Saturday, November 23, 2024
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रोड टू रामलला: 1528 से 2019 तक का सफर, राम मंदिर के लिए हिंदुओं के संघर्ष की पूरी कहानी

17 मार्च 1886 को महंत रघुबर दास ने जिला जज फैजाबाद कर्नल एफईए कैमियर की अदालत में अपील दायर की। कैमियर ने अपने फैसले में कहा कि मस्जिद हिंदुओं के पवित्र स्थान पर बनी है। पर अब देर हो चुकी है। 356 साल पुरानी गलती को सुधारना इतने दिनों बाद उचित नहीं होगा। यथास्थिति बनाए रखें।

शनिवार (9 नवंबर 2019) को वह इंतजार पूरा हुआ जिसका हिंदू दशकों से इंतजार कर रहे थे। अयोध्या में राम मंदिर के लिए लंबे संघर्ष के बाद सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया है। शीर्ष अदालत ने विवादित जगह पर दूसरे मजहब के दावे को खारिज करते हुए केंद्र सरकार से मंदिर निर्माण के लिए तीन महीने में ट्रस्ट बनाने को कहा है। मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने से लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले तक का पूरा घटनाक्रम;

  • 1528: बाबर के सेनापति मीर बाकी ने अयोध्या में भगवान राम के जन्मस्थान पर ​मस्जिद का निर्माण करवाया।
  • 1528-1731: इमारत पर कब्जे को लेकर हिंदू और मुगलों के बीच 64 बार संघर्ष हुए।
  • 1822: फैजाबाद अदालत के मुलाजिम हफीजुल्ला ने सरकार को भेजी एक रिपोर्ट में कहा कि राम के जन्मस्थान पर बाबर ने मस्जिद बनवाई।
  • 1852: अवध के अंतिम नवाब वाजिद अली शाह के शासन में पहली बार यहॉं मारपीट की घटना का लिखित जिक्र मिलता है। निर्मोही पंथ के लोगों ने दावा किया कि बाबर ने एक मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई थी।
  • 1855: हनुमानगढ़ी पर बैरागियों और मुगलों के बीच संघर्ष हुआ। वाजिद अली शाह ने ब्रिटिश रेजिडेंट मेजर आर्टम को अयोध्या के हालात पर एक पर्चा भेजा। इसमें 5 दस्तावेज लगाकर यह बताया गया कि इस विवादित इमारत को लेकर यहॉं अक्सर हिंदू और दूसरे मजहब के बीच तनाव रहता है।
  • 1859: ब्रिटिश हुकूमत ने इस पवित्र स्थान की घेराबंदी कर दी। अंदर का हिस्सा नमाज के लिए और बाहर का हिस्सा हिंदुओं को पूजा के लिए दिया गया।
  • 1860: डिप्टी कमिश्नर फैजाबाद की कोर्ट में मस्जिद के खातिब मीर रज्जन अली ने एक दरखास्त लगाई कि मस्जिद के परिसर में एक निहंग सिख ने निशान साहिब गाड़कर एक चबूतरा बना दिया है, जिसे हटाया जाए।
  • 1877: मस्जिद के मुअज्जिन मोहम्मद असगर ने डिप्टी कमिश्नर के दफ्तर में फिर से अर्जी देकर शिकायत की कि बैरागी महंत बलदेव दास ने मस्जिद परिसर में एक चरण पादुका रख दी है, जिसकी पूजा हो रही है। उन्होंने पूजा के लिए चूल्हा बनाया है। अदालत ने कुछ हटवाया तो नहीं लेकिन मस्जिद में जाने का दूसरा रास्ता बनवा दिया।
  • 15 जनवरी 1885: पहली बार इस जमीन पर मंदिर बनवाने की मॉंग अदालत पहुॅंची। महंत रघुबर दास ने पहला केस फाइल किया। उन्होंने राम चबूतरा पर एक मंडप बनाने की इजाजत मॉंगी। संयोग से इसी साल भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस की स्थापना भी हुई।
  • 24 फरवरी 1885: फैजाबाद की जिला अदालत ने महंत रघुबर दास की अर्जी को यह कहते हुए खारिज कर दी कि वह जगह मस्जिद के बेहद करीब है। जज हरिकिशन ने अपने फैसले में माना किया चबूतरे पर रघुबर दास का कब्जा है। उन्हें एक दीवार उठाकर चबूतरे को अलग करने को कहा, लेकिन मंदिर बनाने की इजाजत नहीं दी।
