Wednesday, April 30, 2025
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गोधरा नरसंहार के चश्मदीद ईसाई शख्स का वो पत्र, जिसने 23 साल पहले ही खोल दी थी साजिश की पोल: पढ़ लें ‘L2: एम्पुरान’ बनाने वाले

"उस दिन हजारों लोग बाबरी मस्जिद के पक्ष में नारे लगाते हुए रेलवे स्टेशन के आसपास इकट्ठा हो गए थे। पुलिस ने उन्हें क्यों नहीं रोका? इसका मुख्य कारण कॉन्ग्रेस का पार्षद था।"

गुरुवार (27 मार्च, 2025) को मोहनलाल की मलयालम फिल्म ‘L2: एम्पुरान’ रिलीज़ हुई, लेकिन यह फिल्म कुछ ही घंटों में गंभीर आलोचनाओं का शिकार हो गई। इसका कारण था – फिल्म के भीतर 2002 के गोधरा दंगों का गलत चित्रण किया जाना। फिल्म में हिंदुओं को संवेदनहीन और बेरहम दिखाने के साथ-साथ गोधरा दंगों के संदर्भ में एक हिंदू-विरोधी संदेश भी दिया गया था। रिपोर्ट्स के अनुसार, फिल्म के एक दृश्य में एक मुस्लिम परिवार को हिंदू दक्षिणपंथी चरमपंथियों द्वारा बर्बरता से मारे जाते हुए दिखाया गया है, जो कि विवाद का कारण बना।

इस भारी आलोचना के बाद, मोहनलाल ने रविवार (30 मार्च, 2025) को एक सार्वजनिक बयान जारी किया, जिसमें उन्होंने ये स्वीकार किया कि फिल्म के कुछ हिस्सों से उनके कई प्रशंसकों को ठेस पहुँची है। अभिनेता ने यह स्पष्ट किया कि फिल्म में जो कुछ भी गलत तरीके से दिखाया गया, वह हटा दिया जाएगा।

मोहलाल ने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा, “मुझे यह जानकारी मिली है कि लूसिफ़र फ़्रैंचाइज़ के दूसरे भाग ‘एम्पुरान’ में शामिल कुछ राजनीतिक और सामाजिक प्रसंगों के कारण मेरे कुछ चाहने वाले परेशान हैं।” उन्होंने आगे कहा, “एक कलाकार के तौर पर मेरा यह कर्तव्य है कि मैं यह सुनिश्चित करूँ कि मेरी फिल्मों से किसी भी राजनीतिक विचारधारा, आंदोलन या धार्मिक समूह के खिलाफ नफरत या नकारात्मकता न फैले। इसलिए, मैं और मेरी फिल्म की पूरी टीम इस आपकी इस नाराज़गी के लिए सच्चे दिल से खेद व्यक्त करते हैं और इसकी पूरी जिम्मेदारी लेते हैं। हमने यह निर्णय लिया है कि ऐसे विषयों को फिल्म से हटा दिया जाएगा।”

इस प्रकार मोहनलाल और फिल्म टीम ने अपनी गलती को स्वीकार करते हुए, इस विवाद को शान्त करने के लिए फिल्म में आवश्यक बदलाव करने का निर्णय लिया।

फिल्म ‘L2: एम्पुरान’ में मोहनलाल के सहायक अभिनेता सुकुमारन ने जायद मसूद नामक किरदार को निभाया था, उनके किरदार को गोधरा दंगों से जोड़ा गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, फिल्म में गोधरा दंगों से संबंधित कुछ दृश्य को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। खासतौर पर, सुकुमारन के किरदार की पृष्ठभूमि में गोधरा दंगों का संदर्भ दिया गया है, जिसके चलते फिल्म को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है।

इस फिल्म में यह भी दर्शाया गया है कि कैसे 2002 के गोधरा दंगों के दौरान गुजरात की तत्कालीन सत्तारूढ़ पार्टी, भाजपा, और उनके नेता नरेंद्र मोदी द्वारा केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग किया गया। फिल्म की शुरुआत एक परेशान करने वाले दृश्य से होती है, जिसमें गोधरा दंगों के बाद एक मुस्लिम गाँव को जलाए जाने का दृश्य प्रस्तुत किया जाता है। इसके बाद, फिल्म में कुछ और ग्राफिक और हिंसक दृश्य दिखाए जाते हैं, जिनमें एक मुस्लिम बच्चे को हिंदू पुरुषों द्वारा बेरहमी से पीटे जाते हुए और एक गर्भवती मुस्लिम महिला के साथ हिंसा करते हुए दिखाया गया है।

