भारत में अंडरवियर की गिरती बिक्री को लेकर मंदी की बात कही गई थी। रवीश कुमार सरीखे पत्रकारों ने सोशल मीडिया पर लम्बे-चौड़े लेख लिख कर बताया था कि किस तरह कच्छों की बिक्री का गिरना भारत की गिरती अर्थव्यवस्था का राज़ खोलता है। खैर, स्थिति को ज्यादा से ज्यादा भयावह बताने के लिए तरह-तरह की बातें कही गईं। अमेरिकी फ़ेडरल रिजर्व बोर्ड के अध्यक्ष रहे एलन ग्रीनस्पैन ने यह थ्योरी दी थी कि किसी भी देश में अण्डरवियर्स की बिक्री में बढ़ोतरी या गिरावट से उस देश की अर्थव्यवस्था का पता चलता है। इसीलिए, ‘मेन्स अंडरवियर इंडेक्स’ जारी किया जाता है।
यह पाया गया कि भारत में जून क्वार्टर में चोटी पर मौजूद 4 अंडरवियर की कंपनियों की बिक्री में पिछले एक दशक में सबसे ज्यादा गिरावट देखने को मिली। भारत का लगभग 28,000 करोड़ रुपए का इनरवियर बाजार कपड़ों का बाजार का कुल 10% हिस्सा है। ख़ैर, ये तो थी अंडरवियर की बिक्री की बात, जिसे लेकर बहुत ज्यादा डर का माहौल बनाने की कोशिश की गई। अब ऑनलाइन शॉपिंग पोर्टल्स अमेज़न और फ्लिपकार्ट के कुछ ताज़ा आँकड़ों पर नज़र डालते हैं। क्या सचमुच लोगों के पास रुपया नहीं है? या फिर वे रुपए होते हुए भी ख़र्च नहीं करना चाह रहे? या फिर वे कुछ ख़ास चीजों पर ही पैसे ख़र्च करना चाह रहे?
Ab ye andar ki baat nahi hai ???
— Atul Mohan (@atulmohanhere) August 20, 2019
As per reports, the economic slowdown has also impacted sales of men’s ‘innerwear’. Innerwear sales growth fell sharply in the June quarter by 4% to 20%. This analysis is also known as ‘men’s underwear index’. Apna luck pehen ke chalo! ???
इन सब पर बात करने से पहले जरा आँकड़े देख लेते हैं। ऑनलाइन फेस्टिव सीजन शुरू हो चुका है। त्योहारों की शुरुआत के साथ ही भारत के दोनों टॉप ऑनलाइन रिटेलर्स आपस में एक ‘युद्ध’ करते हैं, जिसमें आँकड़ों की लड़ाई होती है। शनिवार (सितम्बर 28, 2019) को शाम 8 बजे फ्लिपकार्ट का ‘बिग बिलियन डे’ शुरू हो गया। अमेज़न का ‘ग्रेट इंडियन फेस्टिवल सेल’ भी उसी दिन दोपहर को शुरू हुआ। हालाँकि, पहले 12 घंटों के लिए यह सिर्फ़ प्राइम उपभोक्ताओं के लिए था। इसके बाद इसे अन्य यूजर्स के लिए भी खोल दिया गया। अब जरा सबसे पहले फ्लिपकार्ट के आँकड़े देखिए।
फ्लिपकार्ट प्रत्येक वर्ष फेस्टिवल सेल आयोजित करता है। त्योहारों के मौके पर आयोजित किए जाने वाले ‘बिग बिलियन डे’ पिछले वर्ष 2018 में भी मनाया गया था। पिछले वर्ष तो मंदी की बातें नहीं चल रही थीं। कच्छों की बिक्री भी सही थी। फिर भी, अगर पहली दिन की बिक्री की बात करें तो फ्लिपकार्ट ने 2018 के आँकड़े को इस वर्ष 2019 में पीछे छोड़ दिया है। सबसे बड़ी बात यह है कि कम्पनी ने बिक्री में पिछले वर्ष के मुक़ाबले 10% या 25% बढ़ोतरी नहीं दर्ज की है, बल्कि सीधे दोगुना ज्यादा व्यापार किया है। जी हाँ, दोगुना। अपने ‘ट्रेवल’ केटेगरी में तो कम्पनी ने पिछले साल के मुक़ाबले कमाई में 12 गुना ज्यादा वृद्धि दर्ज की।
हाँ, इसे लेकर भी भ्रम फैलाया जा सकता है कि ये तो महानगरों के लोग शॉपिंग कर रहे होंगे। दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और बंगलौर जैसे शहरों में ज्यादा ख़रीददारी हो रही होगी। लोग ये कह कर भी भ्रम फैला सकते हैं कि ये आँकड़े छोटे शहरों के नहीं हैं, बल्कि बड़े महानगरों के हैं। लेकिन फ्लिपकार्ट के अनुसार, टायर-1 सिटीज नहीं बल्कि टायर-2, 3 और 4 के शहरों में ग्राहकों की संख्या 2018 के मुक़ाबले दोगुनी हो गई है। क्या कच्छों को लेकर मंदी की बात करने वाले अब मानेंगे कि जनता रुपए ख़र्च कर रही है और उनकी वित्तीय हालत उतनी भी पस्त नहीं है, जितना दावा किया जा रहा था।
