Sunday, September 1, 2024
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अब तुम हॉट नहीं हो: संघी निकले मिलिंद सोमन तो लिबरल गिरोह की होली हुई ख़राब

"मैं उस समय लगभग 9 साल का था और वहीं हम खेल-कूद में हिस्सा लेते और अनुशासन में रहना सीखा करते थे। मैं संघ की शाखा सहित दो-तीन कैंपों में भी गया, जहाँ मेरी तरह हज़ारों बच्चे आते थे। वहीं पर हमें बताया जाता था कि अच्छे नागरिक कैसे बनें, आत्मनिर्भर कैसे बनें। उस समय मैंने जो सीखा, उस पर मैं अब तक अमल करता रहा हूँ।"

सुपरमॉडल मिलिंद सोमन के बारे में जैसे ही खुलासा हुआ कि उनका राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से पुराना सम्बन्ध रहा है, लिबरलों और सेकुलरों का एक बड़ा वर्ग उनके ख़िलाफ़ उतर आया। हाल ही में उनकी किताब ‘मेड इन इंडिया- ए मोमॉयर’ लॉन्च हुई है। इसे उन्होंने लेखिका रूपा पाई के साथ मिल कर लिखा है। उन्होंने इस किताब पर चर्चा के दौरान बताया कि जब वो 10 वर्ष के थे, तब वो आरएसएस की शाखा में नियमित रूप से जाया करते थे। मिलिंद मुंबई के जिस शिवाजी पार्क में पले-बढ़े, वहाँ कई बच्चे संघ की शाखा में जाया करते थे।

मिलिंद ने बताया कि न तो वो राजनीति में थे और न ही उनका परिवार लेकिन उनके पिता नियमित तौर पर संघ की शाखा का हिस्सा बनते थे। मिलिंद सोमन ने संघ की प्रशंसा करते हुए अपने अनुभव कुछ यूँ साझा किया:

“मैं उस समय लगभग 9 साल का था और वहीं हम खेल-कूद में हिस्सा लेते और अनुशासन में रहना सीखा करते थे। मैं संघ की शाखा सहित दो-तीन कैंपों में भी गया, जहाँ मेरी तरह हज़ारों बच्चे आते थे। वहीं पर हमें बताया जाता था कि अच्छे नागरिक कैसे बनें, आत्मनिर्भर कैसे बनें। उस समय मैंने जो सीखा, उस पर मैं अब तक अमल करता रहा हूँ।

मिलिंद सोमन ने ये भी बताया कि आरएसएस के नजदीक जाने पर उन्हें कहीं भी ऐसा नहीं लगा कि ये संगठन राजनीतिक है। उन्हें कहीं भी राजनीति नहीं दिखी। उन्होंने बताया कि वो संघ के जिन लोगों से मिलते थे, वो भी राजनीतिक नहीं लगे। हालाँकि, उन्होंने कहा कि हो सकता है बाद में राजनीति संघ से जुड़ गई हो। सोशल मीडिया पर लोगों ने लिखा कि मिलिंद सोमन ने तो ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ मिल कर लिबरल गिरोह की होली ही ख़राब कर दी।

लिबरल गिरोह के कुछ लोगों ने लिखा कि उनके लिए मिलिंद सोमन अब ‘हॉट’ नहीं हैं। नंदिनी डिसूजा नामक यूजर ने मजाक उड़ाते हुए लिखा कि संघ की शाखाओं में जाने का ही कमाल है कि मिलिंद सोमन अंडरवियर में अच्छे-अच्छे पोज देते रहे हैं। इसी तरह कई अन्य सेक्युलर गिरोह के लोगों ने सोमन से नाराज़गी जताई और कहा कि पहले वो उनके फैंस हुआ करते थे।

मिलिंद सोमन ने बताया कि उनके पिता का मानना था कि संघ के कैम्पों में जाने से और इससे जुड़ने से एक युवा लड़के में अनुशासन, जीने के तरीके, फिटनेस और सोचने के ढंग में बड़े सकारात्मक बदलाव आते हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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