Monday, December 30, 2024
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आटा-तेल बेचने के धंधे से हटेगा अडानी ग्रुप, Fortune वाली कम्पनी Adani Wilmar Limited में बेचेगा हिस्सेदारी:₹17000 करोड़ में डील, एनर्जी और ट्रांसपोर्ट जैसे बिजनेस में लगाएगा पैसा

अडानी समूह की Wilmar के साथ 1999 से ही साझेदारी है। Wilmar सिंगापुर की एक कम्पनी है। दोनों कम्पनियाँ मिल कर भारत में खाने के तेल, आटा-चावल, रवा, मैदा समेत सोयाबीन जैसे कई सामान बेचती है। अडानी Wilmar देश में खाने के तेल में मामले में नम्बर 1 कंपनी है। अडानी समूह की AWL में अभी 44% हिस्सेदारी है।

अडानी समूह जल्द ही रोजमर्रा के सामान (FMCG) बेचने के धंधे से बाहर आ जाएगा। इसके लिए वह Wilmar कम्पनी के साथ चली आ रही अपनी साझेदारी कंपनी अडानी Wilmar लिमिटेड (AWL) से हिस्सेदारी खत्म करेगा। अपने इस धंधे को Wilmar के हाथों बेचने से उसे 2 बिलियन डॉलर (₹17,000 करोड़) मिलेंगे।

इस पैसे का इस्तेमाल अडानी समूह अब बाकी एनर्जी और ट्रांसपोर्ट जैसे धंधों को बढ़ाने के लिए करेगा। अडानी समूह यह कार्रवाई लगभग 6 माह के भीतर पूरी करेगा। अडानी समूह लम्बे समय से खाने-पीने की वस्तुओं की व्यापार में है। अडानी समूह की Wilmar के साथ 1999 से ही साझेदारी है। Wilmar सिंगापुर की एक कम्पनी है।

दोनों कम्पनियाँ मिल कर भारत में खाने के तेल, आटा-चावल, रवा, मैदा समेत सोयाबीन जैसे कई सामान बेचती है। अडानी Wilmar देश में खाने के तेल में मामले में नम्बर 1 कंपनी है। अडानी समूह की AWL में अभी 44% हिस्सेदारी है। अडानी समूह को इस बिक्री से जो पैसा मिलेगा, उसका इस्तेमाल दूसरे क्षेत्र में होगा।

वर्तमान में AWL लगभग ₹43000 करोड़ की कम्पनी है। इसका शेयर वर्तमान में ₹300 के ऊपर है। Wilmar और अडानी समूह यह डील मार्च, 2025 तक पूरी कर लेंगे। इस डील में 31% हिस्सा सीधे तौर पर Wilmar को बेच दिया जाएगा जबकि बाकी 13% हिस्सा शेयरधारकों को शेयर बाजार में बेचा जाएगा।

अडानी समूह डील से मिले पैसे को एयरपोर्ट, सोलर एनर्जी और बाकी प्रोजेक्ट में निवेश करेगा। वर्तमान में अडानी समूह देश में सबसे बड़ा एयरपोर्ट ऑपरेटर और सबसे बड़ी स्वच्छ ऊर्जा की कम्पनी है। अडानी समूह पर हाल ही में अमेरिका में न्याय विभाग ने रिश्वतखोरी और गड़बड़ी समेत कई आरोप जड़े थे।

इसके चलते उसे कई प्रोजेक्ट का नुकसान भी उठाना पड़ा था। उसे अमेरिकी बाजार से निवेश जुटाने में इसके बाद दिक्कत आई थी। हालाँकि, इस डील से उसे निवेश की समस्या भी नहीं रहेगी और उसकी साख में इजाफा होगा। अडानी समूह ने अक्टूबर, 2024 में ही 500 मिलियन डॉलर (लगभग ₹4250 करोड़) जुटाए थे।

मार्च, 2025 में अडानी विलमर डील पूरी होने के बाद अडानी समूह के पास ₹20000 करोड़ से अधिक धनराशि होगी। इसका इस्तेमाल अपने बाकी धंधों में निवेश और कर्ज चुकता करने में कर पाएँगे। अडानी समूह के निकलने के बाद अडानी Wilmar लिमिटेड को नया नाम दिया जाएगा।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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