Friday, November 15, 2024
Homeदेश-समाजकोरोना से महाराष्ट्र यूँ ही नहीं बेहाल: BMC को ₹10 हजार दो-घर जाओ, विदेश...

कोरोना से महाराष्ट्र यूँ ही नहीं बेहाल: BMC को ₹10 हजार दो-घर जाओ, विदेश से आने वालों के क्वारंटाइन के नाम पर कागजी खानापूर्ति

इस खुलासे के बाद उप नगर आयुक्त पराग मसूरकर का कहना है कि हो सकता है इसमें कलेक्टर कार्यालय के लोग शामिल हों। वहीं कलेक्टर कार्यालय का कहना है कि क्वारंटाइन में उनकी कोई भूमिका ही नहीं है।

महाराष्ट्र में कोरोना के बढ़ते मामलों ने राज्य की स्थिति को चिंताजनक बना दिया है। रविवार (4 अप्रैल 2021) को वहाँ 57000 नए केस दर्ज किए गए, जो कि अब तक का सबसे अधिक आँकड़ा है। सिर्फ मुंबई में ही प्रतिदिन 11,000 से ज्यादा मामले आ रहे हैं। ऐसे में मिड-डे ने मुंबई में बढ़ रहे कोरोना केसों पर एक चौंकाने वाली रिपोर्ट प्रकाशित की है।

इस रिपोर्ट के मुताबिक BMC के अधिकारी मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर बाहरी देशों से आए लोगों को 7 दिन के अनिवार्य क्वारंटाइन में रखने की बजाय उनसे 10-12 हजार रुपए लेकर उन्हें एयरपोर्ट से निकलने में मदद कर रहे हैं। 

मिड-डे ने खुलासा किया कि एयरपोर्ट पर बीएमसी अधिकारियों को इसलिए तैनात किया गया कि वो कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित देश जैसे- ब्रिटेन, यूरोप, मिडिल ईस्ट और साउथ अफ्रीका, से आए यात्रियों का 7 दिन का क्वारंटाइन सुनिश्चित करें, लेकिन अधिकारी उनसे पैसों की लेन-देन कर उन्हें छोड़ रहे हैं। समाचार पत्र ने अपनी पड़ताल में यह भी पाया कि यात्रियों को एयरपोर्ट से निकालने के लिए एक विस्तृत व्यवस्था है।

SOP का उल्लंघन कर बीएमसी अधिकारी यात्रियों भेज रहे घर

बीएमसी के स्टैंडर्ड ऑपरेशन प्रोसिजर (एसओपी) के अनुसार, 65 साल से ऊपर के लोग, गर्भवती महिलाएँ, 5 साल के बच्चों के साथ उनके माता-पिता, गंभीर बीमारी वाले लोग, या फिर परिवारिक स्थिति के कारण कहीं से लौटने वालों के लिए होम आइसोलेशन की छूट है, वरना सभी यात्रियों के लिए 7 दिन का क्वारंटाइन अनिवार्य है।

लेकिन इन नियमों का उल्लंघन करने वाला मुंबई में कोई और नहीं, बल्कि बीएमसी खुद है। वह अपने ही बनाए रूल्स का उल्लंघन कर घूस लेकर यात्रियों को एयरपोर्ट से निकाल रही है। इसके बाद उनके नाम होटल की लिस्ट में दिखाए जा रहे हैं जिन्हें इंस्टीट्यूशनल क्वारंटाइन में रखा गया। रिपोर्ट बताती है कि ये सौदा उस समय होता है जब यात्री के पास होटल के कमरे में लगातार 7 दिन तक रहने के लिए पर्याप्त पैसे नहीं होते। 

इस पड़ताल में ये भी पता चला कि जो भी यात्री इस 7 दिन की अवधि को पूरा किए बिना निकलना चाहते थे उन्हें  WestInn होटल चुनने को कहा गया। इसके बाद उन्हें 6 से 7 के ग्रुप में बस में बैठाया गया। इस दौरान न तो यात्रियों ने पीपीई सूट पहना और न ही बस के ड्राइवर ने।

मिड डे ने अपनी जाँच में एक बस का पीछा किया जो सनशाइन होटल पर रुकी और एक पैसेंजर वहाँ से बाहर आया। यहाँ उस यात्री का सामान इनोवा कार में रखवा दिया गया और फिर वही यात्री बस में दोबारा चढ़ गया, जब बस अंधेरी वेस्ट इन होटल पहुँची, तो वही यात्री दोबारा बाहर आया। थोड़ी देर बाद इनोवा गाड़ी वहाँ पहुँची और यात्री होटल से निकल कर इनोवा में बैठ कर चला गया।

मिड डे ने इनोवा का पीछा किया। गाड़ी एयरपोर्ट से 60 किलो दूर उल्वे की ओर गई और फिर ओम अनंत रेजिडेंसी के पास जाकर रुकी, यहाँ यात्री उतरा। पूछताछ में पता चला कि वह व्यक्ति गल्फ नेशनल से लौटा है और फ्लैट नंबर 102 में रहता है। 

