Friday, November 29, 2024
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कानून बनने के बाद मध्य प्रदेश में ‘लव जिहाद’ के 67 मामले सामने आए, 109 आरोपित: अकेले खंडवा-इंदौर में ऐसी 24 घटनाएँ

'धर्म की स्वतंत्रता अधिनियम' पारित होने के एक साल बाद मध्य प्रदेश में 'लव जिहाद' के कुल 67 मामले सामने आए हैं। इनमें से 24 घटनाओं को इसी साल जनवरी में दर्ज किया गया था।

मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर और खंडवा में लव जेहाद की सबसे अधिक घटनाएँ दर्ज की गई हैं। छोटे शहरों में आदिवासी महिलाएँ सबसे अधिक लव जेहाद की शिकार हुई हैं, जिनमें नाबालिग लड़कियाँ भी शामिल है। आठवीं-दसवीं तक पढ़ी हुई ये नाबालिग लड़कियाँ सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय थीं। वहीं, भोपाल और इंदौर जैसे बड़े शहरों में पढ़ने वाली कॉलेज की छात्राएँ और कामकाजी महिलाएँ भी लव जेहाद शिकार हुई हैं।

पीड़ित महिलाओं का कहना है कि मुस्लिम पुरुषों ने उनसे हिंदू बनकर सोशल मीडिया पर दोस्ती की। इसके बाद उन्हें अपने जाल में फँसाकर शादी करने का झाँसा दिया और जब वे उनके झाँसे में आ गईं, तो उन्होंने धर्म परिवर्तन (Religion Conversion) कर इस्लाम कबूल करने की शर्त रखी। मुस्लिम पुरुषों की सच्चाई का पता चलने के बाद महिलाओं ने तुरंत पुलिस से संपर्क किया।

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक, ‘धर्म की स्वतंत्रता अधिनियम’ पारित होने के एक साल बाद मध्य प्रदेश में ‘लव जिहाद’ के कुल 67 मामले सामने आए हैं। इनमें से 24 घटनाओं को इसी साल जनवरी में दर्ज किया गया था और पुलिस ने उनमें से 36 में आरोप पत्र दायर किया, जबकि 29 अभी भी जाँच के दायरे में हैं। इन घटनाओं में पुलिस ने 109 लोगों को आरोपित किया है। राज्य में सबसे ज्यादा 13 मामले इंदौर में दर्ज किए गए हैं, जबकि खंडवा में 11 मामले हैं। वहीं, भोपाल तीसरे स्थान पर है, जहाँ 9 लड़कियों से को ठगा गया। भोपाल-इंदौर पुलिस द्वारा जारी किए गए आँकडों के मुताबिक, सामने आए लव जेहाद के मामलों में 50 प्रतिशत सामान्य वर्ग की युवतियाँ शामिल हैं।

इंदौर के पुलिस कमिश्नर हरिनारायणचारी मिश्र ने बताया, “जब से अधिनियम बना है, तब से शहर में करीब 13 अपराध दर्ज हुए हैं। इन सभी मामलों में लड़कियों ने बताया था कि उन पर धर्म परिवर्तन करने का दबाब बनाया गया था। बयान के सत्यापन के बाद ही केस दर्ज किए गए हैं। वहीं, खंडवा के एसपी विवेक सिंह का कहना है, “पीड़िता के बयान के आधार पर ही केस दर्ज किया जाता है। यदि, वह अपने बयान में जिक्र करती है कि दबाव बनाकर धर्म परिवर्तन करवाया जा रहा था तो फिर धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम के तहत केस दर्ज कर जाँच की जाती है। इस अधिनियम के अधीन दर्ज अपराध की जाँच एसआई या आला अधिकारियों द्वारा होती है।”

इसके अलावा प्रदेश के आदिम जाति मंत्रणा परिषद के सदस्य व पंधाना विधायक राम दांगोरे ने इन मामलों की पुष्टि करते हुए बताया कि मुसलमान लड़के आदिवासी युवतियों को ज्यादा टारगेट कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि 15 ऐसे मामले हैं, जिनमें मुस्लिम लड़कों ने आदिवासी युवतियों से निकाह किया और उनके नाम पर जमीन, सरकारी योजनाओं का लाभ ले रहे हैं।

बता दें कि मध्य प्रदेश विधानसभा में ‘मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक-2021’ सोमवार (मार्च 8, 2021) को पारित किया गया था। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की स्वीकृति मिलने के बाद मध्यप्रदेश राजपत्र (असाधारण) में यह अधिनियम 27 मार्च 2021 को प्रकाशित हो गया है। अधिनियम में शादी तथा किसी अन्य कपटपूर्ण तरीके से किए गए धर्मांतरण के मामले में अधिकतम 10 साल की कैद एवं 1 लाख रुपए जुर्माने का प्रावधान किया गया है।

कानून के अनुसार, ‘‘जबरन, भयपूर्वक, डरा-धमका कर, प्रलोभन देकर, बहला-फुसलाकर धर्म परिवर्तन कर विवाह करने और करवाने वाले व्यक्ति, संस्था अथवा स्वयंसेवी संस्था के खिलाफ शिकायत प्राप्त होते ही संबंधित प्रावधानों के मुताबिक आरोपितों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। धर्मांतरण और इसके पश्चात होने वाले विवाह के 1 महीने पहले जिलाधीश के पास लिखित में आवेदन करना होगा। राज्य सरकार के इस कानून का उल्लंघन करने वाली किसी भी शादी को शून्य माना जाएगा।’’

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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