साल 2021 जाने को है। बात चाहे राजनीति गलियारों की हो या फिर मनोरंजन की दुनिया की… ऐसी तमाम चीजें घटित हुईं जिनके कारण यह साल याद रखा जाएगा। साल 2020 में अभिनेता सुशांत सिंह सिंह राजपूत की मौत के बाद जो ड्रग्स का दलदल सामने आया था, इस साल बॉलीवुड उसमें और ज्यादा धँस गया। इस्लामी कट्टरपंथ की खबरों के बीच मौलाना के वे वीडियो भी वायरल हुए जिनमें हूरों की व्याख्या की गई थी। नीरज चोपड़ा का भाला तो खैर स्वर्णिम था ही। ऐसे में ऑपइंडिया भी उन खबरों को आपके साथ साझा कर रहा है जो इस वर्ष वायरल हुईं।
आइए ये खबरें संक्षिप्त में एक बार आपको दोबारा रिवाइंड कराते हैं।
तैमूर को गणपति के सामने देख बिदके कट्टरपंथी
मनोरंजन नगरी में किसी बड़े चेहरे की चर्चा हो या न हो, लेकिन करीना और सैफ अली खान के बेटे तैमूर की चर्चा हमेशा रहती है। हालाँकि, इस साल तैमूर का भगवान गणेश के आगे माथा टेकना कट्टरपंथियों को नाराज कर गया। 10 सितंबर को जब तैमूर ने अपने माता-पिता के साथ गणेश भगवान को नमन किया और करीना कपूर खान ने बाद में इसकी फोटो इंस्टा पर शेयर की, तो कट्टरपंथी बिदके दिखाई दिए। उन्होंने तैमूर की माँ करीना और पिता सैफ के लिए लाख लानतें भेजीं थीं।
जीता पाकिस्तान, मगर बांग्लादेश ने ट्रॉफी देने से किया मना
साल 2021 में पाकिस्तान के साथ कुछ हास्यास्पद घटनाएँ भी हुईं। मसलन इस साल नवंबर के महीने में पाकिस्तान की क्रिकेट टीम और बांग्लादेश टीम के बीच टी-20 सीरीज हुई। इस सीरीज को जीता पाकिस्तान ने, मगर बांग्लादेश के क्रिकेट बोर्ड ने ट्रॉफी देने से मदद कर दिया। जब सवाल हुए तो बोर्ड के अध्यक्ष की अनुपस्थिति का हवाला देकर पाकिस्तान को तसल्ली दे दी गई।
मौलाना ने बताए इस्लाम के फायदे
वैसे तो साल 2021 में कई मजहबी ठेकेदारों ने समय-समय पर इस्लाम के फायदे गिनाने की कोशिश की मगर, जो सबसे विस्तृत और विवादित जानकारी इस वर्ष सुनने में आई वो मौलाना ईपी अबबूकर द्वारा दी गई थी। मलयाली में भाषण देते हुए इस मौलानाा ने बताया था कि आखिर मुस्लिम को जन्नत में क्या मिलता है। इस सूची में उसने बड़े-बड़े स्तन वाली महिलाओं को भी रखा हुआ था।
मौलवी ने कहा था, “अगर जन्नत में जाने वाले किसी मुस्लिम को बड़े-बड़े स्तनों वाली महिलाओं की ज़रूरत होगी, तो अल्लाह उन्हें उनकी पसंद के हूर देते हैं। जन्नत में अल्लाह ने शराब की एक नदी बना रखी है, जिसमें वहाँ रहने वालों को तैरने की पूरी अनुमति है। वहाँ पर शराब पीने पर कोई प्रतिबंध नहीं है, क्योंकि अल्लाह ने ही शराब की नदी का निर्माण किया है।”
सूर्यवंशी फिल्म को लेकर वामपंथी मीडिया के सवाल
इस वर्ष अक्षय कुमार की एक फिल्म सूर्यवंशी रिलीज हुई थी जिसे देख वामपंथी भड़के दिखाई दिए। कारण था कि फिल्म में निर्देशक ने एक नेगेटिव कैरेक्टर में मुसलमान को दिखा दिया। जब यही वामपंथी मीडिया अपने सवालों को लेकर फिल्म निर्देशक रोहित शेट्टी के पास पहुँचा और उनका इंटरव्यू लिया तो फिल्म निर्देक ने द क्विंट की पत्रकार को जमकर सुनाया। शेट्टी ने पूछा कि आखिर जब उन्होंने फिल्म हिंदू खलनायकों को दिखाया तो उस पर आपत्ति क्यों नहीं जाहिर की गई। उन्होंने द क्विंट की पत्रकार अबीरा धर से पूछा था, “अगर मैं आपसे एक सवाल पूछूँ… जयकांत शिकरे (सिंघम में) एक हिंदू मराठी थे। फिर दूसरी फिल्म आई, जिसमें एक हिंदू बाबा थे। फिर सिम्बा में दुर्वा रानाडे फिर से महाराष्ट्रियन थे। इन तीनों में नेगेटिव किरदार में हिंदू थे, तो फिर यह कोई समस्या क्यों नहीं है?”
