Friday, March 29, 2024
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वे नहीं रहे… क्योंकि वे हिंदू थे: इस रक्षाबंधन भी चंदन गुप्ता के घर नहीं जला चूल्हा, पिता का दावा- प्रतिमा लगाने का वादा भी आधा-अधूरा

"मुझ पर केस खत्म करने का दबाव बनाने के लिए जो लोग भेजे जा रहे हैं वे हिन्दू ही हैं। वे मेरे पास तमाम तरह के ऑफर और प्रलोभन लेकर आते हैं।"

उत्तर प्रदेश के कासगंज जिले में 26 जनवरी 2018 को निकली ‘तिरंगा यात्रा’ पर इस्लामी कट्टरपंथियों ने हमला किया था। इस हमले में चंदन गुप्ता उर्फ़ अभिषेक की मौत हो गई थी। ‘तिरंगा यात्रा’ में शामिल लोगों पर गोलियाँ चलाई गई थी। पथराव हुआ था। ऑपइंडिया ने चंदन गुप्ता के परिवार का हाल जानने के लिए उनके पिता सुशील गुप्ता से बात की।

डर से छुड़वा दी बड़े बेटे की नौकरी

सुशील गुप्ता ने बताया, “चंदन की हत्या के बाद लगभग 1 साल तक मेरे परिवार को पुलिस सुरक्षा मिली थी। बाद में यह हटा ली गई। मेरा बड़ा बेटा विवेक गुप्ता इस केस का गवाह है। पहले वो मेडिकल रिप्रेजेंटिव की नौकरी करता था। लेकिन अब हमने डर से उसकी नौकरी छुड़वा दी है। हमें कई बार धमकियाँ भी मिली है। अब घर के खर्चों की पूरी जिम्मेदारी अकेले मेरे ऊपर है। मैं एक प्राइवेट अस्पताल में कम्पाउंडर हूँ। एक बेटी की शादी की भी जिम्मेदारी है।”

सलीम को छोड़ छूटे सभी आरोपित

सुशील गुप्ता का दावा है कि चंदन की हत्या में आरोपित 29 नामजदों में से 28 जेल से बाहर आ चुके हैं। हाई कोर्ट से इन सबको जमानत मिली हुई है। केवल सलीम जेल में है और उसकी अपील पर इसी महीने हाई कोर्ट में सुनवाई है। गुप्ता के मुताबिक उन्होंने अपनी ओर से भी इस मामले में कैविएट दायर कर रखी है। हाई कोर्ट तक मामले की पैरवी पर खर्च भी हो रहा है। उनका दावा है कि आरोपित आर्थिक तौर पर मजबूत हैं। इसके कारण उन्हें मुकदमा लड़ने में सहूलियत है। गुप्ता कहते हैं, “कासगंज कोर्ट में जब सुनवाई होती थी तो हमारी तरफ से 3-4 लोग होते थे, जबकि आरोपितों की तरफ से 100-200 लोग जमा हो जाते थे। वे दवाब बनाने की कोशिश करते थे। इसलिए हमने अपने पैसे से हाई कोर्ट में मुकदमा लड़ा और केस लखनऊ ट्रांसफर करवाया है। अब हम पैरवी के लिए लखनऊ बिना सुरक्षा के जाते हैं।”

FIR कॉपी में नामजद कुछ आरोपित

डर से पीछे हट रहे गवाह

सुशील गुप्ता के मुताबिक, “चंदन की हत्या के केस में आधे दर्जन से अधिक गवाह थे। लेकिन, अब एकाध को छोड़ अन्य गवाही देने से पीछे हट रहे हैं। अब उनका ही बेटा चश्मदीद गवाह बचा है। इसलिए परिवार उसकी सुरक्षा को लेकर भी चिंतित रहता है।”

