भारत में कोरोना फैलाने की एक साजिश नेपाल में रची जाने का खुलासा हुआ है। पाकिस्तान की शह पर ऐसा किया जा रहा है। इसका पूरा प्लान जालिम मुखिया ने तैयार किया है। जालिम हथियारों का तस्कर है। नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी की राजनीति में भी सक्रिय है।
जालिम की योजना भारत में नेपाल की सीमा से कोरोना पॉजिटिव लोगों की एंट्री कराने की है। इसके लिए मजहब विशेष के करीब तीन सौ लोग नेपाल के चंदनबसरा तथा खैरवा की मस्जिद और मदरसे में जमा हैं। इनमें कुछ भारतीय हैं। कुछ पाकिस्तानी। जो भारतीय मस्जिद में जमा हैं वे अलग-अलग इस्लामी मुल्कों में काम करते हैं।
सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) की एक रिपोर्ट यह पूरी साजिश सामने आई है। एसएसबी ने बेतिया प्रशासन को इसकी जानकारी देते हुए अलर्ट कर दिया है। इस खुलासे के बाद पूरा तंत्र हरकत में आ गया है और भारत-नेपाल सीमा पर चौकसी बढ़ा दी गई है।
#Breaking | Bihar police exposes Pakistan’s plot.
— TIMES NOW (@TimesNow) April 10, 2020
Pakistan may send infected men to India via Nepal: Bihar police.
Details by TIMES NOW’s Shyam. pic.twitter.com/9aFN8FsvMV
एसएसबी की 47वीं वाहिनी के कमाण्डेन्ट ने 3 अप्रैल को पश्चिम चंपारण, बेतिया के डीएम और एसपी को पत्र लिखकर अलर्ट किया कि जालिम मुखिया भारत में कोरोना (COVID-19) महामारी फैलाने की योजना बना रहा है। जालिम नेपाल के परसा जिले के सेरवा थाने के जानकी टोला पोस्ट ऑफिस के तहत जगनाथपुर गॉंव का रहने वाला है। बताया जाता है कि वह परसा जिले के जगन्नाथपुर का मेयर भी है।
रामगढ़वा में तैनात एसएसबी के कमाण्डेन्ट ने डीएम और एसपी को लिखे अपने पत्र में आगाह करते हुए कहा है विभिन्न इस्लामी मुल्कों काम करने वाले करीब 200 भारतीय और 5-6 पाकिस्तानी काठमांडू के जरिए नेपाल पहुँच चुके हैं। नेपाल के चंदनबसरा तथा खैरवा की मस्जिद और मदरसे में रुके हुए हैं। 3 अप्रैल को लिखे गए इस पत्र में उस दिन भी 40-50 और समुदाय विशेष के भारतीयों के यहाँ पहुँचने की बात कही गई है।
पत्र में कहा गया है कि भारत में घुसने की फिराक में बैठे ये संदिग्ध पेरासिटामोल खा रहे हैं जिससे कोरोना जाँच के दौरान खुद को छुपा सकें। इस पत्र के बाद पश्चिमी चम्पारण के डीएम ने जिले के एसपी को 7 अप्रैल को एक पत्र लिखा। इसमें एसएसबी के कमाण्डेन्ट द्वारा दी गई सूचना का हवाला देते हुए भारत-नेपाल सीमा पर यथोचित सतर्कता बरतने के आदेश दिए गए। डीएम ने एसपी को लिखे अपने पत्र में भारत के दूसरे मजहब के 40-50 संदिग्ध लोगों के भारतीय सीमा में प्रवेश करने की सूचना मिलने की भी बात कही है।
इन दोनों पत्रों में जिस नेपाल निवासी जालिम मुखिया का जिक्र है, वह पहले भी भारत-नेपाल सीमा से हथियारों की अवैध सप्लाई और FICN तस्करी में शामिल रहा है।
इस पूरे मामले पर बिहार के अपर मुख्य सचिव आमिर सुहबानी का स्टेटमेंट आ चुका है जिसमें उन्होंने कहा है कि एसएसबी ने सिर्फ घुसपैठ को लेकर आशंका जताई है। अभी कोई घुसपैठ हुई नहीं है। अपर सचिव ने आगे कहा है कि इस बाबत हमने पुलिस को अलर्ट कर दिया है और इस संबंध में केंद्रीय गृह मंत्रालय को जानकारी दे दी गई है। हम किसी को सीमा पार नहीं करने देंगे।
SSB did not say people have infiltrated from Nepal, they have only stated that there is a possibility. We have alerted police and Union Home Ministry has been informed. Nobody will be allowed to enter from our borders: Bihar Additional Chief Secretary (Home) Amir Subhani pic.twitter.com/dz4X96FkBf
— ANI (@ANI) April 10, 2020
इससे पहले आज शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने तबलीगी जमात पर एक गंभीर आरोप लगाया है। उनका कहना है कि इन जमातियों का उद्देश्य पूरे देश में 1 लाख से ज्यादा लोगों को मारने का था। उनका आरोप है कि जमात इस समय मलेशिया में छिपे भगोड़े जाकिर नाइक की बी टीम की तरह काम कर रही है। जमातियों की मदद से उसने भारत में आत्मघाती हमले की साजिश रची है। गुरुवार को दिए इस बयान को शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन ने किस आधार पर बोला, ये निश्चित ही पड़ताल के बाद मालूम होगा। लेकिन अभी उनके इस खुलासे ने हलचल मचा दी है।
उन्होंने कहा कि मुमकिन है कि इस साजिश में मलेशिया में रह रहे जाकिर नाइक भी शामिल हो। उन्होंने कहा कि जिस तरह से मलेशिया के जमाती मिल रहे हैं, उससे जाकिर नाइक की साजिश से इनकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि तबलीगी जमात जाकिर नाइक की बी टीम की तरह काम कर रहा है।
याद रहे कि देश में कोरोना संक्रमित मामलों में से एक तिहाई से ज्यादा मामले तबलीगी जमात के लोगों से संबंधित हैं। तबलीगी जमात का दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित मरकज देश में कोरोना वायरस संक्रमण का हॉटस्पॉट बनकर उभरा है। यहॉं मजहबी आयोजन में शरीक होने के बाद जमात के सदस्य देश के अलग-अलग हिस्सों में गए। देश के कई राज्यों में जमात से जुड़े मौलवी मस्जिदों में छिपे मिले हैं।