In the headlines: “Over a lakh artisans have been brought into the e-commerce fold & are participating in #BigBillionDays for the first time:” @rajneeeshkumar Head-Corporate Affairs @Flipkart in @ttindia on #TheBigBillionDays pic.twitter.com/1h7CKiTRPt
— Flipkart Stories (@FlipkartStories) September 30, 2019
फ्लिपकार्ट के चीफ एग्जीक्यूटिव कल्याण कृष्णमूर्ति कहते हैं कि यह भारत का अब तक का सबसे बड़ा फेस्टिवल सेल होने जा रहा है। कम्पनी के ‘ग्रॉस मर्चेंडाइज वैल्यू (GMV)’ भी इस वित्तीय वर्ष 1 ट्रिलियन डॉलर होने जा रहा है। यानी पिछले वित्तीय वर्ष के मुक़ाबले 45% की वृद्धि। क्या यह सब जनता ने बिना रुपए ख़र्च किए ही संभव बना दिया? फ्लिपकार्ट पर मिलने वाले सामानों की बिक्री तभी बढ़ी होगी जब पब्लिक ने उन चीजों को ख़रीदा होगा। जनता ने उन चीजों को तभी ख़रीदा होगा, जब उसके पास पैसे होंगे। सीधा मतलब यह है कि पब्लिक ने पिछले साल के मुक़ाबले दोगुना ज्यादा रुपए ख़र्च किए।
अब बात जरा अमेज़न की कर लेते हैं। अमेज़न इंडिया के प्रमुख अमित अग्रवाल ने बताया कि इस फेस्टिव सीजन कम्पनी के ‘प्राइम साइन-अप’ के लिए सबसे अच्छा दिन देखा। अर्थात, कम्पनी के इतिहास में आज तक के इतिहास में एक दिन में सबसे ज्यादा ग्राहकों ने ‘प्राइम सदस्य’ के लिए रजिस्टर किया। अग्रवाल कहते हैं कि अमेज़न इंडिया ने उपभोक्ताओं और विक्रेताओं की भागीदारी में रिकॉर्ड बना लिया है। सबसे बड़ी बात कि यहाँ भी 91% ग्राहक टायर-2 और 3 शहरों के ही हैं। सोचिए, कुल उपभोक्ताओं में से मात्र 9% ही बाकी शहरों से हैं। कम्पनी ने अपना हिंदी इंटरफ़ेस लॉन्च किया है, इससे उसे काफ़ी फ़ायदा मिल रहा है।
अब जरा अमेज़न की भी बिक्री की बात कर लेते हैं। अगर पहले 36 घंटों की बात करें तो कम्पनी ने एप्पल, सैमसंग और वनप्लस कम्पनी के कई फोन बेचे। पहले 36 घंटों में अमेज़न इंडिया ने 750 करोड़ रुपयों का फोन बेचा है। टीवी सहित अन्य बड़े उपकरणों की बिक्री में सामान्य दिनों के मुक़ाबले 10 गुना ज्यादा वृद्धि दर्ज की गई। सामान्य दिनों के मुक़ाबले बिक्री की बात करें तो फैशन की चीजों में 5 गुना, ब्यूटी प्रोडक्ट्स के मामले में 7 गुना और ग्रोसरीज में साढ़े 3 गुना ज्यादा वृद्धि दर्ज की गई। हालाँकि, कुल बिक्री के मामले में दोनों कंपनियों ने चुप्पी साध रखी है।
More than 1 million units of apparel shipped on Day 1 of the #AmazonGreatIndianFestival. We are ready to deliver smiles! Do you have your festive wardrobe ready?
— Amazon India News (@AmazonNews_IN) September 30, 2019
फिर भी, रिपोर्ट्स कहते हैं कि ऑनलाइन रिटेलिंग पोर्टल्स इन फेस्टिव सीजन में कुल 5 बिलियन डॉलर का कारोबार कर सकते हैं या फिर इससे ज्यादा भी। जाहिर है सवाल तो उठेंगे ही। अंडरवियर ख़रीदने से हिचक रही जनता आखिर मोबाइल फोन पर क्यों टूट रही है?
.@OnePlus_IN creates history again! Sees a 200% increase in sales over the last festive season with smartphones and the new OnePlusTV! See what Mr. Vikas Agarwal, its India GM has to say. @amazonIN #AmazonGreatIndianFestival pic.twitter.com/tL12G0fDkd
— Amazon India News (@AmazonNews_IN) September 30, 2019
सोशल मीडिया के कथित लिबरल आर्थिक विशेषज्ञों तो बता रहे थे जनता एक-एक रुपए हिसाब से ख़र्च करना चाह रही है। उन्होंने कहा था कि अगर जनता के पास रुपए हैं भी तो वह बचा कर रख रही है। उन्होंने कहा था कि जनता कच्छे नहीं ख़रीद रही, यह बताता है कि वह ज़रूरी चीजों को ख़रीदने में भी हिचक रही है। अब मोबाइल फोन्स के साथ-साथ ब्यूटी व फैशन प्रोडक्ट्स की बिक्री में इतना बड़ा उछाल देखने के बाद तो यही पूछा जा सकता है कि क्या ये सब भी जीवन जीने के लिए एकदम परम अनिवार्य वस्तुएँ हैं?