दिल्ली बार काउंसिल ने शुक्रवार (9 जुलाई 2021) को एक वकील का लाइसेंस अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया। वकील पर आरोप है कि उसने बार काउंसिल से वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए फर्जी कोविड-19 जाँच रिपोर्ट जमा की थी। इस संबंध में आरोपित वकील को काउंसिल ने एक नोटिस जारी किया है। काउंसिल का कहना है कि यह मामला न केवल कदाचार, बल्कि जालसाजी और धोखाधड़ी से जुड़ा हुआ है। इसको लेकर वकील से 7 दिनों के भीतर जवाब माँगा गया है।
लाइव लॉ के मुताबिक, दिल्ली बार काउंसिल के प्रस्ताव में कहा गया है, “यह स्पष्ट है कि आपके द्वारा जमा की गई कोविड-19 रिपोर्ट फर्जी है। ऐसे में फर्जी रिपोर्ट के आधार पर वित्तीय मदद हासिल करने का प्रयास करना न केवल कदाचार है, बल्कि यह जालसाजी और धोखाधड़ी भी है।” काउंसिल ने कहा है कि वकील सोनू यादव की ओर से जमा की गई कोविड-19 जाँच रिपोर्ट वैरिफिकेशन के लिए लैब में भेजी गई थी। यहाँ पुष्टि की गई है कि सोनू के नाम पर ऐसी कोई रिपोर्ट जारी नहीं की गई थी।
दिल्ली बार काउंसिल के अध्यक्ष रमेश गुप्ता ने संस्था की गरिमा और विश्वसनीयता को बचाने के लिए इस मामले की तत्काल जाँच करने का आदेश दिया है। इसके लिए तीन सदस्यों वाली एक विशेष अनुशासनात्मक समिति का गठन भी किया गया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, काउंसिल ने आरोपित को 19 जुलाई को अनुशासनात्मक समिति के समक्ष पेश होने को कहा है। ऐसा नहीं करने पर वकील के खिलाफ उपयुक्त कार्रवाई की जाएगी।
गौरतलब है कि इससे पहले दिल्ली बार काउंसिल ने एक वकील इकबाल मलिक का लाइसेंस अस्थायी रूप से निलंबित करते हुए उसे कारण बताओ नोटिस भेजा था। वकील पर आरोप था कि वह कड़कड़डूमा कोर्ट परिसर में आवंटित अपने चेंबर का इस्तेमाल धर्मांतरण और निकाह आदि कराने जैसी गतिविधियों के लिए कर रहा था।