फिल्म को लेकर चल रहे इस विवाद के बीच, एक पुराना पत्र फिर से सामने आया है, जो जॉर्ज जोसेफ नामक एक ईसाई व्यक्ति ने 2002 में ‘मातृभूमि’ अख़बार में लिखा था। इस पत्र में गोधरा दंगों से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं का जिक्र किया गया था, जो आज भी इस पूरे मुद्दे पर चर्चा का विषय बने हुए हैं।

फिल्म में दिखाए गए इन विवादित दृश्यों ने न केवल दर्शकों बल्कि राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर भी कड़ी प्रतिक्रिया दी है।

पत्र में गोधरा कांड में पूर्व नियोजित साजिश का खुलासा किया

20 अप्रैल, 2002 को, गोधरा ट्रेन अग्निकांड के लगभग दो महीने बाद, जिसमें अयोध्या से लौट रहे 59 हिंदू कारसेवकों की मौत हो गई थी, पझूर के जॉर्ज जोसेफ नामक एक ईसाई व्यक्ति ने ‘मातृभूमि’ डेली को एक पत्र लिखा। इस पत्र में उन्होंने घटना के दिन की अपनी आँखों-देखी गवाही दी, जो बाद में मलयालम अखबार में प्रकाशित हुई।

जॉर्ज जोसेफ 12 साल से गोधरा रेलवे स्टेशन के पास एक छोटा व्यवसाय चला रहे थे, और वह 2002 के गोधरा कांड के प्रत्यक्षदर्शी थे। पत्र में जॉर्ज ने उस दिन की घटनाओं का विस्तृत वर्णन किया, जिससे गोधरा कांड की वास्तविक तस्वीर सामने आई। उनके इस पत्र ने वामपंथी और लिबरल मीडिया द्वारा पिछले दो दशकों से फैलाए गए झूठ को उजागर किया है।

जॉर्ज जोसेफ द्वारा मातृभूमि दैनिक को लिखा गया पत्र (स्रोत: रामिथ18/X)

जॉर्ज ने लिखा कि गोधरा में एक लंबे समय से सांप्रदायिक तनाव था, और यह क्षेत्र मुस्लिम बहुल था। उन्होंने आरोप लगाया था कि गोधरा कांड एक पूर्व नियोजित साजिश थी, जिसका मुख्य उद्देश्य तब के राजनीतिक वातावरण में अपनी ताक़त को साबित करना था। जॉर्ज ने यह भी खुलासा किया कि गोधरा कांड के बाद कॉन्ग्रेस के एक पार्षद और उसके गुंडों का हाथ था, जो स्टेशन के पास के इलाके में कई बार हिंसक घटनाओं को अंजाम देते थे।

पत्र में जॉर्ज ने यह भी बताया कि कैसे गोधरा कांड के बाद पुलिस ने कोई सख्त कदम नहीं उठाए और मुख्य आरोपी, जो एक कांग्रेस पार्षद था, के खिलाफ कार्रवाई करने से भी पुलिस हिचकिचाती रही। उनका यह पत्र न केवल गोधरा कांड की असली तस्वीर को पेश करता है, बल्कि उन लोगों को भी जवाब देता है जिन्होंने इस घटना के पीछे के वास्तविक कारणों को छिपाया है।

जॉर्ज जोसेफ द्वारा ‘मातृभूमि डेली’ को लिखा गया पत्र
स्रोत: रामिथ18/X

जॉर्ज जोसेफ ने पत्र में कहा कि गोधरा एक मुस्लिम बहुल क्षेत्र था, और इसलिए वहाँ कई वर्षों से सांप्रदायिक तनाव और विभाजन की स्थिति बनी रही थी। गैर-मुस्लिम लोग इस क्षेत्र में अत्यधिक डर और निरंतर तनाव में रहते थे, क्योंकि देश में कहीं भी सांप्रदायिक अशांति होती, तो उसका गोधरा पर गंभीर असर पड़ता था। जॉर्ज के अनुसार, गोधरा नरसंहार के पीछे मुख्य आरोपित कॉन्ग्रेस के पार्षद थे। उनके साथियों ने स्टेशन के पास कई बार हिंसक घटनाओं को अंजाम दिया। जॉर्ज ने दावा किया कि वो ख़ुद इन घटनाओं के गवाह थे। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अगर उन्होंने इनके खिलाफ शिकायत दर्ज की होती, तो वह आज जीवित नहीं होते और यह पत्र न लिख पाते।

जॉर्ज ने यह भी खुलासा किया कि ‘साबरमती एक्सप्रेस’ पर हमला एक पूरी तरह से पूर्व-नियोजित साजिश थी, जिसे कई हफ्तों पहले से योजना बनाई गई थी। उन्होंने लिखा, “उस दुर्भाग्यपूर्ण दिन रेलवे स्टेशन के आसपास हजारों लोग बाबरी मस्जिद के पक्ष में नारे लगाते हुए मौजूद थे। पुलिस ने उन्हें नियंत्रित करने का प्रयास क्यों नहीं किया? इसका मुख्य कारण कॉन्ग्रेस पार्षद था। यहाँ तक कि पुलिस भी उसे छूने की हिम्मत नहीं करती थी।”

पत्र में जॉर्ज ने यह भी बताया कि जलती हुई बोगी से कूदने में सफल रहे यात्री, जिनमें बच्चे भी शामिल थे, उन्हें भीड़ ने बेरहमी से पत्थरों से मारा। जॉर्ज को अपनी जान बचाने के लिए वहाँ से भागना पड़ा, क्योंकि वहाँ रहकर इन घटनाएँ देख को पाना असंभव था। उन्होंने सवाल उठाया, “कॉन्ग्रेस पार्टी दोषियों की निंदा करने और उनके असली चेहरे को उजागर करने के लिए क्यों तैयार नहीं है? मीडिया हमारे जैसे प्रत्यक्षदर्शियों से क्यों बच रही है?” अंत में उन्होंने यह स्पष्ट किया था कि यह सब वोट की राजनीति का हिस्सा है।

जॉर्ज ने लिखा था कि जब तक गोधरा की समस्याएँ हल नहीं हो जातीं, वे वहाँ वापस लौटने का विचार नहीं कर रहे हैं। उनके अनुसार, गोधरा में केवल मुस्लिम ही शांति से रह सकते हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया, “जब सांप्रदायिक विवाद होते हैं, तो बिना समस्या की असली जड़ का विश्लेषण किए पूर्वाग्रह बनाना उचित नहीं है। आज भी कई लोग ‘साबरमती एक्सप्रेस’ के यात्रियों को केरोसिन और पेट्रोल से जिंदा जलाने जैसे निर्दयी कृत्यों को सही ठहराते हैं।”

पत्र का शब्दशः अनुवाद

शनिवार, 20 अप्रैल
गोधरा में क्या हुआ…

पिछले 12 वर्षों से, मैं गुजरात के गोधरा में रेलवे स्टेशन के पास एक छोटा सा व्यवसाय चला रहा हूँ। मैं उन घटनाओं के बारे में लिख रहा हूँ, जो मैंने अखबारों और सार्वजनिक बयानों में लगातार पढ़ी और सुनी हैं। मैं गोधरा कांड का चश्मदीद गवाह था।

जब हम गोधरा की बात करते हैं, तो यह स्थान वर्षों से सांप्रदायिक तनाव से घिरा हुआ रहा है, यह मुस्लिम बहुल इलाका भी है। यही कारण है कि हमारे जैसे गैर-मुस्लिमों के लिए यह बहुत भयावह स्थान बन जाता है। भारत में कहीं भी सांप्रदायिक मुद्दे उठते हैं, उनकी गूँज यहाँ भी महसूस होती है।

गोधरा कांड का मुख्य आरोपित, जिसे कॉन्ग्रेस का पार्षद बताया जाता है, एक अपराधी किस्म का व्यक्ति था। मैंने खुद देखा था कि उसका समूह स्टेशन के आसपास किस तरह की अराजकता फैलाता था। अगर मैंने इसका विरोध किया या शिकायत दर्ज की होती, तो शायद मैं आज इस पत्र को लिखने के लिए जीवित न होता।

‘साबरमती एक्सप्रेस’ पर हमला एक पूर्व नियोजित साजिश थी। हमले से कई सप्ताह पहले ही इसकी तैयारी शुरू हो चुकी थी। उस दिन जो कुछ हुआ, वह किसी भी इंसान के देखने लायक नहीं था। उस दिन हजारों लोग बाबरी मस्जिद के पक्ष में नारे लगाते हुए रेलवे स्टेशन के आसपास इकट्ठा हो गए थे। पुलिस ने उन्हें क्यों नहीं रोका? इसका मुख्य कारण कॉन्ग्रेस का पार्षद था। पुलिस में भी उसे छूने की हिम्मत नहीं थी। जो लोग जलती हुई ट्रेन से कूदने में सफल हुए, उन पर पटरियों से पत्थर फेंके गए। बच्चों को भी इस निर्दयता से नहीं छोड़ा गया। मुझे अपनी जान बचाने के लिए भागना पड़ा, क्योंकि घटनास्थल पर रुकना असंभव था।

कॉन्ग्रेस पार्टी इस जघन्य अपराध में शामिल लोगों की क्रूरता की कड़ी निंदा क्यों नहीं करती, या उनके असली चेहरे को उजागर क्यों नहीं करती? मीडिया हमारे जैसे चश्मदीदों को क्यों नज़रअंदाज़ करती है? सब कुछ वोट की राजनीति के लिए है।

जब तक गुजरात के मुद्दों का समाधान नहीं होता, मैं वहाँ वापस जाने को तैयार नहीं हूँ। गोधरा में सिर्फ मुस्लिम ही शांति से रह सकते हैं। मैं यह अपनी व्यक्तिगत अनुभव से कह रहा हूँ। जब सांप्रदायिक तनाव बढ़ता है, तो पूर्वाग्रह खतरनाक हो जाते हैं। हमें असली मुद्दों की जांच करनी चाहिए। गोधरा में लोग निर्दोष रेल यात्रियों को केरोसिन और पेट्रोल से जिंदा जलाने को सही ठहराने के लिए तैयार थे – चाहे इसका कोई भी कारण हो।

मैं यह सब इसलिए लिख रहा हूँ, क्योंकि मुझे कोई भी मीडिया आउटलेट सच्चाई को रिपोर्ट करते हुए नहीं मिला। आज भी, ‘मातृभूमि’ जैसे निर्भीक मीडिया संस्थानों को जाति या धर्म की परवाह किए बिना वास्तविक मुद्दों को उजागर करने के लिए आगे आना चाहिए।

जॉर्ज जोसेफ, पझूर

गोधरा दंगों की सच्चाई

गोधरा दंगे देश के सांप्रदायिक दंगों के इतिहास में शायद सबसे अधिक गलत तरीके से पेश किए गए और राजनीतिक रूप से सबसे ज्यादा इस्तेमाल किए गए घटनाओं में से एक हैं। जहाँ एक तरफ दंगों का इस्तेमाल विभिन्न राजनीतिक दलों, मीडिया घरानों और वामपंथी विचारधारा के समर्थकों द्वारा हिंदू विरोधी दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के लिए किया गया, वहीं दूसरी तरफ गोधरा दंगों के पूर्व हुए नरसंहार – जिसमें मुस्लिम भीड़ द्वारा साबरमती एक्सप्रेस के कोच में आग लगाई गई – इसका कभी उस पक्ष में उल्लेख नहीं किया गया।

बुधवार (27 फरवरी, 2002) को, ‘साबरमती एक्सप्रेस’ अपनी चार घंटे की देरी के बाद गोधरा स्टेशन पर सुबह 7:40 बजे पहुँची। उस समय ट्रेन के कोच S6 में 59 कारसेवक सवार थे, जो अयोध्या के रामजन्मभूमि स्थल से लौट रहे थे। ट्रेन के स्टेशन पर पहुँचने के कुछ ही मिनटों में, सिग्नल फलिया के मुस्लिम बहुल क्षेत्र से लगभग 2000 मुस्लिमों की भीड़ ने उस कोच को घेर लिया और उसमें आग लगा दी। ट्रेन के अंदर मौजूद सभी 59 कारसेवक, जिनमें 25 महिलाएँ और 15 बच्चे भी शामिल थे, जिंदा जल गए।

इसके बाद कई सालों तक चलने वाली न्यायिक सुनवाई में, ट्रायल कोर्ट ने 22 फरवरी, 2011 को गोधरा हत्याकांड के लिए 31 मुस्लिमों को दोषी ठहराया। 2017 में गुजरात उच्च न्यायालय ने भी इन दोषियों को दोषी ठहराया। इसके अलावा, फरवरी 2003 में एक आरोपित ने न्यायिक स्वीकारोक्ति दी, जिसमें उसने स्पष्ट रूप से यह स्वीकार किया कि गोधरा कांड एक पूर्व नियोजित हमले का हिस्सा था।

(यह रिपोर्ट हमारी ही इंग्लिश टीम (ऑपइंडिया) के अनुराग द्वारा की गई है, इसे पढ़ने के लिए आप इस लिंक पर क्लिक कर सकते है।)

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Anurag
Anuraghttps://lekhakanurag.com
B.Sc. Multimedia, a journalist by profession.

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