उत्तर प्रदेश में सीएए के ख़िलाफ़ विरोध-प्रदर्शन के नाम पर हिंसा की गई, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुँचाया गया और पुल्सकर्मियों के साथ झड़प की गई। योगी सरकार ने फ़ैसला किया कि सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान की भरपाई उपद्रवियों से ही की जाएगी। अब जब प्रदर्शन को कवरेज नहीं मिल रहा है, बुद्धिजीवियों का एक बड़ा वर्ग फिर से जनता को भड़काने में जुट गया है। मीडिया का एक वर्ग तो पहले से ही उलटा-पुल्टा झूठ फैला कर मोदी सरकार को बदनाम करने में लगा है। हालाँकि, योगी आदित्यनाथ की सख्ती के कारण उपद्रवियों के मंसूबे धरे के धरे रह जा रहे हैं।
ताज़ा सूचना के अनुसार, मैग्सेसे विजेता संदीप पांडेय को पुलिस उठा कर ले गई है। पांडेय भड़काऊ पोस्टर बाँट कर लोगों को उकसाने का काम कर रहे थे। वो सीएए और एनआरसी के ख़िलाफ़ भड़काऊ बातें लिख कर लोगों में भ्रम फैला रहे थे। बता दें कि पूरे देश में एनआरसी लागू करने के संबंध में अभी कोई फ़ैसला नहीं हुआ है, लेकिन कथित बुद्धिजीवियों का एक बड़ा वर्ग इसके विरोध में लगा हुआ है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उन पर सीआरपीसी की धारा-151 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।
बता दें कि धारा-151 के तहत पुलिस किसी अपराध को रोकने के लिए किसी व्यक्ति को हिरासत में ले सकती है और इसके लिए मजिस्ट्रेट के ऑर्डर की ज़रूरत नहीं पड़ती। अभी तक आधिकारिक रूप से पांडेय की गिरफ़्तारी बारे में कुछ नहीं कहा गया है। उनकी पत्नी ने अरुंधति धुरु ने बताया कि लखनऊ स्थित ठाकुरगंज थाने की पुलिस उन्हें उठा कर ले गई है। अरुंधति ख़ुद भी एक्टिविस्ट होने का दावा करती हैं। पांडेय के दोस्तों ने दावा किया है कि पुलिस उन्हें जीप में डाल कर ले गई है।
संदीप पांडेय जिन भड़काऊ पोस्टरों के जरिए लोगों को उकसा रहे थे, उन पर कई अन्य तथाकथित सामाजिक कार्यकर्ताओं के हस्ताक्षर थे। उन पोस्टर्स में लिखा था- “देश को लूटने की, बाँटने की और बेचने की राजनीति नहीं चलेगी।” पोस्टर में कई आपत्तिजनक बातें लिखी होने की बात भी पता चली है। मैग्सेसे अवॉर्ड विजेता संदीप पांडेय लोगों से अपील कर रहे थे कि वो देश के संविधान की प्रस्तावना को ‘वास्तविकता में बदलने के लिए’ एकजुट हों।
Social activist and Ramon Magsaysay awardee Sandeep Pandey and 9 others were arrested for allegedly violating prohibitory orders as they were distributing pamphlets for a march. #CAA_NRCProtests https://t.co/OrswVqHPxv
— Outlook Magazine (@Outlookindia) February 17, 2020
संदीप पांडेय के साथ-साथ उनके 9 अन्य साथियों को भी पुलिस ले गई है, जो क्षेत्र में शांति भंग करने का प्रयास कर रहे थे। पांडेय बिना अनुमति लखनऊ घंटाघर से लेकर गोमती नगर तक मार्च भी निकालने वाले थे। घंटाघर को यूपी का शाहीन बाग़ बनाने के लिए वहाँ कई मुस्लिम महिलाओं को धरने पर बिठा दिया गया है।