बीएमसी अधिकारी ने रिपोर्टर से 10 हजार देने को कहा

रिपोर्ट के अनुसार, ये अकेला मामला नहीं है। घटना के अगले दिन भी बेस्ट बस को मिड डे ने दोबारा फॉलो किया, जहाँ उन्हें फिर एक ऐसा यात्री मिला जिसे बीच रास्ते में उतारकर उसे उसके घर भेज दिया गया।

इस रिपोर्ट में बीएमसी अधिकारी वसंत और मिड डे रिपोर्टर की बातचीत भी है, जो अपने रिश्तेदार को अनिवार्य क्वारंटाइन से निकालने की बात कह रहा है। इस बातचीत में रिपोर्टर से वसंत 10 हजार रुपए की माँग करता है। वसंत कहता है कि यात्री को पहले होटल ले जाया जाएगा, जहाँ चेक इन के बाद पैसा देते ही उसे छोड़ देंगे। लेकिन, कागजी काम में एक घंटा लग सकता है।

जब रिपोर्टर ने पूछा कि अगर इस बीच बीएमसी अधिकारी चेक करने आ गए तो? इस पर वसंत ने खुलासा किया कि बीएमसी अधिकारी होटल जाते हैं और वहाँ वसूली करते हैं। होटल और बीएमसी वालों में पूरी सेटिंग हो रखी है।

वसंत ने कहा कि वह यात्रियों को क्वारंटाइन से भगाने का इंतजाम कर चुका है। उसने मिड डे रिपोर्टर को दीपाली नाम की महिला को कॉल करने को कहा जो ये सब मैनेज करती है। जब मिड डे ने दीपाली से बात की तो उसने मिलने से मना कर दिया, लेकिन रिपोर्टर की बहन को क्वारंटाइन से बचाने के लिए 11,000 रुपए माँगे।

पूरा तंत्र है होटल में क्वारंटाइन यात्रियों को चेक करने के लिए: BMC का दावा

बता दें कि मिड डे के इन दावों को बीएमसी ने नकारा है। उनका कहना है कि उनके पास पूरा तंत्र है ये चेक करने के लिए कि यात्री होटल में क्वारंटाइन हैं या नहीं। उप नगर आयुक्त पराग मसूरकर, हवाई अड्डे पर विदेश से आने वाले लोगों को क्वारंटाइन करवाने के प्रभारी हैं। उन्होंने सफाई में कहा कि संभव है कलेक्टर कार्यालय के अधिकारी इस चीज में शामिल हों। उन्होंने कहा कि हवाई अड्डे पर कलेक्टर कार्यालय के अधिकारी भी मौजूद हैं और होटलों की सूची कलेक्टर कार्यालय के कर्मचारियों के पास दी गई है।

बता दें कि इस मामले में मिड डे की रिपोर्ट के बाद बीएमसी के वरिष्ठ अधिकारी एक्शन में आ गए हैं। डीएमसी पराग मसूरकर का कहना है कि मिड डे की रिपोर्ट के बाद वह यात्रियों के नाम के साथ अपने रिकॉर्ड और होटल का मिलान कर रहे हैं। किसी भी प्रकार का भ्रष्टारचार मिलने पर सभी लोगों पर एक्शन लिया जाएगा।

बीएमसी दे रही गलत जानकारी: कलेक्टर

वहीं, मुंबई उपनगर जिले के कलेक्टर मिलिंद बोरिकर ने कहा कि बीएमसी गलत जानकारी दे रही है। उन्होंने बताया कि उनका कर्मचारी मुंबई पहुँचने वाले अंतरराष्ट्रीय यात्रियों को अलग करने के लिए हवाई अड्डे पर हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि पूरी प्रक्रिया बीएमसी द्वारा नियंत्रित है और उनकी इसमें कोई भूमिका नहीं है।

मिड डे द्वारा यह पूछे जाने पर, जैसा कि डीएमसी मसूरकर ने कहा है, क्या हवाई अड्डे पर कलेक्टर कार्यालय के कर्मचारियों के पास होटलों की सूची रखी गई है? इसके जवाब में कलेक्टर ने कहा, “नहीं, नहीं। वह आपको गलत जानकारी दे रहे हैं क्योंकि हम क्वारंटाइन सुविधा में नहीं हैं। हमारे स्टाफ केवल यात्रियों को अलग करने के लिए वहाँ काम कर रहे हैं।”

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

‘गालीबाज’ देवदत्त पटनायक का संस्कृति मंत्रालय वाला सेमिनार कैंसिल: पहले बनाया गया था मेहमान, विरोध के बाद पलटा फैसला

साहित्य अकादमी ने देवदत्त पटनायक को भारतीय पुराणों पर सेमिनार के उद्घाटन भाषण के लिए आमंत्रित किया था, जिसका महिलाओं को गालियाँ देने का लंबा अतीत रहा है।

नाथूराम गोडसे का शव परिवार को क्यों नहीं दिया? दाह संस्कार और अस्थियों का विसर्जन पुलिस ने क्यों किया? – ‘नेहरू सरकार का आदेश’...

नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे के साथ ये ठीक उसी तरह से हुआ, जैसा आजादी से पहले सरदार भगत सिंह और उनके साथियों के साथ अंग्रेजों ने किया था।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -