Wednesday, April 24, 2024
Homeविविध विषयअन्यशिक्षा का गुजरात मॉडल: सूरत के सरकारी स्कूलों में एडमिशन की होड़, लगातार तीसरे...

शिक्षा का गुजरात मॉडल: सूरत के सरकारी स्कूलों में एडमिशन की होड़, लगातार तीसरे साल प्राइवेट स्कूल पीछे

आमतौर पर देखा जाता है कि माता-पिता अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ने के लिए डालने से हिचकिचाते हैं। लेकिन, सूरत के स्कूलों में एडमिशन के लिए इतने आवेदन आए हैं कि लकी ड्रॉ का सहारा लेना पड़ रहा है।

दिल्ली के तथकथित शिक्षा मॉडल का आपने खूब प्रचार सुना-देखा होगा। इससे इतर एक मॉडल गुजरात में चल रहा जिसका जमीन पर लगातार असर दिख रहा। राज्य के सूरत के सरकारी स्कूलों में पिछले तीन साल ने एडमिशन के लिए भारी भीड़ देखी जा रही है। इन स्कूलों का संचालन सूरत नगर निगम करती है। इस साल इन स्कूलों में सीट से तिगुने आवेदन नामांकन के लिए आए हैं। इसके पीछे की वजह यह है कि सूरत के सरकारी स्कूलों ने आधुनिक सुविधाएँ प्रदान करने में प्राइवेट स्कूलों को पीछे छोड़ दिया है।

आमतौर पर देखा जाता है कि माता-पिता अपने बच्चों को सरकारी या नगर निगम के स्कूलों में पढ़ने के लिए डालने से हिचकिचाते हैं। लेकिन, सूरत का सरकारी स्कूल नंबर 354 पिछले तीन सालों से बेहतर शिक्षा के कारण लगातार निजी स्कूलों के छात्रों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। यहाँ अभिभावक अपने बच्चों के एडमिशन के लिए बेताब हैं। एक ही बिल्डिंग में चल रहे दो शिफ्ट के स्कूल में कुल 1400 छात्र हैं। लेकिन इस समय 4042 से अधिक छात्रों ने एडमिशन के लिए आवेदन किया है। इन्हें लकी ड्रॉ के जरिए प्रवेश दिया जाएगा।

इसी तरह सूरत के पालनपुर स्थित सरकारी स्कूल नंबर 318 में एक बोर्ड लगा है। इसमें बताया गया था कि प्रवेश केवल किंडरगार्टन के साथ-साथ कक्षा 1, 4 और 5 में दिया जाएगा। हालाँकि, कुछ ही दिनों में स्कूल की सीट भर गई। अभी भी 83 बच्चे प्रतीक्षा सूची में हैं।

कुछ स्कूल अभिभावकों से अपने बच्चों के एडमिशन के लिए ऑनलाइन फॉर्म भरने के लिए कह रहे हैं। सरकारी स्कूलों में नंबर 334, 346, और 355 में 1000-1100 की सीट है, जबकि इन स्कूलों में एडमिशन के लिए लगभग 4200 आवेदन आए हैं। यही वजह है कि स्कूलों को लकी ड्रा का सहारा लेना पड़ रहा है। अब बच्चों को लकी ड्रॉ के माध्यम से एडमिशन दिया जाएगा और बाकी बच्चों को अगले साल फिर से आवेदन करने के लिए कहा जाएगा। इन स्कूलों में कुछ शिक्षकों के बच्चे भी पढ़ते हैं। कुछ स्कूलों में लोगों को अपने बच्चों को प्रवेश दिलाने के लिए सिफारिशों की भी आवश्यकता पड़ती है।

मोटा वराछा क्षेत्र में भारी माँग के चलते गुजराती मीडियम का स्कूल बनाया गया है। स्कूल में 720 सीटों की क्षमता है, जबकि एडमिशन के लिए 3000 फॉर्म आए हैं। इसी कैंपस में अंग्रेजी मीडियम स्कूल के लिए 1000 फॉर्म आए हैं, जबकि इसकी क्षमता 225 सीटों की है। अब यहाँ भी बच्चों को लकी ड्रॉ के जरिए प्रवेश दिया जाएगा।

ऑनलाइन एडमिशन की प्रभारी रमाबेन का कहना है कि समिति के स्कूल में प्रज्ञा प्रोजेक्ट चल रहा है। इसके अलावा निगम के स्कूल में छात्रों को बिना बोझ के पढ़ाई कराई जाती है। इसलिए छात्रों का मानसिक विकास भी बहुत अच्छा होता है। इसके अलावा निगम के शिक्षक मन लगाकर छात्रों को पढ़ाई करा रहे हैं और शिक्षा समिति को अपडेट किया जा रहा है।

इस तरह से सूरत के सरकारी स्कूल सुविधाओं और शिक्षा के मामले में स्थानीय प्राइवेट स्कूलों को पछाड़ते रहे हैं। पहले भी, सूरत के सरकारी स्कूलों में एडमिशन के लिए लंबी कतारें देखी गई हैं।

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

आपकी निजी संपत्ति पर ‘किसी समुदाय या संगठन का हक है या नहीं’, सुप्रीम कोर्ट कर रहा विचार: CJI की अध्यक्षता में 9 जजों...

सुप्रीम कोर्ट में निजी संपत्ति को ‘समुदाय का भौतिक संसाधन’ मानने को लेकर 32 साल पुरानी एक याचिका पर सुनवाई की है।

सालों से कॉन्ग्रेस करती आई है देश के लोगों की संपत्ति छीनने की कोशिश, मनमोहन सिंह की सरकार के समय भी रचा गया था...

सैम पित्रोदा के दिए बयान पर आज बवाल हो रहा है लेकिन सच ये है कि भारत की जनता की संपत्ति के पीछे कॉन्ग्रेस 2011 से पड़ी थी। तब, पी चिदंबरम ने इस मुद्दे को उठाया था।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
417,000SubscribersSubscribe