Friday, April 26, 2024
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दत्‍तात्रेय होसबोले बने RSS के सरकार्यवाह, जानिए उनके बारे में सब कुछ

इंदिरा गाँधी के दौर में हुए 1975-77 के जेपी आन्दोलन में भी वे सक्रिय थे और लगभग पौने दो वर्ष ‘मीसा’ के अंतर्गत जेल मे भी रहे। जेल से उन्होंने दो पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया। विद्यार्थी परिषद के अलग-अलग पदों पर रहते हुए पूर्वोत्तर से दक्षिण तक काम किया।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की निर्णय लेने वाली सर्वोच्च इकाई अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में दत्‍तात्रेय होसबोले को राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ का सरकार्यवाह चुना गया है। अब दत्‍तात्रेय होसबोले, भैय्याजी जोशी की जगह लेंगे। बता दें कि 73 वर्षीय भैय्याजी जोशी 3-3 वर्षों के लिए 4 बार सरकार्यवाह रहे हैं। वहीं होसबोले 2009 से संघ के सह सरकार्यवाह थे।

आरएसएस के नए सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले का यह चुनाव बेंगलुरु के चेन्नहल्ली स्थित जनसेवा विद्या केंद्र में चल रही प्रतिनिधि सभा में शनिवार (मार्च 20, 2021) को हुआ। बता दें कि आज इस बैठक का आखिरी दिन है। संघ की प्रतिनिधि सभा ने सर्वसम्मति से अगले तीन साल के लिए दत्तात्रेय को सरकार्यवाह चुना है।

आरएसएस ने ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी, “बेंगलुरु: आरएसएस की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा (एबीपीएस) ने श्री दत्तात्रेय होसबोले को सरकार्यवाह चुन लिया। वह 2009 से ही आरएसएस के सह- सरकार्यवाह थे।”

गौरतलब है कि आरएएसस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख अरुण कुमार ने बताया कि भैय्याजी जोशी ने इच्‍छा प्रकट की थी कि वह 12 सालों से इस दायित्‍व को सँभाल रहे हैं और अब ये जिम्‍मेदारी किसी युवा को दी जानी चाहिए। उन्‍होंने उम्र की वजह से ये निर्णय लिया है। हालाँकि उनका स्‍वास्‍थ्‍य बिल्‍कुल ठीक है। जिस पर निर्णय लेते हुए दत्‍तात्रेय होसबोले को तीन वर्षों के लिए सर्वसम्‍मति से चुना गया है और अब वह संघ में नंबर दो के पद पर पहुँच गए हैं।

संघ में ऐसे होता है चुनाव

संघ में हर तीन साल बाद जिला संघचालक, विभाग संघचालक, प्रांत संघचालक और क्षेत्र संघचालक के साथ-साथ सरकार्यवाह का चुनाव होता है। हालाँकि, आवश्यकतानुसार बीच में भी कुछ पदों पर जरुरत होने पर बदलाव होता रहता है। क्षेत्र प्रचारक और प्रांत प्रचारकों के दायित्व में बदलाव भी प्रतिनिधि सभा की बैठक में होता है। बता दें कि संघ में प्रतिनिधि सभा निर्णय लेने वाला सर्वोच्च विभाग है।

बता दें कि एबीपीएस की वार्षिक बैठक अलग-अलग स्थानों पर होती है लेकिन हर तीसरे वर्ष यह नागपुर स्थित आरएसएस के मुख्यालय में होती है जहाँ सरकार्यवाह का चुनाव होता है। बहरहाल, महाराष्ट्र में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को देखते हुए इस वर्ष इसे बेंगलुरु में स्थानांतरित कर दिया गया है।

कौन हैं दत्तात्रेय होसबोले

अंग्रेजी साहित्य में परास्नातक 66 वर्षीय दत्तात्रेय होसबोले कर्नाटक के शिवमोगा जिले से आते हैं। वह साल 1968 में राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ से जुड़े थे। आपातकाल के समय दत्‍तात्रेय होसबोले ने गिरफ्तारी भी दी थी। असम में यूथ डेवलपमेंट सेंटर को विकसित करने में उन्‍होंने महत्‍वपूर्ण भूमिका भी निभाई है। शुरू में वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् (एबीवीपी) के साथ जुड़े जो आरएसएस की छात्र शाखा है।

13 वर्ष की उम्र में संघ से जुड़ाव

जानकारी के मुताबिक, दत्तात्रेय होसबोले का जन्म एक दिसंबर 1954 को हुआ। दत्तात्रेय 1968 में 13 वर्ष की आयु में संघ के स्वयंसेवक बने और 1972 में संघ की छात्र ईकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े। अगले 15 वर्षों तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के संगठन मंत्री रहे। 1978 में वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पूर्णकालिक सदस्य बने और 1990 में प्रचारक की जिम्मेदारी सँभाली। दत्तात्रेय होसबोले विद्यार्थी परिषद में क्षेत्रीय और राष्ट्रीय महामंत्री के साथ-साथ अखिल भारतीय संगठन मंत्री भी रह चुके हैं। पहले वह संघ के अखिल भारतीय बौद्धिक प्रमुख रहे और उसके बाद सह सरकार्यवाह का दायित्व सँभाला।

जेपी आंदोलन में गए जेल

इंदिरा गाँधी के दौर में हुए 1975-77 के जेपी आन्दोलन में भी वे सक्रिय थे और लगभग पौने दो वर्ष ‘मीसा’ के अंतर्गत जेल मे भी रहे। जेल से उन्होंने दो पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया। विद्यार्थी परिषद के अलग-अलग पदों पर रहते हुए पूर्वोत्तर से दक्षिण तक काम किया।

वह संघ के ऐसे तेजतर्रार प्रचारक हैं, जो कन्नड़, तमिल, हिंदी, अंग्रेजी और संस्कृत में धाराप्रवाह बोलते हैं। एक सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर उन्होंने इंदिरा गाँधी सरकार में देश पर थोपे गए आपातकाल का तीखा विरोध किया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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