  • 17 मार्च 1886: महंत रघुबर दास ने जिला जज फैजाबाद कर्नल एफईए कैमियर की अदालत में अपील दायर की। कैमियर ने अपने फैसले में कहा कि मस्जिद हिंदुओं के पवित्र स्थान पर बनी है। पर अब देर हो चुकी है। 356 साल पुरानी गलती को सुधारना इतने दिनों बाद उचित नहीं होगी। यथास्थिति बनाए रखें।
  • 20-21 नवंबर 1912: बकरीद के मौके पर अयोध्या में गौहत्या के खिलाफ पहला दंगा हुआ। यहॉं 1906 से ही म्यूनिसिपल कानून के तहत गौहत्या पर पाबंदी थी।
  • मार्च 1934: फैजाबाद के शाहजहॉंपुर में हुई गौहत्या के विरोध में दंगे हुए। नाराज हिंदुओं ने बाबरी मस्जिद की दीवार और गुंबद को नुकसान पहुॅंचाया। सरकार ने बाद में इसकी मरम्मत करवाई।
  • 1936: इस बात की कमिश्नरी जॉंच की गई कि क्या बाबरी मस्जिद बाबर ने बनवाई थी।
  • 20 फरवरी 1944: आधिकारिक गजट में एक जॉंच रिपोर्ट प्रकाशित हुई। यह 1945 में शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड के फैजाबाद की रेवेन्यू कोर्ट में मुकदमे के दौरान सामने आई।
  • 22-23 दिसंबर 1949: भगवान राम की मूर्ति विवादित इमारत के भीतर प्रकट हुई। दोनों पक्षों ने केस दायर किए। सरकार ने इलाके को विवादित घोषित कर इमारत की कुर्की के आदेश दिए। लेकिन, पूजा-अर्चना जारी रही।
  • 29 दिसंबर 1949: फैजाबाद म्यूनिसिपल बोर्ड के चेयरमैन प्रिया दत्त राम को विवादित परिसर का रिसीवर नियुक्त किया गया।
  • 1950: हिंदू महासभा के गोपाल सिंह विशारद और दिगंबर अखाड़े के महंत परमहंस रामचंद्रदास ने अदालत में याचिका दायर कर जन्मस्थान पर स्वामित्व का मुकदमा ठोंका। दोनों ने वहॉं पूजा-पाठ की इजाजत मॉंगी। सिविल जज ने भीतरी हिस्से को बंद रखकर पूजा-पाठ की इजाजत देते हुए मूर्तियों को न हटाने के अं​तरिम आदेश दिए।
  • 26 अप्रैल 1955: हाई कोर्ट ने सिविल जज के अंतरिम आदेश पर मुहर लगाई।
  • 1959: निर्मोही अखाड़े ने एक दूसरी याचिका दायर कर विवादित स्थान पर अपना दावा जताया। स्वयं को रामजन्मभूमि का संरक्षक बताया।
  • 1961: सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने मस्जिद में मूर्तियों के रखे जाने के विरोध में याचिका दायर की। दावा किया कि मस्जिद और उसके आसपास की जमीन एक कब्रगाह है, जिस पर उसका दावा है।
  • 29 अगस्त 1964: जन्माष्टमी के मौके पर मुंबई में विश्व हिंदू परिषद की स्थापना।
  • 7-8 अप्रैल 1984: मंदिर निर्माण के लिए राम जन्मभूमि मुक्ति यज्ञ समिति बनी। महंत अवैद्यनाथ अध्यक्ष बने। रथयात्राएँ निकाली गई। राम मंदिर आंदोलन ने जोर पकड़ा।
  • 1 फरवरी 1986: फैजाबाद की अदालत ने इमारत का ताला खोलने का आदेश दिया। हिंदुओं को पूजा-पाठ की इजाजत मिली।
  • 3 फरवरी 1986: ताला खोले जाने के खिलाफ हाई कोर्ट में हाशिम अंसारी ने अपील की।
  • 5-6 फरवरी 1986: सैयद शहाबुद्दीन ने प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप की अपील की। 14 फरवरी को शोक दिवस मनाने की अपील की।
  • 6 फरवरी 1986: लखनउ में मजहब विशेष की एक सभा हुई। बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के गठन का ऐलान। मौलाना मुजफ्फर हुसैन किछौछवी अध्यक्ष और मोहम्मद आजम खान तथा जफरयाब जिलानी संयोजक बने।
