Saturday, June 14, 2025
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51 बीघा की पहाड़ी, 369 फीट की ऊँचाई: 10 साल में 50 हजार लोगों ने मिलकर बनाई महादेव की सबसे ऊँची मूर्ति, 20 किमी दूर से भी नजर आएगी

इस मूर्ति के निर्माण कै दौरान 3000 टन स्टील और लोहा, जबकि करीब 2.5 लाख क्यूबिक टन कंक्रीट और रेत का इस्तेमाल हुआ है। इसका निर्माण कुछ ऐसी डिजाइन से किया गया है कि 250 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार वाली हवाएँ भी इस प्रतिमा के आगे बेअसर साबित होंगीं। प्रतिमा के डिजाइन का विंड टनल टेस्ट ऑस्ट्रेलिया में किया गया है।

दुनिया की सबसे ऊँची शिव प्रतिमा बनकर तैयार हो चुकी है। ये मूर्ति राजस्थान के राजसमंद जिले के नाथद्वारा में बनी है। शिव प्रतिमा की ऊँचाई 369 फीट है। शनिवार (29 अक्टूबर 2022) को मोरारी बापू की रामकथा के साथ इस प्रतिमा का अनावरण कार्यक्रम शुरू होगा। अनावरण कार्यक्रम 6 नवंबर तक चलेगा। इस प्रतिमा को विश्वास स्वरूपम (स्टैच्यू ऑफ बिलीफ) नाम दिया गया है। खास बात यह है कि इसे 20 किलोमीटर दूर से भी देखा जा सकता है।

यह शिव प्रतिमा राजसमंद जिले के नाथद्वारा कस्बे में गणेश टेकरी नामक 51 बीघा की पहाड़ी पर बनी है। जिस परिसर में इस प्रतिमा का निर्माण किया गया है उसे तद पदम् उपवन नाम दिया गया है। प्रतिमा में भगवान भोलेनाथ को ध्यान एवं अल्हण मुद्रा में देखा जा सकता है। 369 फीट ऊँची इस प्रतिमा को दुनिया की 5 सबसे ऊँची प्रतिमा में भी शामिल किया गया है। इसकी ऊँचाई इतनी अधिक है कि कई किलोमीटर दूर से भी इसे देखा जा सकता है। यही नहीं, ‘विश्वास स्वरूपम’ नामक यह प्रतिमा रात में भी दिखाई दे इसलिए यहाँ विशेष लाइटिंग की व्यवस्था भी की गई है।

टाट पदम संस्थान द्वारा निर्मित दुनिया की सबसे ऊँची शिव प्रतिमा के निर्माण में 10 साल का लंबा वक्त लगा है। इस पूरी प्रतिमा के निर्माण में 50 हजार से अधिक लोगों ने काम किया है। इस प्रतिमा को बनवाने का जब प्लान तैयार किया गया था तब इसकी ऊँचाई 251 फीट तय की गई थी। हालाँकि, निर्माण के दौरान इसकी ऊँचाई 100 फीट अधिक यानी 351 फीट हो गई। साथ ही, जब भगवान शिव की जटा में माँ गङ्गा की जलधारा जोड़ने का प्लान बनाया गया तो इसकी ऊँचाई में 18 फीट की और बढ़ोतरी हो गई। इस प्रकार यह प्रतिमा 369 फीट ऊँची हो गई है।

रिपोर्ट के अनुसार, साल 2012 में जब इस प्रतिमा का निर्माण कार्य शुरु हुआ था तब से सिर्फ कोविड-19 के कारण लगाए गए लॉकडाउन में ही इसका काम रोका गया था। लेकिन, इसके बाद कारीगर काम में वापस लौटते और फिर काम शुरू करते। प्रतिमा बनाने का काम दिन के साथ-साथ रात में भी चलता रहता था।

इस प्रतिमा में लिफ्ट, सीढ़ियाँ, हॉल आदि का निर्माण भी कराया गया है। निर्माण कै दौरान 3000 टन स्टील और लोहा, जबकि करीब 2.5 लाख क्यूबिक टन कंक्रीट और रेत का इस्तेमाल हुआ है। इसका निर्माण कुछ ऐसी डिजाइन से किया गया है कि 250 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार वाली हवाएँ भी इस प्रतिमा के आगे बेअसर साबित होंगीं। प्रतिमा के डिजाइन का विंड टनल टेस्ट ऑस्ट्रेलिया में किया गया है।

इस प्रतिमा के अलग-अलग हिस्सों के दर्शन करने के लिए 4 लिफ्ट और 3 सीढियाँ हैं। दर्शन करने वाले लोगों को 20 फीट से लेकर 351 फीट तक के अलग-अलग हिस्सों का दर्शन कराया जाएगा। प्रतिमा में 270 से 280 फीट की ऊँचाई पर जाने के लिए एक छोटा सा ब्रिज बनाया गया है। यह ब्रिज पत्थर या कंक्रीट का नहीं, बल्कि काँच का है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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