Saturday, July 27, 2024
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‘उसे कभी मत बताना, मैं ही उसकी माँ हूँ’: बच्ची के जैविक माता-पिता निकले भाई-बहन, कस्टडी को लेकर महिला ने रखी शर्त

महिला ने अदालत से कहा, "मैं बच्ची को नहीं रखना चाहती हूँ, क्योंकि मुझे समाज का डर है। अगर कोई मुझसे पूछेगा कि वह किसकी संतान है, तो मुझे इस सवाल का जवाब देने में शर्म महसूस होगी।"

गुजरात में कलोल (Kalol, Gujarat) की एक मजिस्ट्रेट अदालत ने सात साल तक अनाथालय में रहने वाली सात वर्षीय बच्ची की कस्टडी अब उसके पिता को दे दी है। माँ ने बच्ची को पिता को सौंपने से पहले एक शर्त रखी है कि वह जिंदगी में उसे कभी नहीं बताएगा कि वह उसकी माँ है और कभी भी उसे उसके पास नहीं लाएगा।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, कोर्ट ने माँ के व्यवहार पर हैरानी और दुख जताया है, जो बच्ची को अपने पास रखने के लिए तैयार नहीं है। बच्ची के जैविक माता-पिता चचेरे भाई-बहन हैं, जो मेहसाणा के राणासन गाँव के रहने वाले हैं। उनकी शादी नहीं हुई है। दोनों के बीच अवैध संबंधों के बाद इस बच्ची का जन्म हुआ था। वे इसका गर्भपात भी नहीं करा सके, इसलिए दोनों ने इसे गुपचुप तरीके से जन्म देने की योजना बनाई।

बच्ची के जन्म के दूसरे दिन यानी (5 अक्टूबर 2015) को दोनों अर्जुनपुरा गाँव में एक बस स्टॉप के पास पहुँचे। यहाँ दोनों बच्ची को छोड़ने वाले थे, तभी कुछ स्थानीय लोगों ने उन्हें ऐसा करते हुए देख लिया और पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया। पुलिस ने खिलाफ बच्ची को अज्ञात जगह पर छोड़कर भागने के मामले में एफआईआर दर्ज की और बच्ची को गाँधी नगर सिविल अस्पताल ले जाया गया। अब उसे कालूपुर के एक अनाथालय में रखा गया है।

बताया जा रहा है कि मजिस्ट्रेट अदालत ने सबूतों के अभाव में बच्ची के जैविक माता-पिता को बरी कर दिया था। हालाँकि, पिता अपनी बच्ची से बेहद प्यार करता था, उसने उसे पाने के लिए कोर्ट में आवेदन किया कि वह बच्ची की कस्टडी चाहता है। अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट दीपा ठाकर ने पिता के अनुरोध पर गौर किया।

अदालत ने निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि माँ को बच्ची के प्रति कोई स्नेह नहीं था, जबकि पिता ने उसकी कस्टडी पर जोर दिया, क्योंकि वह नहीं चाहता था कि उसकी बच्ची को सब अनाथ कहें। अदालत ने अपने आदेश में जैविक माँ के बयानों को भी विस्तृत रूप से दर्ज किया है। उसने कहा था, “अगर बच्चा किसी को दिया जाता है तो मुझे कोई समस्या नहीं है, लेकिन उसका मेरे साथ कोई संबंध नहीं होना चाहिए।”

महिला ने अदालत से कहा, “मैं बच्ची को नहीं रखना चाहती हूँ, क्योंकि मुझे समाज का डर है। अगर कोई मुझसे पूछेगा कि वह किसकी संतान है, तो मुझे इस सवाल का जवाब देने में शर्म महसूस होगी। अगर बेटी की कस्टडी उसके पिता को दी जाती है तो मेरी केवल यही शर्त होगी कि वह उसे मेरे पास कभी नहीं लाएगा और उसे कभी यह नहीं बताएगा कि मैं ही उसकी माँ हूँ।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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