्म प्रचारक के रूप में जाने जाते हैं। वे कोयंबटूर में आदियोगी भगवान शिव की विशालकाय प्रतिमा की स्थापना एवं कावेरी को पुनर्जीवित करने की अपनी पहल ‘कावेरी कॉलिंग’ के बाद लगातार जनहित और हिन्दू धर्म और मानवता को आगे बढ़ाने की दिशा में कार्य कर रहे हैं।

समय-समय पर समाज एवं हिंदुओं के लिए तत्परता से कार्य करने वाले सद्गुरु वर्तमान में तमिलनाडु में मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कराने की मुहिम चला रहे हैं। उनकी इस मुहिम को कई प्रबुद्धजनों का समर्थन प्राप्त हो रहा है। इसी कड़ी में क्रिकेटर वीरेंद्र सहवाग का नाम भी जुड़ गया है।  

हुआ असल मे ऐसा कि ट्विटर पर ऋषि कुमार (@K_Rishikumar) नाम के एक व्यक्ति ने चेन्नई के निकट स्थित पेरुमल मंदिर का एक वीडियो अपनी प्रोफाइल पर शेयर किया और उसके साथ लिखा, “हम नहीं जानते कि इस मंदिर के निर्माण के लिए कितने प्रयास हुए होंगे किन्तु आज इसे इस हालत में देखकर बहुत बुरा लग रहा है।” वीडियो में उस प्राचीन मंदिर की जर्जर हालत स्पष्ट तौर पर देखी जा सकती है।

अपने कैप्शन के साथ उसने #FreeTNTemples का उपयोग किया जो सद्गुरु की मुहिम का एक हिस्सा है।

सद्गुरु ने इस वीडियो पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “कभी ये मंदिर था, भक्ति का, समर्पण का! अब ऐसा खंडहर है कि शराबियों और गंदगी फैलाने वालों के लिए भी सुरक्षित नहीं है। समय आ गया है कि तमिलनाडु के मंदिर मुक्त हों- #FreeTNTemples “

इसके साथ उन्होंने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री कार्यालय, एम.के. स्टालिन और वीरेंद्र सहवाग को टैग किया।

सद्गुरु के टैग करने के पश्चात वीरेंद्र सहवाग ने ट्वीट करके सद्गुरु का समर्थन किया। उन्होंने कहा, “हजारों वर्षों के इतिहास और महान पहचान वाले मंदिरों को ऐसी स्थिति में देखना दुःखद है। एक उचित प्रक्रिया के माध्यम से मंदिरों के प्रबंधन को भक्तों को सौंप देना चाहिए। इस ‘महत्वपूर्ण मुहिम’ में मैं सद्गुरु के साथ हूँ।”

सहवाग ने तो अपना समर्थन दे दिया है किन्तु अब आवश्यकता है कि सभी प्रबुद्ध एवं आमजन, मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कराने के लिए अपना समर्थन दें। तमिलनाडु समेत पूरे भारत भर में कई ऐसे छोटे-बड़े मंदिर हैं जो सरकारी नियंत्रण में हैं। नियंत्रण में रहने के कारण इनकी दुर्दशा हम सब ने किसी न किसी रूप में देखी है। ऐसे मंदिरों की संख्या लगभग 4 लाख है, जिनमें तिरुपति बालाजी, श्रीपद्मनाभस्वामी, गुरुवयूर, जगन्नाथ पुरी और वैष्णो देवी जैसे अति प्राचीन और महत्वपूर्ण मंदिर भी सम्मिलित हैं।

आंध्रप्रदेश में वायएस जगन रेड्डी की सरकार द्वारा तिरुपति में भगवान वेंकटेश्वर की संपत्ति को बेचने का निर्णय सुर्खियों में आया था जब हिंदुओं के विरोध के कारण यह निर्णय रद्द कर दिया गया था। मंदिरों की इस दुर्दशा के पीछे “हिन्दू धार्मिक एवं धर्मार्थ निधि अधिनियम (HRCE Act) 1951” है जिसका उद्देश्य ही था हिन्दू मंदिरों एवं धार्मिक संस्थाओं के प्रशासन एवं प्रबंधन को सरकारों की दया में छोड़ देना।

संविधान के अनुसार भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है जो सभी धर्मों के प्रति निष्पक्ष भाव रखता है। धर्मनिरपेक्षता का आधार है कि राज्य व्यक्ति और ईश्वर के बीच के संबंधों में कोई हस्तक्षेप नहीं करेगा क्योंकि यह संबंध व्यक्ति के अंतःकरण का विषय है। किन्तु क्या ऐसा है?

व्यवहारिक तौर पर तो नहीं, क्योंकि धर्मनिरपेक्षता, हिंदुओं के केस में दम तोड़ देती है। हिन्दू धर्म को ही इस संवैधानिक धर्मनिरपेक्षता का सर्वाधिक नुकसान झेलना पड़ा। इस तुष्टीकरण के सबसे बड़े शिकार हुए हिन्दू मंदिर और हिन्दू धार्मिक संस्थाएं।

आज सद्गुरु हिन्दू मंदिरों की इसी दुर्दशा के विरोध में #FreeTNTemples अभियान चला रहे हैं। भारत भर से लोग इस अभियान से जुड़ रहे हैं। यह अभियान न केवल तमिलनाडु अपितु पूरे भारतवर्ष में चलाया जाना चाहिए क्योंकि मंदिरों की संपत्ति पर सरकार नहीं अपितु मंदिर में विराजमान इष्टदेव का अधिकार होता है। सरकारों को मंदिरों की संपत्ति का उपयोग करने का कोई अधिकार नहीं है।  

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ओम द्विवेदी
ओम द्विवेदी
Writer. Part time poet and photographer.

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

लोकसभा चुनाव 2024 के पहले चरण में 21 राज्य-केंद्रशासित प्रदेशों के 102 सीटों पर मतदान: 8 केंद्रीय मंत्री, 2 Ex CM और एक पूर्व...

लोकसभा चुनाव 2024 में शुक्रवार (19 अप्रैल 2024) को पहले चरण के लिए 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 102 संसदीय सीटों पर मतदान होगा।

‘केरल में मॉक ड्रिल के दौरान EVM में सारे वोट BJP को जा रहे थे’: सुप्रीम कोर्ट में प्रशांत भूषण का दावा, चुनाव आयोग...

चुनाव आयोग के आधिकारी ने कोर्ट को बताया कि कासरगोड में ईवीएम में अनियमितता की खबरें गलत और आधारहीन हैं।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
417,000SubscribersSubscribe