Thursday, April 25, 2024
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‘अनुदान ले आतंकी तैयार करते हैं मदरसे’: मस्जिद के पास ब्लास्ट की गुत्थी अनसुलझी, बांग्लादेशी कनेक्शन के कयास

विस्फोटक की क्षमता क्या थी? घटना के पीछे कौन से लोग और संगठन थे? तार कहाँ से जुड़े हैं? आइइडी ब्लास्ट है या नही? अब तक नहीं मिले हैं जवाब।

बिहार के बांका जिले की एक मस्जिद के पास स्थित मदरसे में हुए ब्लास्ट की गुत्थी अब तक नहीं सुलझी है। अब मामले की तहकीकात का जिम्मा बिहार एटीएस को मिला है। ब्लास्ट के तारे बांग्लादेश से जुड़े होने की बात कह, यह भी कयास जताया जा रहा है कि मामला NIA के हवाले किया जा सकता है।

दूसरी तरफ इस घटना के बाद से बिहार की सियासत भी गरम हो गई। विस्फी से बीजेपी के विधायक हरिभूषण ठाकुर ने तो स्पष्ट शब्दों में कहा है कि इस घटना ने मदरसों की पोल खोल दी है। उन्होंने कहा कि सरकारी अनुदान लेकर मदरसे आतंकी तैयार कर रहे हैं। साथ ही इसे भारत के इस्लामीकरण के षड्यंत्र से भी जोड़ा है।

फिलहाल, एटीएस की टीम इस संबंध में हर पहलू पर गंभीरता से जाँच में जुटी में है। कई सवाल हैं। मसलन, विस्फोटक की क्षमता क्या थी? घटना के पीछे कौन से लोग और संगठन थे? इनके तार कहाँ से जुड़े हैं? ये आइइडी ब्लास्ट है कि नही?

एटीएस टीम का नेतृत्व कर रहे इंसपेक्टर रंजीत सिंह ने बताया कि सभी पहलुओं पर जाँच चल रही है। टीम को अब तक कोई ठोस प्रमाण हाथ नहीं लगा है। पुलिस फोरेंसिक साइंस लेबोरेट्री (एफएसएल) के रिपोर्ट का इंतजार कर रही है। एफएसएल रिपोर्ट में धमाके के कारण का पता चलने के बाद इसके अनुसंधान का दायरा बढ़ाने को लेकर विचार किया जा सकता है। 

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, “जाँच एजेंसियों से जुड़े सूत्र बताते हैं कि ब्लास्ट की ये घटना दो ही सूरतों में हो सकती है। इसकी एक वजह ये हो सकती है कि विस्फोटक सामग्री मँगाकर मदरसा के अंदर ही हाई डेंसिटी बम बनाया जा रहा हो। दूसरी वजह यह हो सकती है कि कहीं से बम बनाकर लाया गया हो और उसे यहाँ स्टोर किया गया हो, फिर ट्रांसपोटेशन के दौरान यह ब्लास्ट कर गया हो।”

पूरे मामले में जहाँ आधिकारिक तौर पर पुलिस विभाग के बड़े अधिकारियों की ओर से कुछ भी कहने से बचा जा रहा है, वहीं संभव है कि आने वाले समय में इस केस को राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) टेकओवर करे। एजेंसी सिर्फ गृह मंत्रालय की ओर से हरी झंडी मिलने का इंतजार कर रही है।

जाँच एजेंसियों से जुड़े सूत्र मीडिया को बताते हैं कि जिस तरह का यह धमाका है और जाँच के दौरान घटनास्थल पर जो विस्फोट से जुड़े सबूत मिले हैं, उसका कनेक्शन सीधे पश्चिम बंगाल के वर्धमान में हुए सीरियल ब्लास्ट से जुड़ रहा है। इनके अनुसार, बांका और वर्धमान में हुए विस्फोट में जिस एक्सप्लोसिव का इस्तेमाल हुआ, दोनों सेम है। इसी एंगल के मद्देनजर घटनास्थल पर जाँच करने पश्चिम बंगाल की पुलिस टीम भी आने वाली है, क्योंकि, वर्धमान में हुए विस्फोट का कनेक्शन बांग्लादेश से जुड़ा था।

बता दें कि विस्फोट की जाँच इससे पहले एटीएस ने शुरू की थी। बुधवार को आतंकवाद निरोधक दस्ता की टीम पटना से बांका पहुँची और घटनास्थल पर जाँच-पड़ताल की। इस बीच भागलपुर से डीआईजी सुजीत कुमार भी मौके पर पहुँचे और घटनास्थल का मुआयना करने के बाद उस जगह को सील करने का आदेश दिया। उन्होंने बताया कि अभी आवश्यक जाँच चल रही है। जल्द खुलासे होंगे। अपराधियों को किसी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।

एडीजी जितेंद्र कुमार ने कहा पुलिस सभी बिंदुओं पर अनुसंधान कर रही है। एफएसएल ने घटनास्थल का निरीक्षण किया है। हमें रिपोर्ट का इंतजार है। छानबीन के लिए पटना से विशेष टीम को भी वहाँ भेजा गया है।

गौरतलब है कि बिहार के बांका के नवटोलिया क्षेत्र में बने मदरसे में हुए विस्फोट की खबर 7 जून को आई थी। वहाँ नूरी मस्जिद इस्लामपुर परिसर के आगे एक मदरसे में सुबह 8 बजे बम विस्फोट होने से आसपास का इलाका थर्रा उठा था और मदरसा भी पूरी तरह से ध्वस्त हो गया था। इसके बाद वहाँ से मौलाना और उसके घायल साथी गायब थे।

हालाँकि बाद में मौलाना अब्दुल सत्तार की मौत हुई और उसका शव कोई गाड़ी से गाँव के बाहर फेंककर भाग गया। पुलिस अब बाकी घायलों (मौलाना के साथियों) की तलाश कर रही हैं। अब तक की छानबीन में इनका कोई पता नहीं चल सका। घटना के बाद से ही गाँव के मर्द फरार हैं और औरतों ने मामले में चुप्पी साधी हुई है। पूरे गाँव में बस सन्नाटा है।

इस मामले में अब तक कोई सुराग न मिलने पर अलग-अलग कयास लग रहे हैं। कुछ स्थानीय लोगों का कहना है कि मौलाना बम बनाता था और 3 युवक उसका सहयोग करते थे। क्षेत्र में छोटी-छोटी बात पर बमबारी होती थी। भागलपुर से बारूद लाकर काम किया जाता था। पिछले साल शंकरपुर स्थित धर्मकाँटा पर बम ब्लास्ट हुआ था और पुलिस ने 7 अपराधियों को 65 हजार रुपए के साथ दबोचा था।

वहीं बीजेपी विधायक हरि भूषण ठाकुर ने कहा है कि ऐसे मदरसों में पढ़कर कोई डॉक्‍टर-इंजीनियर नहीं बनता। ये सरकार से अनुदान लेकर आतंकवादी बनाते हैं। उन्‍होंने कहा कि मस्जिद और मदरसे जैसी जगहों पर आतंकवाद की शिक्षा दी जाती है। वहाँ पढ़ाया जाता है कि कमजोर वर्ग को परेशान कर इस्लाम कबूल करने के लिए मजबूर करो। 

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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