Saturday, April 20, 2024
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दर्ज होंगे सारे FIR, बीजेपी वर्कर का दोबारा पोस्टमॉर्टम, DCP को नोटिस: बंगाल हिंसा पर NHRC रिपोर्ट के बाद हाईकोर्ट सख्त

हाईकोर्ट ने हिंसाग्रस्त इलाकों के DM और SP को भी नोटिस जारी किया है। पीड़ितों को इलाज और राशन मुहैया कराने का निर्देश ममता सरकार को दिया है।

पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद भड़की हिंसा को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट ने सभी मामले में एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया है। बीजेपी कार्यकर्ता अविजीत सरकार की फिर से पोस्टमॉर्टम कराने को कहा है। साथ ही जाधवपुर में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की जाँच टीम पर हुए हमले को लेकर दक्षिण कोलकाता के डीसीपी को नोटिस जारी किया है।

राज्य में दो मई 2021 को विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद हिंसा भड़क उठी थी। सत्ताधारी तृणमूल कॉन्ग्रेस (TMC) के समर्थकों पर राजनीतिक विरोधियों खासकर बीजेपी समर्थकों को निशाना बनाने के गंभीर आरोप हैं। पीड़ितों ने पुलिस पर भी शिकायत दर्ज करने में टालमटोल करने और हिंसा के दौरान मूकदर्शक बने रहने का आरोप लगाया था। अदालत के आदेश पर जाँच के बाद एनएचआरसी की टीम ने 30 जून को हाईकोर्ट को रिपोर्ट सौंपी थी।

अब हाईकोर्ट ने राज्य पुलिस को हिंसा के सभी मामलों की एफआईआर दर्ज करने को कहा है। इसके अलावा ममता बनर्जी सरकार को भी पीड़ितों का इलाज कराने और उन्हें राशन उपलब्ध करने के लिए कहा गया है। कलकत्ता हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल की अगुवाई वाली 5 सदस्यीय पीठ ने ये निर्देश दिए। पीठ में जस्टिस आईपी मुखर्जी, जस्टिस हरीश टंडन, जस्टिस सौमेन सेन और जस्टिस सुब्रत तालुकदार भी शामिल हैं। NHRC की सिफारिशों के मद्देनजर ये निर्देश दिए गए हैं।

पीठ ने राज्य के मुख्य सचिव को भी हिंसा के सभी मामलों से जुड़े दस्तावेजों को सुरक्षित रखने के लिए कहा है। इसके अलावा कोर्ट ने हिंसाग्रस्त इलाकों के DM और SP को नोटिस जारी करके जवाब माँगा है कि हिंसा को रोकने में असमर्थ रहने वाले जिम्मेदारों के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई।

कोर्ट ने साउथ कोलकाता के डेप्युटी कमिश्नर ऑफ पुलिस राशिद मुनीर खान के खिलाफ कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट के आधार पर कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। यह नोटिस जाँच के लिए गई NHRC की टीम के कार्य में बाधा पहुँचाने वालों को रोकने में असफल रहने पर जारी किया गया है।

इसके अलावा कलकत्ता हाई कोर्ट ने राज्य की ममता बनर्जी सरकार को भी आदेशित करते हुए कहा है कि राज्य सरकार यह सुनिश्चित करे कि हिंसा पीड़ितों का समुचित इलाज कराया जाए। साथ ही पीड़ितों को मुफ़्त में राशन भी उपलब्ध कराया जाए। कोर्ट द्वारा यह भी कहा गया है कि सरकार द्वारा उन्हें भी राशन मिलना चाहिए जिनके पास राशन कार्ड उपलब्ध नहीं है।

गौरतलब है कि कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश के बाद ही NHRC के सदस्य राजीव जैन के नेतृत्व में एक 7 सदस्यीय टीम का गठन किया गया था। इस टीम ने हिंसाग्रस्त इलाकों का दौरा किया था। इसके बाद आयोग की रिपोर्ट 30 जून को कोर्ट के सामने पेश की गई। हालाँकि आयोग ने रिपोर्ट पेश करते हुए कहा था कि यह रिपोर्ट आंशिक है और पूरी रिपोर्ट तैयार करने के लिए उसे और समय चाहिए। इसके लिए कोर्ट ने कमेटी को 13 जुलाई तक का समय दे दिया। अब इस मामले में अगली सुनवाई भी 13 जुलाई को ही होनी है।   

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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