सुप्रीम कोर्ट ने जबरन धर्मांतरण को ‘गंभीर मुद्दा’ बताया है। कहा है कि यह संविधान के विरुद्ध है। शीर्ष अदालत ने कहा है कि चैरिटी के नाम पर किसी का धर्म परिवर्तन कराने की इजाजत नहीं दी जा सकती। इस संबंध में केंद्र और राज्यों को विस्तृत हलफनामा दायर करने के निर्देश दिए हैं।
चैरिटी की आड़ में धर्मांतरण करने वाले मिशनरीज और गैर सरकारी संस्थानों (NGO) की नीयत पर सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (5 दिसंबर 2022) को यह बात कही। अदालत ने कहा कि दवा और अनाज देकर लोगों को लुभाना और उनका धर्म परिवर्तन करना बेहद गंभीर मसला है। हर अच्छे काम का स्वागत है, लेकिन उसके पीछे की नीयत की जाँच जरूरी है। अदालत वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
#SupremeCourt says “good work” by Charities are welcome buy they cannot convert people on pretext of helping them. Top Court has asked Centre & States to file a detailed affidavit on the issue of forceful conversions
— LawBeat (@LawBeatInd) December 5, 2022
उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है कि वह केंद्र को इस बाबत कड़े कदम उठाने का निर्देश दे ताकि डरा-धमकाकर, उपहार या रुपए-पैसों का लालच देकर धर्मांतरण को रोका जा सके। जस्टिस शाह की अध्यक्षता वाली 2 जजों की पीठ इस मामले पर सुनवाई कर रही है। पिछली सुनवाई (14 नवंबर 2022) में कोर्ट ने जबरन धर्म परिवर्तन को देश की सुरक्षा के लिए खतरनाक बताया था। केंद्र ने भी इससे सहमति जताते हुए कहा था कि 9 राज्यों ने इसके खिलाफ कानून बनाया है। केंद्र भी ज़रूरी कदम उठाएगा।
सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने पीठ को बताया कि वे सभी राज्यों से जबरन धर्मांतरण पर डेटा इकट्ठा कर रहे हैं। इसके लिए उन्होंने कोर्ट से एक हफ्ते का समय माँगा। मामले की अगली सुनवाई 12 दिसंबर 2022 को होगी। सॉलिसिटर जनरल ने कहा, “धर्म परिवर्तन के मामलों को देखने के लिए एक कमेटी होनी चाहिए, जो तय करे कि वाकई हृदय परिवर्तन हुआ है या लालच और दबाव में धर्म बदलने की कोशिश की जा रही है।”
पीठ ने कहा, “यह बहुत गंभीर मामला है। दान और समाज सेवा अच्छी चीजें हैं, लेकिन धर्मांतरण के पीछे कोई गलत मकसद नहीं होना चाहिए।” एक वकील की तरफ से इस याचिका की मान्यता पर सवाल उठाए जाने पर पीठ ने कहा कि इतना टेक्निकल होने की जरूरत नहीं है। हम यहाँ पर उपाय खोजने के लिए बैठे हैं। हम यहाँ एक मकसद के लिए हैं। हम चीजों को ठीक करने आए हैं। अगर इस याचिका का मकसद चैरिटी है, तो हम इसका स्वागत करते हैं। लेकिन यहाँ नीयत पर ध्यान देना जरूरी है।
याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय ने माँग की है कि धर्म परिवर्तनों के ऐसे मामलों को रोकने के लिए अलग से कानून बनाया जाए या फिर इस अपराध को भारतीय दंड संहिता (IPC) में शामिल किया जाए। याचिका में यह भी कहा गया है कि यह मुद्दा किसी एक जगह से जुड़ा नहीं है, बल्कि पूरे देश की समस्या है जिस पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है।