Saturday, November 2, 2024
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कोरोना के टीकों से बढ़ जाती है मर्दों की प्रजनन क्षमता: 26-36 से बढ़ कर 30-44 का आया रिजल्ट

टीके से पहले शुक्राणु एकाग्रता 26 मिलियन/मिलीलीटर और कुल गतिशील शुक्राणुओं की संख्या 36 मिलियन थी। वैक्सीन की दूसरी खुराक के बाद, औसत शुक्राणु सांद्रता (Concentration) बढ़कर 30 मिलियन/एमएल और औसत टीएमएससी 44 मिलियन हो गई।

एक शोध में कहा गया है कि फाइजर और मॉडर्ना के टीके पुरुषों की प्रजनन क्षमता को कोई नुकसान नहीं पहुँचाते। शोध में यह भी पाया गया है कि इन टीकों की दोनों खुराक लेने के बाद भी प्रतिभागियों में शुक्राणुओं का स्तर अच्छा बना रहा।

बृहस्पतिवार (17 जून 2021) को जामा पत्रिका में प्रकाशित इस अध्ययन में 18 से 50 साल के 45 स्वस्थ लोगों को शामिल किया गया था। इन लोगों को फाइजर और मॉडर्ना के टीके लगने थे। इन अध्ययन में उन लोगों को बाहर रखा गया था जिन्हें 90 दिन पहले तक कोरोना का संक्रमण हुआ था या उसके लक्षण नजर आए थे।

अध्ययन में हिस्सा लेने वाले प्रतिभागियों की जाँच कर यह सुनिश्चित किया गया था कि उन्हें पहले से ही किसी प्रकार की प्रजनन समस्या ना हो।

अध्ययन में शामिल पुरुषों के पहली खुराक लेने के 2 से 7 दिन पहले और दूसरी खुराक के करीब 70 दिनों के बाद इन लोगों के वीर्य के नमूने लिए गए। इसके बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशा-निर्देशों के आधार पर प्रशिक्षित विशेषज्ञों (एंड्रोलॉजिस्ट) ने कई मानकों पर शुक्राणुओं का विश्लेषण किया।

इसमें वीर्य की मात्रा, शुक्राणु गतिशीलता और कुल गतिशील शुक्राणुओं की संख्या (टीएमएससी) मापी गई। शोधकर्ताओं को टीकों से पहले और बाद में शुक्राणुओं में किसी भी तरह की गिरावट नहीं दिखी।

अध्ययन की शुरुआत में शुक्राणु एकाग्रता 26 मिलियन/मिलीलीटर और कुल गतिशील शुक्राणुओं की संख्या 36 मिलियन थी। वैक्सीन की दूसरी खुराक के बाद, औसत शुक्राणु सांद्रता (Concentration) बढ़कर 30 मिलियन/एमएल और औसत टीएमएससी 44 मिलियन हो गई।

शोधकर्ताओं ने कहा कि वीर्य की मात्रा और शुक्राणु की गतिशीलता में भी काफी वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि टीकों में एमआरएनए होता है न कि जीवित वायरस। इसलिए, यह संभावना नहीं है कि टीका शुक्राणु मानकों को प्रभावित करेगा।

अमेरिका की मियामी यूनिवर्सिटी के इन शोधकर्ताओं का कहना है, “पहले हुए ट्रायलों में टीकों के प्रजनन क्षमता से संबंध की जाँच नहीं हुई थी। ऐसे में प्रजनन क्षमता पर नकारात्मक असर की धारणा के चलते लोग टीके लगवाने से हिचकिचा रहे हैं। यही वजह है कि हमने शुक्राणुओं को लेकर यह मूल्यांकन किया।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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