गोवा में आयोजित ‘इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया (IFFI)’ की जूरी के मुखिया नादव लैपिड ने जिस तरह से मंच से खुलेआम ‘द कश्मीर फाइल्स’ को भद्दी और प्रोपेगंडा फिल्म बता दिया, उसके बाद से ही सवाल उठ रहे थे कि केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और गोवा सरकार ने आखिर कैसे इस तरह के व्यक्ति को इस पद के लिए चुना। अब जूरी के अन्य सदस्यों ने भी इजरायली फ़िल्मकार नादव लैपिड का समर्थन करना शुरू कर दिया है।
IFFI जूरी के 3 सदस्यों ने ‘द कश्मीर फाइल्स’ के विरोध में नादव लैपिड के बयान का समर्थन किया है। इस जूरी में भारत के एकमात्र सदस्य सुदीप्तो सेन अब भी कह रहे हैं कि ‘द कश्मीर फाइल्स’ पर नादव लैपिड का बयान उनका व्यक्तिगत था और इसका IFFI से कोई लेनादेना नहीं है। अमेरिकी फिल्म निर्माता जिन्को गोटोह, फ्रेंच फिल्म एडिटर पास्कल चवांसे और फ्रेंच डॉक्यूमेंट्री फ़िल्मकार जेवियर अंगुलो बरटुरेन ने ट्विटर पर बयान जारी किया है।
53वें IFFI जूरी के इन तीनों ही सदस्यों ने इस बयान में नादव लैपिड का समर्थन किया है। हालाँकि, गोटोह के जिस ट्विटर हैंडल से ये बयान प्रकाशित हुआ वो वेरिफाइड नहीं है। इसमें उन्होंने लिखा है कि जूरी ने ‘द कश्मीर फाइल्स’ को कोई अवॉर्ड नहीं दिया और केवल 5 फिल्मों को ही अवॉर्ड दिया गया। इस निर्णय को सर्व-सम्मति से हुआ फैसला बताया गया है। उन्होंने बताया कि ‘नेशनल फिल्म डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NDFC)’ और फिल्म फेस्टिवल के प्रशासन की अनुमति के बाद ही ऐसा किया गया।
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— Jinko Gotoh (@JinkoGotoh) December 2, 2022
तीनों ने दावा किया है कि फिल्म के कंटेंट के आधार पर वो कोई राजनीतिक पक्ष नहीं ले रहे हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि ये सिर्फ कला के लिहाज से दिया गया बयान है। उन्होंने दावा किया कि फिल्म फेस्टिवल का राजनीतिक इस्तेमाल हो रहा है और नादव लैपिड पर व्यक्तिगत हमले किए जा रहे हैं। वहीं सुदीप्तो सेन का कहना है कि जूरी के लोग इस तरह एक खास फिल्म को निशाना नहीं बना सकते। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा किया जा रहा है तो ये ‘व्यक्तिगत एजेंडा’ ही कहलाएगा।