आरोपितों में से एक नाम ‘मुनाजिर रफी’ का भी है। साल 2018 में ये मुनाजिर चंदन गुप्ता हत्याकांड में भी आरोपित था। उस समय उसकी बेल याचिका का विरोध मोहिनी तोमर ने किया था। अब चूँकि उसी मुनाजिर का नाम मोहिनी तोमर हत्याकांड में आया है इसलिए हमने इस संबंध में चंदन गुप्ता के परिजनों से बात करते हुए जमीनी पड़ताल की और जाना कि आखिर मुनाजिर का कैसे चंदन गुप्ता केस में संबंध था और कैसे मोहिनी ने इसके खिलाफ आवाज उठाई थी।
मोहिनी तोमर के पति ने अपनी FIR में आरोप लगाया है कि मृतका ने साल 2018 के चंदन गुप्ता हत्याकांड में आरोपित मुनाजिर की जमानत का विरोध किया था। इस बावत चंदन गुप्ता के भाई विवेक ने बताया कि मोहिनी तोमर ने उनके भाई का केस लड़ने के लिए वकालतनाम लगाया था। हालाँकि मुकदमे को किसी और वकील ने लड़ा था। जब कासगंज कोर्ट में मुनाजिर की जमानत अर्जी पर बहस चल रही थी तब चंदन गुप्ता की तरफ से कई हिन्दू वकील खड़े हो गए थे। मुनाजिर का विरोध करने वाले इन वकीलों में मोहिनी तोमर भी शामिल थीं।
विवेक गुप्ता का कहना है कि मोहिनी तोमर सहित कई वकीलों के विरोध और पुलिस द्वारा पेश किए गए सबूतों की ही वजह से तब मुनाजिर की जम्मानत अर्जी ख़ारिज हो गई थी। हालाँकि असद और कामिल जैसे तमाम मुस्लिम वकीलों ने मुनाजिर को जमानत दिलाने की हर सम्भव कोशिश की थी। 4 से 5 महीने जेल काटने के बाद मुनाजिर को हाईकोर्ट से जमानत मिल पाई थी। इसी बीच केस का ट्रायल लखनऊ की अदालत में ट्रांसफर कर दिया गया।
मुनाजिर को जेल भिजवाने में मोहिनी का था अहम रोल
विवेक ने हमें आगे बताया कि जब चंदन गुप्ता की हत्या में मुनाजिर रफी का नाम सामने आया था तब कचेहरी में वकीलों के 2 गुट बन गए थे। पहले गुट में अधिकतर मुस्लिम वकील थे जो मुनाजिर की नामजदगी को गलत बता रहे थे। वो प्रशासन पर इस नाम को हटाने का प्रयास भी कर रहे थे। कामिल और असद मुस्तफा भी इस गुट के सदस्य थे। वहीं दूसरा गुट हिन्दू वकीलों का था जो चाहता था कि मुनाजिर पर नियमानुसार एक्शन हो। हिन्दू गुट के वकीलों में मोहिनी तोमर प्रमुख थीं। आखिरकार जीत हिन्दू पक्ष के वकीलों की हुई और मुनाजिर को जेल भेज दिया गया।
भाई सहित मुनाजिर पर भी हिंसक भीड़ में शामिल होने का आरोप
मोहिनी तोमर के कत्ल वाली FIR में नामजद मुनाजिर रफ़ी पेशे से वकील है। वह कासगंज की कोर्ट में वकालत करता है। आरोप है कि 26 जनवरी 2018 को चंदन गुप्ता को जिस भीड़ ने घेर कर मारा था उसमें मुनाजिर अपने भाई आमिर रफी के साथ शामिल था। चंदन गुप्ता के भाई विवेक ने ऑपइंडिया को बताया कि मुनाजिर का नाम जाँच के दौरान आया था। वह न सिर्फ तिरंगा यात्रा को रोकने बल्कि जानलेवा हमला करने वाली भीड़ में भी शामिल था। दावा किया गया कि तब मुनाजिर रफ़ी के हाथों में हथियार भी देखे गए थे।
मुनाजिर की पैरवी कर रहे थे कामिल और असद
मोहिनी हत्याकांड में वकील मुनाजिर के साथ उसी के पेशे वाले कामिल और असद नामजद किए गए हैं। विवेक गुप्ता ने ऑपइंडिया को बताया कि इन तीनों में आपस में गहरा रिश्ता है। रिश्ते की जड़ में मुनाजिर, कामिल और असद का वकील और हम-मज़हब (मुस्लिम) होना बताया गया। विवेक गुप्ता का दावा है कि जब उनके भाई चंदन की हत्या के बाद मोहिनी तोमर सहित कई अन्य हिन्दू वकील मुनाजिर की गिरफ्तारी की माँग कर रहे थे तो असद और कामिल विरोधी खेमे में खड़े थे।
विवेक का दावा है कि चंदन हत्याकांड में मुनाजिर का नाम आने के बाद उसके समर्थन में मुस्लिम वकीलों की लॉबी खड़ी करने में असद और कामिल का बहुत बड़ा रोल था। इतना ही नहीं, मुनाजिर को गिरफ्तारी से न बचा पाने एक बाद असद और कामिल उसकी पैरवी करने लखनऊ तक गए थे। बकौल विवेक गुप्ता असद और कामिल ने चंदन हत्याकांड में न सिर्फ वकील मुनाजिर की मदद की थी बल्कि अन्य कातिलों को भी मुस्लिम होने के नाते भरपूर सहयोग किया था।
हर पीड़ित हिन्दू की यथाशक्ति मदद करती थीं मोहिनी
विवेक गुप्ता ने हमसे बातचीत के दौरान खुल कर स्वीकार किया कि उनके भाई की हत्या के बाद मोहिनी तोमर लगातार उनके परिवार की मदद कर रहीं थीं। विवेक ने यह भी बताया कि मोहिनी तोमर सिर्फ उनकी नहीं बल्कि कहीं भी मुस्लिमों द्वारा प्रताड़ित हिन्दुओं की मदद करने के लिए खुद से आगे आ जाती थीं जिसकी वजह से वो कट्टरपंथियों के निशाने पर थीं।
हमें अब दबाव नहीं बल्कि जान का खतरा
15 अगस्त 2022 को ऑपइंडिया ने चंदन गुप्ता के पिता से बात की थी। तब उन्होंने बताया था कि उनके परिवार को मुस्लिमों की तरफ से केस वापसी का दबाव मिल रहा है। इस बावत चंदन गुप्ता के भाई ने बताया कि अब उनकी गवाही हो चुकी है। विवेक ने कहा कि गवाही होने से पहले केस वापसी के खूब दबाव मिले लेकिन अब उन्हें जान का खतरा है। उन्होंने उम्मीद जताई है कि कासगंज का प्रशासन उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करेगा।
बताते चलें कि 26 जनवरी 2018 को कासगंज के कुछ युवकों ने तिरंगा यात्रा निकाली थी। इस यात्रा का नेतृत्व चंदन गुप्ता कर रहा था। अचानक ही मुस्लिम भीड़ ने इस यात्रा पर हमला किया। हमले में चंदन गुप्ता की मौत हो गई थी। इस मामले ने साम्प्रदायिक रंग ले लिया था और काफी दिनों तक कासगंज में कर्फ्यू जैसे हालत बने रहे। फ़िलहाल इस पूरे मामले का ट्रायल लखनऊ में चल रहा है।