सोशल मीडिया पर केरल का एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो में एक लड़के को रैली में हिंदुओं और ईसाइयों के खिलाफ नारे लगाते हुए सुना जा सकता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह वीडियो शनिवार (21 मई, 2022) को केरल के अलाप्पुझा में मुस्लिम समूह पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) द्वारा आयोजित एक रैली का है।
वीडियो में लड़के को एक आदमी ने अपने कंधों पर उठाया हुआ है। इस दौरान वह लड़का कहता है, “चावल तैयार रखो। यम (मृत्यु के देवता) आपके घर आएँगे। यदि आप सम्मानपूर्वक रहते हैं, तो आप हमारे स्थान पर रह सकते हैं। अगर नहीं, तो हम नहीं जानते कि क्या होगा।”
A shocking video has surfaced on social media in which a minor could be seen giving hate slogan against Hindus and Christians during a rally in Kerala’s Alappuzha.
— TIMES NOW (@TimesNow) May 23, 2022
Read full story: https://t.co/5gEhHDN6en#PFI #Kerala #Alappuzha pic.twitter.com/uVWOlongbc
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के प्रमुख प्रियांक कानूनगो ने यह वीडियो सामने आने के बाद कहा, “इस तरह की गतिविधियों में बच्चों को शामिल करना किशोर न्याय अधिनियम के खिलाफ है। हम प्राथमिकी दर्ज करने के लिए संबंधित जिले को लिख रहे हैं। इस मामले में सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। यह एक संज्ञेय अपराध है।”
पीएफआई का बयान
वीडियो सामने आने के बाद, पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के प्रवक्ता रउफ पट्टांबी (PFI spokesperson Rauf Pattambi) ने कहा कि नारे संगठन के सम्मेलन में नहीं बल्कि एक रैली के दौरान लगाए गए थे, जिसमें हजारों लोगों ने हिस्सा लिया था। उन्होंने कहा कि नारे हिंदुओं या ईसाइयों के खिलाफ नहीं थे, बल्कि हिंदुत्व के आतंकवादियों और फासीवादियों के खिलाफ थे।
रऊफ पट्टांबी ने आगे कहा, “कई लोगों ने हिंदुत्व आतंकवाद के खिलाफ नारे लगाए। इस लड़के ने भी नारे लगाए। हमें नारों की कुछ पंक्तियों पर खेद है, जिस पर हम गौर करेंगे। उनके नारे हिंदुओं या ईसाइयों के खिलाफ नहीं थे, बल्कि नरसंहार की योजना बना रहे हिंदुत्व आतंकवादियों के खिलाफ थे।”
उन्होंने कहा, “किसी भी मीडिया ने हमारे कार्यक्रम को कवर नहीं किया, जो देश की रक्षा को लेकर आयोजित किया गया था।” वहीं, अलाप्पुझा की पुलिस मामले की जाँच में जुट गई है।
पीएफआई का हिंसा फैलाने का इतिहास
पीएफआई का हिंसा करने का काफी पुराना इतिहास है। नागरिकता संशोधन अधिनियम के मद्देनजर हिंदू विरोधी दिल्ली दंगों और देश भर में हिंसा की जाँच के दौरान, पीएफआई की भूमिका संदिग्ध रही है और पीएफआई के कई सदस्यों को दंगों में शामिल होने के लिए गिरफ्तार किया गया था। इसके अलावा 2020 में कट्टरपंथी इस्लामी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया ने देश के विभिन्न हिस्सों में दंगों और हिंसा के लिए उकसाने के आरोपित किसानों के विरोध को अपना समर्थन दिया और प्रदर्शनकारियों को संविधान के संरक्षण के लिए संघर्ष करने के लिए कहा था।
पीएफआई और SIMI जैसे कट्टरपंथी इस्लामी संगठन विभिन्न राष्ट्र विरोधी गतिविधियों की फंडिंग के लिए कुख्यात हैं। दिसंबर 2019 में CAA के विरोध प्रदर्शनों के दौरान गृह मंत्रालय के साथ शेयर की गई एक खुफिया रिपोर्ट ने कुछ ‘राजनीतिक दलों’ की तरफ इशारा किया था और SIMI जैसे कट्टरपंथी इस्लामी संगठनों पर प्रतिबंध लगा दिया था।