हत्यारोपितों में वकील भी शामिल

वादे अभी भी अधूरे

ऑपइंडिया से बात करते हुए सुशील गुप्ता भावुक हो गए। रोते हुए उन्होंने कहा, “चंदन के न रहने के बाद वादों की झड़ी लगा दी गई थी। मेरी बेटी को सरकारी नौकरी और शहर के एक चौराहे का नाम चंदन के नाम पर रखने की बात कही गई थी। मेरी बेटी MSc की पढ़ाई पूरी कर चुकी है। उसको ब्लॉक स्तर पर एक नौकरी दी गई जो 5 महीने बाद खत्म कर दी गई। चौराहे पर चंदन की मूर्ति हमने अपने पैसे से लगाई है। उसका अनावरण नहीं हुआ है।”

हालाँकि यह स्पष्ट नहीं है कि चौराहे पर चंदन की मूर्ति लगाने से पहले प्रशासन से अनुमति ली गई थी या नहीं। लेकिन सुशील गुप्ता की माने तो जिस स्थान पर चंदन की प्रतिमा लगाई गई है, वह उसकी हत्या के बाद मंत्री सुरेश पासी ने नगरपालिका अधिकारियों से बात कर चिन्हित करवाई थी। नगर पालिका ने अपनी बोर्ड मीटिंग में भी नदरई गेट पर चंदन चौक बनाने की अनुमति दी थी। लेकिन नगरपालिका ने मूर्ति लगाने की जगह पर आधा-अधूरा काम कर ही छोड़ दिया था। इसके बाद चंदन के परिजनों और समाज के अन्य लोगों ने मिलकर चबूतरे का प्लास्टर करवाया और 3 जनवरी 2022 को एक मूर्ति वहाँ लगा दी। साथ ही बेटी की नौकरी से जुड़ा जो दावा सुशील गुप्ता ने किया है, उसके बारे में भी हमारी प्रशासन से बात नहीं हो पाई है। जानकारी मिलते ही हम इस रिपोर्ट को अपडेट करेंगे।

चंदन गुप्ता के परिजनों द्वारा चौराहे पर रखवाई गई मूर्ति

रक्षाबंधन के दिन नहीं बना घर में खाना

सुशील गुप्ता ने कहा, “रक्षाबंधन के दिन मेरी बेटी अपने भाई को याद कर लगातार रोती रही। उस दिन दुःख में हमारे घर में खाना नहीं बना। बहन ने अपने भाई की फोटो के आगे राखी और मिठाई रखी हुई है। चंदन की माता अक्सर उस दिन को याद करते हुए बीमार पड़ जाती हैं। सरकार ने तब हमें 20 लाख रुपए की मदद की थी, वो पैसे इस केस की पैरवी और आरोपितों को सजा दिलाने में ही काम आ रहे हैं।”

चंदन की तस्वीर पर रखी हुई राखी

कुछ लोग आ रहे केस खत्म करने का ऑफर ले कर

दिवंगत चंदन गुप्ता के पिता आगे कहते हैं, “अफ़सोस की बात ये है कि मैं तमाम धमकी और दबाव के बाद भी अपने दिवंगत बेटे को न्याय दिलाने की लड़ाई लड़ रहा, लेकिन मुझ पर केस खत्म करने का दबाव बनाने के लिए जो लोग भेजे जा रहे हैं, वे हिन्दू ही हैं। वे मेरे पास तमाम तरह के ऑफर और प्रलोभन लेकर आते हैं। हालाँकि, मेरा बेटा नहीं रहा तो मैं भी मरने को तैयार हूँ। मैं दोषियों को सजा दिलाने के लिए अंतिम साँस तक लड़ूँगा।”

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राहुल पाण्डेय
राहुल पाण्डेयhttp://www.opindia.com
धर्म और राष्ट्र की रक्षा को जीवन की प्राथमिकता मानते हुए पत्रकारिता के पथ पर अग्रसर एक प्रशिक्षु। सैनिक व किसान परिवार से संबंधित।

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