सहारनपुर के देवबंद स्थित दारुल उलूम ने ‘गजवा-ए-हिंद’ को सही ठहराने वाले फतवे को लेकर बड़ा फैसला लिया है। दारुल उलूम ने कहा है कि ये फतवा सही है और अगर इसके खिलाफ कोई कार्रवाई की जाएगी, तो हम कोर्ट में जाएँगे। सहारनपुर में दारुल उलूम की सबसे बड़ी कमेटी मजलिस-ए-शूरा की बैठक हुई, जिसमें शूरा के सदस्यों ने गजवा-ए-हिंद पर दिए फतवे को सही ठहराया है। शूरा ने कहा है कि दारुल उलूम की वेबसाइट नहीं बंद की जाएगी। पहले की तरह की फतवे ऑलनाइन माध्यम से भी जारी किए जाते रहेंगे।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दारुल उलूम देवबंद की वेबसाइट पर ‘गजवा ए हिंद’ को सही बताया गया है। इस पर राष्ट्रीय बाल अधिकारि संरक्षण आयोग ने कड़ाई बरतते हुए डीएम को कार्रवाई के निर्देश दिए थे, साथ ही एफआईआर दर्ज करने के लिए भी कहा था। अब कई मुद्दों को लेकर दारुल उलूम के गेस्ट हाउस में बैठक हुई, जिसमें फतवे पर टिके रहने का फैसला लिया गया। दारुल उलूम के मोहतमिम मुफ्ती अबुल कासिम नौमानी ने कहा है कि गजवा-ए-हिंद पर दिए फतवे के मामले में भविष्य में कोई भी कार्रवाई हुई तो उसका कानूनी रूप से जवाब दिया जाएगा।
एनसीपीसीआर ने जारी किया था नोटिस
गजवा ए हिंद पर दिए गए फतवे के खिलाफ अब राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने स्वत: संज्ञान लेते हुए सहारनपुर पुलिस के अधिकारियों को कार्रवाई के लिए नोटिस जारी किया था। एनसीपीसीआर ने नोटिस में कहा कि ये मदरसा भारत के बच्चों को देशविरोधी तालीम दे रहा है। इससे इस्लामी कट्टरपंथ को बढ़ावा मिलेगा। बच्चों में देश के प्रति नफरत पैदा होगी। आयोग ने कहा कि बच्चों को अनावश्यक रूप से परेशान करना या शारीरिक कष्ट देना तो किशोर न्याय अधिनियम की धारा 75 का उल्लंघन है।
दरअसल, दारुल उलूम की साइट (darulifta-deoband.com) पर सवाल किया गया था कि क्या हदीस में भारत पर आक्रमण का जिक्र है जो उपमहाद्वीप में होगा? और जो भी इस जंग में शहीद होगा, वो महान शहीद कहलाएगा। और जो गाजी होगा वो जन्नती होगा। इसी सवाल के जवाब में दारुल उलूम की ओर से फतवा जारी किया गया। फतवे में ‘सुन्न अल नसा (Sunan-al-Nasa) ‘ नाम की किताब का जिक्र करते हुए कहा गया है कि इस किताब में गजवा-ए-हिंद को लेकर पूरा का पूरा चैप्टर है। इसमें हजरत अबू हुरैरा की हदीस का जिक्र करते हुए कहा गया है- “अल्लाह के संदेशवाहक ने भारत पर हमले का वादा किया था। उन्होंने कहा था कि अगर मैं जिंदा रहा तो इसके लिए मैं अपनी खुद की और अपनी संपत्ति की कुर्बानी दे दूँगा। मैं सबसे महान शहीद बनूँगा।”
फतवा 9 साल पुराना, डीएम को भेजा जवाब
इस मामले में अब दारुल उलूम ने साफ कर दिया है कि वो फतवे को नहीं हटाएँगे और न ही वेबसाइट को बंद करेंगे। इस मामले में दारुल उलूम ने सहारनपुर के डीएम को भी अपना जवाब भेजा है। दारुल उलूम ने कहा है कि ये फतवा नौ साल पुराना है। ये फतवा साल 2015 में दिया गया था। मजलिस-ए-शूरा के सदस्यों ने डीएम को भेजे गए जवाब पर सहमति जताई है।
इस मामले में सहारनपुर के डीएम डॉ. दिनेश चंद्र ने बताया कि फतवा प्रकरण में जिला प्रशासन ने अपनी प्राथमिक जाँच रिपोर्ट राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को भेज दी है। आयोग के निर्देशों के मुताबिक आगे की कार्रवाई की जाएगी।