Saturday, April 27, 2024
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‘हाथरस पीड़िता की पहचान उजागर की, ट्विटर-फेसबुक पर कार्रवाई हो’: दिल्ली HC का 15 प्लेटफॉर्मों-मीडिया संस्थानों को नोटिस

याचिका को संज्ञान में लेते हुए मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमर्ति ज्योति सिंह ने नोटिस जारी किया। उन्होंने बजफीड, द सिटीजन, द टेलीग्राफ, आई दीवा, जनभारत टाइम्स, न्यूज 18, दैनिक जागरण, यूनाटेड न्यूज ऑफ इंडिया, बंसल टाइम्स, दलित कैमरा, द मिलेनियम पोस्ट, ट्विटर, फेसबुक, यूट्यूब और विकिफीड से जवाब माँगा है।

हाथरस गैंगरेप पीड़िता की पहचान उजागर करने को लेकर ट्विटर, फेसबुक सहित कई सोशल मीडिया प्लेटाफॉर्मों और मीडिया संस्थानों पर कार्रवाई की माँग की गई है। दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने ‘निजता के अधिकार’ का उल्लंघन मामले में एक वकील द्वारा दायर याचिका पर शुक्रवार (जनवरी 9, 2021) को सुनवाई करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों समेत कुछ मीडिया संस्थानों को नोटिस जारी किया। इस नोटिस में बलात्कार पीड़िता और सार्वजनिक क्षेत्रों में समान पीड़ितों की पहचान का खुलासा करने वाले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों से जवाब-तलब किया गया है।

याचिकाकर्ता मनन नरूला ने 14 सितंबर 2020 को हुई हाथरस गैंगरेप पीड़िता की पहचान उजागर करने के लिए ट्विटर, यूट्यूब, फेसबुक आदि सहित 15 प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के खिलाफ उचित दिशा-निर्देश देने की मांँग की थी। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

याचिका को संज्ञान में लेते हुए मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमर्ति ज्योति सिंह ने नोटिस जारी किया। उन्होंने बजफीड, द सिटीजन, द टेलीग्राफ, आई दीवा, जनभारत टाइम्स, न्यूज 18, दैनिक जागरण, यूनाटेड न्यूज ऑफ इंडिया, बंसल टाइम्स, दलित कैमरा, द मिलेनियम पोस्ट, ट्विटर, फेसबुक, यूट्यूब और विकिफीड से जवाब माँगा है। केस की अगली सुनवाई 5 फरवरी 2021 को होगी। 

बता दें कि याचिकाकर्ता की माँग थी कि दिल्ली सरकार ऐसे सोशल मीडिया मंचों और मीडिया संस्थानों को कोई सामग्री, खबर, सोशल मीडिया पोस्ट या ऐसी कोई भी सूचना हटाने को कहे, जिनमें हाथरस सामूहिक बलात्कार पीड़िता या इस तरह के अन्य मामलों की पीड़िता की पहचान का ब्योरा हो। 

याचिका में सभी उत्तरदाताओं के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज कराने की भी माँग की गई, क्योंकि उन्होंने आईपीसी की धारा 228 ए का उल्लंघन किया। इसके अलावा पीड़ितों की पहचान उजागर न किए जाने के कानूनी प्रावधानों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए निर्देशित करने की अपील भी इस याचिका में की गई है।

यह याचिका अधिवक्ता सुमन चौहान और जिवेश तिवारी के जरिए दायर की गई थी। इसमें दावा किया गया कि उल्लेख किए गए उक्त सभी प्रकाशनों/पोर्टलों/ समाचार संस्थानों ने पीड़िता के बारे में ऐसी सूचना प्रकाशित की, जो व्यापक स्तर पर लोगों के बीच उसकी पहचान को उजागर करता है।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत को बताया कि उत्तर प्रदेश के हाथरस में जिस दलित युवती के साथ सामूहिक बलात्कार एवं हत्या की घटना हुई, उसके नाम का ट्विटर पर सेलिब्रिटी एवं क्रिकेटर सहित बड़ी संख्या में लोगों ने ‘हैशटैग’ के साथ इस्तेमाल किया गया।

याचिकाकर्ता की ओर से पुराने केस का हवाला भी दिया गया जिसमें पीड़िता की पहचान उजागर की गई थी और उच्च न्यायालय ने उस पर स्वत: संज्ञान लिया था। बता दें कि कठुआ सामूहिक बलात्कार पीड़िता की पहचान उजागर करने को लेकर कई मीडिया संस्थानों को कड़ी फटकार लगाई थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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