एक तरफ जहाँ भारत समेत पूरी दुनिया कोरोना से लड़ने को हर सम्भव कदम उठा रही है, एक के बाद एक देश खुद को लॉक डाउन करता जा रहा है। वहीं इस वैश्विक महामारी से लड़ने में केंद्र और राज्य सरकारों का सहयोग करने की जगह समुदाय विशेष ने अलग ही माहौल बनाया है। सोशल मीडिया पर वायरल इनके वीडियो में किसी ने कोरोना को कुरान से निकला घोषित कर दिया जिससे समुदाय विशेष को डरने की कतई जरूरत नहीं, तो किसी ने इसे अल्लाह का अज़ाब करार दिया।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक विवादास्पद मजहबी गुरु ने इस संवेदनशील विषय पर कहा था कि उइगरों से क्रूरता करने के कारण अल्लाह ने चीन पर इस वायरस का कहर भरपाया है और उन्हें दंडित किया है। एक ऑडियो में धर्मगुरु को चीन से कहते सुना जा सकता है कि याद करो कैसे उन्होंने उइगरों को धमकी दी थी और दो करोड़ मु###नों की जिंदगी बर्बाद करने की कोशिश की। मु###नों को शराब पीने के लिए मजबूर किया गया, उनकी मस्जिदों को तोड़ दिया गया और उनकी पवित्र पुस्तकों को जला दिया गया। इलियास ने कहा कि चीन ने सोचा कि कोई भी उन्हें चुनौती नहीं दे सकता, लेकिन अल्लाह सबसे शक्तिशाली है, अल्लाह ने चीन को सजा दी।
वहीं शाहीन बाग़ की महिला प्रदर्शनकारियों ने इसे मोदी के किए की सजा बतलाया। मीडिया से बातचीत में शाहीन बाग की एक महिला प्रदर्शनकारी ने कहा था, “यह अल्लाह का अज़ाब है, मैं कोरोना वायरस के फैलते प्रकोप से जरा भी नहीं डरती हूँ। अगर सरकार को हमारी चिंता है, तो उन्हें पहले ये काला कानून वापस लेना होगा।”
इन सब मूर्खतापूर्ण बयानबाजियों के बीच कोरोना महामारी से बेहाल इस्लामी देशों में कोरोना से संक्रमित मरीजों और हुई मौतों के आँकड़ों पर एक नजर डालना समीचीन होगा।
चीन और इटली के बाद कोरोना वायरस से अगर कोई देश सबसे ज्यादा संकटग्रस्त है तो वह इस्लामिक मुल्क ईरान है जहाँ अब तक इस वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या 23,049 पहुँच चुकी है जिसमें से कुल 1812 लोगों की मौत हो चुकी है। इसी तरह मलेशिया में 1518 मामले और 14 मौतें, तुर्की में 1236 मामले और 30 मौतें, और पाकिस्तान में अब तक 825 संक्रमण के मरीज तथा 6 मौतों की खबर आई है।
इनके अलावा इंडोनेशिया से 579 मामले और 49 मौतें, बहरीन से क्रमशः 339 और 2, सऊदी अरबिया से 562 कोरोना मामले और शून्य मौतें फिलहाल तक, तथा इराक से 266 मामले सामने आए हैं जिनमें से 23 की मौत हो चुकी है। इसी प्रकार क़तर से 494 कोरोना संक्रमित मरीजों की पुष्टि की खबरें आईं हैं, जबकि अल्जीरिया से अब तक 201 पॉजिटिव मामले और 17 मौतों की खबर आ चुकी है। यही हाल अफगानिस्तान आदि इस्लामी देशों का भी है।
इन दुर्भाग्यपूर्ण खबरों और आँकड़ों को जुटाने का मकसद किसी मौत का मखौल उड़ाना नहीं है, यह सिर्फ उन घटिया चरमपंथी कठमुल्लों और बुर्कानशीं महिलाओं को आईना दिखाना है जो किसी वैश्विक महामारी के समय भी यह कहने का साहस जुटा पाते हैं कि यह बिमारी सिर्फ उन्हें होगी जो अल्लाह को नहीं मानते। समझ नहीं आता कि ऐसे लोग, इस्लामिक देशों में होतीं इन मौतों पर अब क्या जवाब देंगे?