Saturday, July 27, 2024
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देशभर से कुलपति-शिक्षाविद आए साथ, राहुल गाँधी पर कार्रवाई की माँग: खुले पत्र में कहा- योग्यता के आधार पर नियुक्तियाँ, कॉन्ग्रेस नेता ने RSS लिंक बताया था जरूरी

कुलपतियों ने राहुल गाँधी के बयान पर कहा, "कुलपतियों की एक बेहद सख्त पारदर्शी प्रक्रिया के तहत नियुक्ति होती है। इसके लिए देखा जाता है कि जिस व्यक्ति को नियुक्त किया जाना है उसकी अकादमिक योग्यता क्या है। उसकी प्रशासनिक कुशलता कितनी है।"

कॉन्ग्रेस नेता राहुल गाँधी के बयान से देश भर के विश्वविद्यालयों के कुलपति नाराज हैं। राहुल ने अपने भाषण में कुलपतियों की नियुक्ति पर सवाल उठाते हुए कहा था कि इस पद पर पढ़ाई-लिखाई नहीं बल्कि आरएसएस से जुड़ाव देखा जाता है। अब इसी मामले में देश के 181 शिक्षाविदों और कुलपतियों ने मिलकर राहुल गाँधी को खुला पत्र लिख डाला है। इस पत्र में राहुल गाँधी के बयान पर आपत्ति जताई गई है।

पत्र में राहुल गाँधी के बयान को एक अफवाह करार दिया गया है। साथ ही कहा गया है, “हमें राहुल गाँधी के ट्वीट्स और बयानों से पता चला है कि वह अफवाह फैला रहे हैं देश के विश्वविद्यालयों में मेरिट के आधार पर नहीं बल्कि आरएसएस से रिश्तों के आधार पर भर्तियाँ हो रही हैं।”

इसके बाद कुलपतियों ने राहुल गाँधी के बयान पर कहा, “कुलपतियों की एक बेहद सख्त पारदर्शी प्रक्रिया के तहत नियुक्ति होती है। इसके लिए देखा जाता है कि जिस व्यक्ति को नियुक्त किया जाना है उसकी अकादमिक योग्यता क्या है। उसकी प्रशासनिक कुशलता कितनी है और यूनिवर्सिटी को आगे बढ़ाने के लिए क्या विजन रखता है। चयन प्रक्रिया में ये सब चीजें देखने के बाद नियुक्ति होती है।”

राहुल गाँधी पर निशाना साधते हुए पत्र में कहा गया है कि वह कोई काल्पनिक बातें न करें और न ही बिना किसी तथ्य के वो भ्रम फैलाएँ। ऐसी अफवाहों से शिक्षा का माहौल खराब हो जाता है। उन्होंने अपने पत्र में ये भी कहा कि वह लोग चयन के दौरान मेरिटोक्रेसी में यकीन रखते हैं। उच्च शिक्षा के लिए यही जरूरी होता है।

कुलपतियों ने राहुल गाँधी को जवाब देते हुए कहा कि बीते कुछ समय से भारतीय यूनिवर्सिटियों की रैंकिंग में सुधार हुआ है और इनमें अद्भुत बदलाव आया है। भारतीय यूनिवर्सिटियों की ग्लोबल रैंकिंग भी अच्छी हुई है। लेकिन राहुल गाँधी इस तरह के बयान देकर उच्च शिक्षण संस्थानों को बदनाम कर रहे हैं। ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि उसका राजनीतिक फायदा उठाया जा सके।

पत्र में कुलपतियों द्वारा कहा गया, “हम सभी से अपील करते हैं कि वे फैक्ट और फेक में अंतर समझने के लिए अपने विवेक का इस्तेमाल करें। निराधार अफवाहों को फैलाने से बचें। ऐसी चर्चा में शामिल हों, जो क्रिएटिव और गतिशील वातावरण बनाने के हमारे लक्ष्य को सपोर्ट करे।”

बता दें कि राहुल गाँधी के बयान के विरोध में आए साझा पत्र में 180 वाइस चांसलर्स और शिक्षाविदों के हस्ताक्षर हैं। इसमें JNU की वाइस चांसलर्स शांतिश्री धुलीपुडी पंडित, दिल्ली यूनिवर्सिटी के VC योगेश सिंह और एआईसीटीई के अध्यक्ष टीजी सीताराम शामिल हैं। इसके अलावा संगीत नाटक अकादमी, साहित्य अकादमी, एनसीईआरटी, नेशनल बुक ट्रस्ट, एनसीईआरटी, यूजीसी आदि के प्रमुख भी शामिल हैं।

इन सबने मिलकर राहुल गाँधी के बयान के विरोध में आवाज उठाई है। साथ ही राहुल गाँधी को लेकर कहा है कि उन्होंने इस मामले में झूठ फैलाया है और राजनीतिक लाभ उठाने के इरादे से बदनाम किया है, इसलिए प्रार्थना की जाती है कि उनके खिलाफ कार्रवाई हो।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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