‘नीरज चोपड़ा का भाला गया गलत जगह’
नीरज चोपड़ा द्वारा टोक्यो ओलंपिक्स में गोल्ड जीतने के बाद जो ख्याति उन्हें विश्व भर में मिली, उसे देख भारतीय अब भी अभिभूत हैं। हालाँकि, इस ख्याति के बीच उनके द्वारा किए गए कुछ पुराने ट्वीट ने देश के लिबरलों को कैसे तंग किया और कैसे कई जगह मोदी समर्थक होने के कारण उन पर बातें हुईं, इस पर ऑपइंडिया में प्रकाशित एक तंज को भी पाठकों से इस वर्ष भर-भर के प्यार मिला। ये आर्टिकल मुख्यत: ऐसे वामपंथियों पर था जिन्हें नीरज के मोदी समर्थक होने से समस्या थी और जो पुराने ट्वीट देख समझ नहीं पा रहे थे कि वो स्वर्ण विजेता नीरज चोपड़ा की आलोचना करें तो कैसे करें।
‘मैं मूर्तिभंजक हूँ’
सिखों और हिंदुओं के इतिहास की बात करते हुए इस वर्ष ऑपइंडिया पर आपको कुछ लेख पढ़ने को मिले, जिन्हें पाठकों ने काफीं पसंद किया। इसी क्रम में एक लेख में आपको बताया गया था कि गुरु गोबिंद सिंह ने कभी औरंगजेब की प्रशंसा भी की थी और साथ ही साथ खुद को मूर्तिभंजक भी कहा था और हिंदू पहाड़ी राजाओं से युद्ध करके उन्हें खासा नुकसान भी पहुँचाया था। ये सारा इतिहास किताबों में मौजूद था जिसे लेख की शक्ल में ऑपइंडिया पर लाया गया और ऑपइंडिया के पाठकों ने इसे खूब पढ़ा।
आर माधवन ने नमाजी के सामने पढ़ा गायत्री मंत्र, वीडियो वारयल
2021 में एक ओटीटी शो जिसकी सोशल मीडिया पर खासी चर्चा हुई उसमें नेटफ्लिक्स सीरीज़ Decoupled भी है। दरअसल इस सीरीज की एक क्लिप कुछ दिन पहले ही सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुई। इसमें आर माधवन, आर्य अय्यर की भूमिका में हैं। जो एक सफल उपन्यास लेखक हैं लेकिन एयरपोर्ट पर उनकी पीठ में दर्द होता है। वो स्ट्रेचिंग के लिए जगह तलाशते हैं और इसी दौरान एक प्रेयर रूम में चले जाते हैं। जब माधवन अपनी स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज शुरू करते हैं, तो वहाँ नमाज पढ़ने वाला शख्स चिढ़ जाता है और आपत्ति जाहिर करता है। इसके बाद अय्यर स्ट्रेचिंग करते हुए गायत्री मंत्र पढ़ने लगता है जिसके बाद व्यक्ति कुछ नहीं बोल पाता।
मयूर शेलके को मिला बहादुरी के लिए अवार्ड
इस वर्ष कुछ सकारात्मक खबरों ने भी पाठकों के मन में काफी जगह बनाए रखी। उदाहरण के लिए आपको शायद याद हो मुंबई के करीब वन्गनी रेलवे स्टेशन पर एक बच्चा पटरी पर गिर गया था, तब सेंट्रल रेलवे के मुंबई डिवीजन में बतौर प्वाइंट्समैन कार्यरत मयूर शेलके ने अपनी बहादुरी का परिचय देते हुए ट्रेन के सामने से उसे बचाया था और जब इस बहादुरी के लिए पुरस्कृत किया गया तो उन्होंने उस रकम को भी उस बच्चे को आधा दे दिया जिसकी उन्होंने जान बचाई थी। इस खबर को सुन केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने उनकी खूब तारीफ की थी।
‘ममता बनर्जी कैसे करती हैं कंट्रोल’
वर्तमान में कई मीडियाकर्मी खुद को निष्पक्ष दिखाते दिखाते कुछ ऐसे सवाल कर देते हैं जिनके कारण उनका हर जगह मखौल उड़ता है। ये सवाल अगर किसी राजनैतिक हस्ती से हों, तो चर्चा होना लाजिमी है। इस वर्ष बंगाल चुनावों के समय भी कुछ यही हुआ है। एक पत्रकार हैं साक्षी जोशी, जिन्होंने चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर से सवाल पूछा था कि आखिर ममता बनर्जी एक से दूसरी जगह प्रचार करने जाती हैं और बिन रुके वो स्टेज पर बोलती हैं, तो आखिर वो शौचालय कब जाती हैं। दिलचस्प बात ये है कि ये ऑडियो चैट कोई पर्सनल नहीं की जा रही थी बल्कि इसमें साक्षी के अलावा आरफा खानम, रोहिणी सिंह, स्वाति चतुर्वेदी जैसे लुटियन पत्रकारों का पूरा समूह था जहाँ पत्रकार साक्षी जोशी, ममता बनर्जी के कंट्रोल करने की क्षमता पर आश्चर्य जता रही थीं।
भूरीबाई को मिला पद्मश्री
मध्य प्रदेश की आदिवासी चित्रकार भूरी देवी को ‘भारत भवन’ के स्थापना दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किए जाने की खबर भी हमारे पाठकों को काफी पसंद आई। दरअसल, उनकी कहानी में दिलचस्प ये था कि जब भारत भवन का निर्माण शुरू हुआ था, तब वो 6 रुपए प्रतिदिन की दिहाड़ी पर बतौर मजदूर वहाँ काम करती थीं। उन्हें कभी उम्मीद नहीं थी कि इसी ‘भारत भवन’ में वो मुख्य अतिथि बनेंगी। बता दें कि भूरी भाई को पद्मश्री से सम्मानित होने के बाद ये अवसर मिला था। वहीं पुरस्कार की बात करें तो उन्हें पिथोरा पेंटिंग के जरिए जनजातीय परंपराओं को जीवित रखने कि लिए ये सम्मान मिला था।