Friday, May 3, 2024
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TATA समूह से भी कम है पाकिस्तान की ‘औकात’, भारतीय कंपनी का मार्केट कैप पड़ोसी देश की अर्थव्यवस्था से भी अधिक

भारत की पूरी अर्थव्यवस्था की तुलना में तो पाकिस्तान कहीं भी नहीं ठहरता। पाकिस्तान की जनसंख्या भारत के मुकाबले पाँच गुना कम है, लेकिन अगर अर्थव्यवस्था की तुलना की जाए तो वह भारत के मुकाबले 10 गुने से भी कम है।

कंगाली की कगार पर खड़े पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था भारत के सामने कहीं नहीं ठहरती। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था वर्तमान में भारत के दसवें हिस्से के बराबर भी नहीं है। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की हालत इतनी पतली है कि उससे ज्यादा मार्केट कैप भारतीय कारोबारी टाटा समूह की है।

भारतीय कारोबारी टाटा समूह का कुल बाजार पूँजीकरण (Market Capitalization) अब 360 बिलियन डॉलर (लगभग ₹30 लाख करोड़) हो चुका है। टाटा समूह की सबसे बड़ी कम्पनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेस (TCS) जिसका अकेले का बाजार पूँजीकरण 170 बिलियन डॉलर (लगभग ₹14 लाख करोड़) है। टाटा समूह की 29 कम्पनियाँ शेयर बाजार में अधिसूचित हैं।

वहीं अगर पाकिस्तान को देखा जाए तो इसकी पूरी अर्थव्यवस्था का आकार अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के अनुसार, 340 बिलियन डॉलर (₹28 लाख करोड़) है। यानी पाकिस्तान की कुल अर्थव्यवस्था और टाटा समूह के बाजार पूँजीकरण में ₹2 लाख करोड़ का फर्क है।

भारत की पूरी अर्थव्यवस्था की तुलना में तो पाकिस्तान कहीं भी नहीं ठहरता। पाकिस्तान की जनसंख्या भारत के मुकाबले पाँच गुना कम है, लेकिन अगर अर्थव्यवस्था की तुलना की जाए तो वह भारत के मुकाबले 10 गुने से भी कम है। भारत की अर्थव्यवस्था IMF के अनुसार, 4.11 ट्रिलियन डॉलर (लगभग ₹34118137 करोड़) है। यह विश्व की पाँचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। इसकी तुलना में पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था मात्र 340 बिलियन डॉलर है, जो भारत के मुकाबले दसवाँ हिस्सा भी नहीं है।

गौरतलब है कि पाकिस्तान लम्बे समय से आर्थिक संकट से जूझ रहा है। वर्तमान में उसकी हालत काफी खराब है। पाकिस्तान का काम IMF से उधार लेकर चल रहा है। इसके अलावा उसके पास विदेशी मुद्रा भण्डार भी काफी कम है। जहाँ भारत के पास 617 बिलियन डॉलर (लगभग ₹51 लाख करोड़) के विदेशी मुद्रा का भण्डार है, वहीं पाकिस्तान में यह आँकड़ा 9-10 बिलियन डॉलर है।

पकिस्तान की आम जनता भी इस खराब आर्थिक हालत से परेशान है। पाकिस्तान में महँगाई का स्तर इस समय 30% से ऊपर बना हुआ है, जिससे आम आदमी कमर टूट रही है। सरकार बिजली और तेल के दाम लगातार बढ़ा रही है जिससे और भी परेशानियाँ आ रही हैं।

पाकिस्तान की सरकारें आर्थिक सुधार ना करके पहले अमेरिका और फिर चीन से मदद लेकर अपना काम चलाती रही हैं। हालाँकि, बदले समय में अब इन देशों से भी मदद मिलनी बंद हो गई है तो समस्याएँ बढ़ रही हैं। अरब देश भी अब पाकिस्तान की आर्थिक सहायता पहले की तरह नहीं कर रहे हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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