दिल्ली हिंदू विरोधी दंगों के आरोप में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत जेल में बंद कॉन्ग्रेस की पूर्व पार्षद इशरत जहाँ को जमानत मिल गई है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत की कोर्ट ने फैसला सुनाया। उन्हें 26 फरवरी 2020 को गिरफ्तार किया गया था।
Delhi court grants bail to former municipal councillor Ishrat Jahan, an accused in NorthEast Delhi violence larger conspiracy case. She was arrested by Delhi Police Special Cell under Unlawful Activities (Prevention) Act.
— ANI (@ANI) March 14, 2022
बता दें कि इशरत जहाँ लगातार भड़काऊ भाषण देकर नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली के मुस्लिमों को भड़का रही थी। इशरत जहाँ ने भड़काऊ भाषण देते हुए कहा था, “हम मर भी जाएँ लेकिन यहाँ से नहीं हटेंगे। हम आज़ादी लेकर रहेंगे।” इशरत के समर्थक उमर खालिद ने भीड़ से पुलिस पर जम कर पत्थरबाजी करने को कहा था। वहीं साबू अंसारी उस भीड़ का नेतृत्व कर रहा था, जिसने पुलिस को खदेड़ते हुए पत्थरबाजी की थी।
इशरत पर दंगे के लिए फंडिंग लेने का भी आरोप लगा था। दिल्ली पुलिस की चार्जशीट में खुलासा हुआ था कि कॉन्ग्रेस की पूर्व पार्षद इशरत जहाँ, एक्टिविस्ट खालिद सैफी, आम आदमी पार्टी के पार्षद रहे ताहिर हुसैन, जामिया मिल्लिया इस्लामिया एलुमनाई एसोसिएशन के अध्यक्ष शिफा उर रहमान और जामिया के ही मीरान हैदर को हिन्दू-विरोधी दंगों के लिए 1.61 करोड़ रुपए की फंडिंग मिली थी। दिसंबर 10, 2019 को ही इशरत जहाँ के बैंक अकाउंट में एक कॉर्पोरेशन बैंक अकाउंट से 4 लाख रुपए पहुँच गए थे।
इस केस में इससे पहले नताशा नरवाल, देवांगना कलीता, आसिफ इकबाल तन्हा समेत पाँच लोगों को जमानत मिल चुकी है। इसी मामले में आरोपित शरजील इमाम और सलीम खान की जमानत अर्जी पर 22 मार्च को कोर्ट फैसला सुनाएगा।
फ़रवरी 2020 में भड़के थे दंगे
गौरतलब है कि फ़रवरी 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों में 53 लोगों की मौत हो गई थी, करीब 700 लोग घायल हुए थे। इस दौरान करोड़ों रुपए की संपत्तियों का नुकसान भी हुआ। कई के खिलाफ आईपीसी की अलग-अलग धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया। जिनपर चार्जशीट दाखिल की गई है।