  • 23-24 दिसंबर 1986: सैयद शहाबुद्दीन की अध्यक्षता में दिल्ली में बाबरी मस्जिद कोऑर्डिनेशन कमेटी का गठन। 1987 के गणतंत्र दिवस समारोह के बहिष्कार का ऐलान।
  • जून 1989: पालमपुर में बीजेपी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक। मंदिर आंदोलन पहली बार बीजेपी के एजेंडे में। एक प्रस्ताव पास कर राम मंदिर बनाने का संकल्प लिया गया। कहा गया कि यह आस्था का सवाल है। अदालत फैसला नहीं कर सकती।
  • 1 अप्रैल 1989: विहिप ने धर्मसंसद बुलाई। 30 सितंबर को प्रस्तावित मंदिर के शिलान्यास का ऐलान।
  • 14 अगस्त 1989: हाई कोर्ट का आदेश यथास्थिति बरकरार रखी जाए।
  • अक्टूबर-नवंबर 1989: मंदिर निर्माण के लिए पूरे देश से साढ़े तीन लाख रामशिलाएॅं अयोध्या पहुॅंची।
  • 9 नवंबर 1989: राम मंदिर का शिलान्यास प्रस्तावित मंदिर के सिंहद्वार पर हुआ।
  • फरवरी 1990: कारसेवा का ऐलान।
  • जून 1990: विहिप की बैठक में 30 अक्टूबर से मंदिर निर्माण कार्य शुरू करने का ऐलान।
  • 25 सितंबर 1990: सोमनाथ से अयोध्या के लिए लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा शुरू।
  • 30 अक्टूबर-2 नवंबर 1990: कारसेवक लाखों की संख्या में अयोध्या पहुॅंचे। मुलायम सिंह की सरकार ने गोली चलवाई। 40 से ज्यादा कारसेवक मारे गए।
  • 7-10 अक्टूबर 1991: कल्याण सिंह की सरकार ने 2.77 एकड़ विवादित जमीन का अधिग्रहण किया।
  • 6 दिसंबर 1992: बाबरी मस्जिद गिरा दी गई।
  • अप्रैल 2002: हाई कोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच ने इस बात पर सुनवाई शुरू की कि विवादित स्थल पर किसका अधिकार है।
  • 2003: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को खुदाई करने के निर्देश दिए।
  • जुलाई 2005: विवादित स्थल पर आतंकी हमला। सुरक्षा बलों ने पॉंच आतंकियों को मार गिराया।
  • जून 2009: लिब्राहन आयोग ने बाबरी विध्वंस पर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी।
  • 2010: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया। विवादित स्थल को तीन हिस्सों में बॉंट दिया।
  • मई 2011: सुप्रीम कोर्ट ने आदेश पर रोक लगाई। यथास्थिति बनाए रखने को कहा।
  • 21 मार्च 2017: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामला संवेदनशील है। समाधान कोर्ट के बाहर होना चाहिए। सभी पक्षों से एक राय बनाकर समाधान ढूॅंढ़ने को कहा।
  • 14 मार्च 2018: सुप्रीम कोर्ट ने सभी 32 हस्तक्षेप अर्जियों को खारिज कर दिया। वही पक्षकार बचे जो इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले में शामिल थे।
  • 6 अगस्त 2019: मध्यस्थता प्रक्रिया नाकाम होने के बाद सुप्रीम कोर्ट में रोजान सुनवाई शुरू।
  • 16 अक्टूबर 2019: 40 दिन दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा।
  • 9 नवम्बर 2019: सुप्रीम कोर्ट ने बहुप्रतीक्षित फ़ैसला सुनाया। पूरी विवादित ज़मीन रामलला की। मंदिर वहीं बनेगा। मस्जिद के लिए अयोध्या में ही कहीं और 5 एकड़ ज़मीन दी जाएगी।

(साभार: हेमंत शर्मा द्वारा रचित पुस्तक ‘युद्ध में अयोध्या’)

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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