दिल्ली में जैसे-जैसे कोरोना का संकट गहराता जा रहा है, अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार की अक्षमता भी उजागर होती जा रही है। अस्पतालों में बेड के साथ-साथ ऑक्सीजन का गहरा संकट है। इसको लेकर पिछले कुछ दिनों में कई अस्पतालों ने अदालत का दरवाजा खटखटाया है। एक बार फिर दिल्ली हाई कोर्ट में अस्पतालों ने केजरीवाल सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
सोमवार (26 अप्रैल 2021) को इस मसले पर हुई सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट में जयपुर गोल्डन अस्पताल के वरिष्ठ वकील सचिन दत्ता ने केजरीवाल सरकार को राष्ट्रीय राजधानी में चल रहे संकट के लिए जिम्मेदार ठहराया। साथ ही ऑक्सीजन सप्लाई चेन को बाधित करने का भी आरोप लगाया।
हाई कोर्ट में दिल्ली में COVID-19 के प्रकोप और शहर में ऑक्सीजन की आपूर्ति से संबंधित याचिका पर सुनवाई की। इस दौरान दत्ता ने आरोप लगाया कि केजरीवाल सरकार के कारण ऑक्सीजन की सप्लाई चेन बाधित हुई है। इससे अस्पतालों को ऑक्सीजन मिलने में देरी हो रही है। उन्होंने कहा कि हमें शाम के 5 बजे तक 3.6 एमटी मिलने की उम्मीद थी। लेकिन नहीं मिली। दिल्ली सरकार के अफसर सप्लाई चेन को समझ नहीं रहे हैं। उसे बिगाड़ रहे हैं। अस्पताल ने सप्लायर से सीधे संपर्क की इजाजत माँगी।
Delhi High Court to soon begin hearing plea concerning COVID-19 situation in the national capital.
— Bar & Bench (@barandbench) April 26, 2021
Hearing to take place before Justices Vipin Sanghi and Rekha Palli. #DelhiCovid #COVIDEmergency #COVID19@CMODelhi @MoHFW_INDIA @HMOIndia pic.twitter.com/t0FDjaG01P
वकील ने आगे कहा कि कई एसओएस कॉल किए गए थे। उन्होंने एम्स से कुछ व्यवस्था की, लेकिन उसमें कुछ मिनट की देरी लगी। कमी और अनिश्चितता है। दिल्ली सरकार सप्लाई चेन को नहीं समझती है। उन्होंने दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को भी आड़े हाथों लिया।
वहीं महाराजा अग्रसेन अस्पताल के वकील आलोक अग्रवाल ने भी उनकी बातों से सहमति जताई। उन्होंने कहा कि दिल्ली के अस्पतालों के सामने समस्या यह है कि उन्हें इस बात की जानकारी ही नहीं है कि उन्हें ऑक्सीजन कितनी और कब मिलेगी। दिल्ली के नोडल अधिकारियों से सीधा संवाद न होने के कारण कोरोना काल में अस्पतालों की चिंता बढ़ गई है।
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शांति मुकुंद अस्पताल की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि उनके अस्पताल में पहले से ही ऑक्सीजन की सप्लाई कम हो रही है। इस समय हालात और भी खराब हैं, जिसके चलते मरीजों को वापस भेजना पड़ रहा है।
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शांति मुकुंद अस्पताल के वकील विराज दातार ने कहा, “मेरे पास ऑक्सीजन सपोर्ट पर 96 मरीज हैं। इन सभी के लिए व्यवस्था करनी है। मैंने व्हाट्सएप, कॉल किया है। जल्द ही मेरा बफर स्टॉक भी खत्म हो जाएगा।”
बता दें कि अरविंद केजरीवाल की आपदा में भी राजनीति करने की प्रवृत्ति रही है। हाल ही में केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि केंद्र सरकार ने पीएम केयर्स फंड से दिसंबर 2020 में ही केजरीवाल सरकार को ऑक्सीजन के लिए राशि मुहैया कराई थी। केंद्र सरकार द्वारा यह राशि दिल्ली में 8 PSA (Pressure Swing Absorption) ऑक्सीजन प्लांट स्थापित करने के लिए दी गई थी, लेकिन केजरीवाल सरकार ने अब तक मात्र एक ऐसा ऑक्सीजन प्लांट स्थापित किया है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले पर केजरीवाल सरकार को फटकार लगाई थी और कहा था कि सरकार के कुप्रशासन और अक्षमता के कारण आज राजधानी में ऑक्सीजन का संकट उत्पन्न हुआ है। कोर्ट ने सरकार से यह प्रश्न भी किया था कि केंद्र सरकार द्वारा फंड दिए जाने के बाद भी केजरीवाल सरकार अब तक मात्र एक PSA ऑक्सीजन प्लांट क्यों स्थापित कर पाई है?