सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के सभी सरकारी स्कूलों को नोटिस जारी करते हुए स्कूलों में CCTV कैमरे लगाने की याचिका पर 6 सप्ताह के भीतर जवाब माँगा है। याचिका में कहा गया था कि कक्षा में डेढ़ लाख कैमरे लगवाए जाने से और उसकी लाइव स्ट्रीमिंग करवाए जाने से बच्चों पर मानसिक दबाव पड़ेगा।
Supreme Court issues notice to Delhi Govt & seeks reply in 6 weeks on a PIL challenging its decision to install CCTV cameras in Govt schools. The plea says installation of 1.5 lakh cameras in all classrooms & live streaming of footage will have psychological pressure on children pic.twitter.com/TB3NcGq0fq
— ANI (@ANI) May 10, 2019
दरअसल, सरकारी स्कूलों में CCTV कैमरे के माध्यम से कक्षा की लाइव स्ट्रीमिंग के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई थी। इस याचिका में यह कहा गया था कि लाइव स्ट्रीमिंग से वहाँ पढ़ने वाले छात्रों पर मानसिक रूप से दबाव पड़ने के साथ-साथ इसका उन पर बुरा असर पड़ेगा।
दरअसल, मई 2017 में दिल्ली के सभी सरकारी स्कूलों में CCTV कैमरे लगाए जाने का निर्णय लिया गया था। इस निर्णय के मुताबिक़ क़रीब 1,028 सरकारी स्कूलों में 1,46,800 कैमरे लगाने के प्रस्ताव को एक्सपेंडिचर फाइनेंस कमिटी ने मंज़ूरी दे दी थी। बता दें कि इस पूरे प्रोजेक्ट पर लगभग 597.51 करोड़ रुपए खर्च होने की ख़बर थी। सभी सरकारी स्कूलों में दो तरह के कैमरे लगाए जाने की स्वीकृति मिली थी, एक तो बुलेट (1,44,414) और दूसरा पीटीजेड (2,383)। कॉरिडोर में बुलेट कैमरे और ओपन एरिया में पीटीजेड कैमरे लगाने का प्रस्ताव था, और कक्षाओं में ड्रोन कैमरे लगाए जाना तय हुआ था।
दिल्ली सरकार के इसी प्रस्ताव पर दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी जिस पर सितंबर 2018 में हाईकोर्ट में सुनवाई हुई थी। इस सुनवाई में सरकारी स्कूलों की कक्षाओं में लगने वाले CCTV कैमरे को कोर्ट ने ग़लत नहीं ठहराया था। दिल्ली हाईकोर्ट ने उन दावों को ख़ारिज कर दिया था, जिसके अनुसार यह कहा गया था कि CCTV लगने से बच्चों की निजता के अधिकार प्रभावित होंगे।
Delhi High Court dismisses an application seeking the interim stay on a plea which had challenged the move of the Delhi government to install CCTVs in the classrooms.
— ANI (@ANI) September 13, 2018
ख़बर के अनुसार, जस्टिस राजेन्द्र मेनन और जस्टिस वी के राव की बेंच ने कहा था कि कक्षाओं में CCTV कैमरे लगने से निजता का कोई प्रश्न नहीं उठता क्योंकि स्कूलों में कुछ भी निजी काम नहीं किया जाता। इसके अलावा बेंच ने यह भी कहा था कि ऐसा कई बार होता है जब अभिभावक, शिक्षकों पर नहीं पढ़ाए जाने का आरोप लगाते हैं, CCTV कैमरे लग जाने के बाद अभिभावकों की इस तरह की शिकायतों पर विराम लगेगा और सही तस्वीर से वे अवगत हो सकेंगे।