अजीत डोभाल के बाद ये अधिकारी हैं No. 2, मुंबई हमलों के बाद निभाया था अहम किरदार

अजीत डोभाल देश के NSA हैं और दत्ता पडसलगीकर उनके डिप्टी

इसी साल अक्टूबर के अंतिम हफ्ते में मुंबई के कमिश्नर रहे दत्ता पडसलगीकर को उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (डिप्टी एनएसए) बनाया गया। सुरक्षा के मामलों में सीधा प्रधानमंत्री को सलाह देने वाले अधिकारियों में वह अजीत डोभाल के बाद नंबर 2 हैं। महाराष्ट्र के डीजीपी रहे पडसलगीकर को उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बना कर आतंरिक सुरक्षा मामलों की कमान सौंपी गई है। आईबी में पडसलगीकर और अजीत डोभाल कई वर्षों तक साथ काम कर चुके हैं, इसीलिए दोनों के बीच ट्यूनिंग भी ख़ासी अच्छी है। 1982 बैच के आईपीएस अधिकारी पडसलगीकर ने पूरे 26 साल आईबी में व्यतीत किए हैं।

नवंबर 26, 2008 को मुंबई दहल गई। पाकिस्तान से आए 10 आतंकियों ने मुंबई के 12 ठिकानों को निशाना बनाया और 166 लाशें गिरा दीं। इनमें से 9 आतंकी मार गिराए गए और अजमल कसाब ज़िंदा पकड़ा गया। पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के इस हमले में कई विदेशी भी मारे गए थे। भारत सरकार ने दुनियाभर में कई देशों को इस घटना में पाकिस्तान की भागीदारी के सबूत दिखाए। हमले के बाद हुई जाँच में दत्ता पडसलगीकर का रोल काफ़ी अहम रहा।

पडसलगीकर का अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क काफ़ी तगड़ा है और समय-समय पर विभिन्न मामलों में सूचनाएँ जुटाने में उनका यह नेटवर्क काफी कारगर रहा है। अमेरिकी दूतावास में तैनात रहने के कारण उन्हें कूटनीतिक अनुभव भी रहा है। उन्होंने फ्रेंच भाषा की पढाई की है और साहित्य में गहरी रूचि रखते हैं। वे पहले अधिकारी थे जिसने सबूतों के साथ मुंबई हमलों में पाकिस्तान का हाथ होने की बात कही थी। अमेरिकी दूतावास में तैनात रहने के कारण उन्हें कूटनीतिक अनुभव भी रहा है। उन्होंने फ्रेंच भाषा की पढाई की है और साहित्य में गहरी रूचि रखते हैं।

मुंबई हमलों के दौरान देश की वित्तीय राजधानी में घुसे आतंकी पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं से लगातार संपर्क में थे। आतंकी आका शागिर्दों को निर्देश दे रहे थे और न्यूज़ चैनल देख कर बता रहे थे कि बाहर क्या कार्रवाई चल रही है। पडसलगीकर ने अमेरिका से ‘वॉइस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल (VOIP)’ प्राप्त कर आतंकियों और उनके आकाओं के बीच हुई बातचीत की जाँच की। मुंबई हमले के दौरान एकमात्र ज़िंदा पकड़े गए आतंकी अजमल कसाब को लम्बे ट्रायल के बाद नवंबर 21, 2012 को फाँसी की सज़ा दे दी गई थी। कसाब से पूछताछ और उसके ख़िलाफ़ ट्रायल में भी दत्ता पडसलगीकर ने बड़ी भूमिका निभाई। पडसलगीकर के बारे में मुंबई पुलिस के लोग कहते हैं कि वो अपनी सादगी के लिए जाने जाते हैं।

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जब वो मुंबई के पुलिस कमिश्नर बन कर आए थे, तब वहाँ उन्हें सरकारी आवास कई दिनों बाद मिला था। तब तक पडसलगीकर वर्ली स्थित आईपीएस ऑफिसर्स मेस में ही रहा करते थे। वह रोज़ सुबह पास के ही एक बेकरी में बिना किसी सुरक्षा के जाया करते थे। उन्होंने पुलिस बल में मानवीय भावनाओं को मजबूती दी। गणेश चतुर्थी व अन्य महत्वपूर्ण मौक़ों पर वह कॉन्स्टेबलों के घर जाकर उनकी ख़ुशी का हिस्सा बनते थे। उन्होंने जवानों को अपने परिवार के साथ समय व्यतीत करने को प्राथमिकता दी। उन्होंने 12 घंटे की शिफ्ट को घटा कर 8 घंटे किया।

जवानों के बीच भाईचारा बढ़ाने के लिए पडसलगीकर अक्सर खेलकूद का सहारा लेते थे। पुलिस और आम नागरिकों के बीच सामंजस्य को सही करने के लिए भी उन्होंने यही तरीका अपनाया। वो ख़ुद एक अच्छे टेनिस खिलाड़ी हैं। क्राइम ब्रांच और इकनोमिक ऑफिस विंग में डायरेक्टर रह चुके पडसलगीकर महाराष्ट्र के लोकायुक्त के रूप में भी कार्य कर चुके हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया