Monday, October 14, 2024
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रिक्शा दुकान की छत से हुआ था कारतूस का इस्तेमाल: कॉन्स्टेबल रतन लाल की हत्या में दायर चार्जशीट से खुलासा

साफ है कि दिल्ली में हुई व्यापक हिंसा एक साजिश थी जिसमें इस्लामिक भीड़ ने रतन लाल को मौत के घाट उतारा। मगर वामपंथियों ने ऐसा नैरेटिव बनाया कि ऐसा लगे पूरे दंगे बहुत स्वभाविक थे और मुस्लिम समुदाय के विरोध का इससे कोई लेना-देना नहीं है।

इस्लामिक भीड़ के उन्माद के कारण 24 से 26 फरवरी 2020 तक दिल्ली का एक हिस्सा साम्प्रदायिक दंगों की आग में बुरी तरह झुलसा। हर साम्प्रदायिक दंगों की तरह इसमें भी हिंदू और मुस्लिम, दोनों समुदाय के लोग हताहत हुए।

लेकिन, इन दंगों के बाद दायर चार्जशीट ने यह साफ कर दिया है कि ये इस्लामिक भीड़ द्वारा सुनियोजित थे। मुख्यत: हिंदुओं को निशाना बनाया गया था। इन्हीं हिंदू विरोधी दंगों में सबसे पहले कॉन्स्टेबल रतन लाल की निर्मम हत्या को अंजाम दिया गया, जिसने पूरे राष्ट्र को झकझोर दिया।

रतन लाल की हत्या मामले में दायर चार्जशीट भयावह योजना की ओर इशारा करती है। अभी हाल में हमने आपको अपनी रिपोर्ट में बताया था कि डीएस बिंद्रा, जिसे मीडिया ने इंसानियत का मसीहा बताकर दिखाया, उसे चार्जशीट में वो षड्यंत्रकारी बताया गया है जिसने उन दंगो को उकसाया जिसमें रतन लाल की हत्या हुई।

ये चार्जशीट दिल्ली पुलिस की स्पेशल जाँच टीम ने रतन लाल की हत्या मामले में और आईपीएस अमित शर्मा व आईपीएस अनुज शर्मा पर हमले के संबंध में दायर की है। इस चार्जशीट में कुल 17 लोगों को आरोपित बनाया गया है।

पूरे मामले में लगभग 4 से 5 प्रमुख षड्यंत्रकारी हैं। इनमें सलीम खान, सलीम मुन्ना और शादाब का नाम शामिल है। पुलिस का कहना है कि दिल्ली में हुए दंगे देश की छवि को खराब करने की एक बड़ी साजिश थे।

हमने हाल में इसी चार्जशीट के कुछ भागों को एक्सेस किया। अपनी पड़ताल में हमें कुछ बेहद परेशान करने वाले बिंदु मिले जिनका उल्लेख चार्जशीट में है। दरअसल चार्जशीट में जाँच टीम ने कुछ नमूनों और सबूतों का जिक्र किया है, जो रतन लाल की हत्या मामले में जुटाया गए।

इनकी सूची इस प्रकार है-

  1. 40 ईंट और पत्थर
  2. पेट्रोल और केमिकल से भरी हुई 3 बोतलें
  3. 1 जिंदा कारतूस
  4. 5 पेट्रोल बम
  5. 2 इस्तेमाल की गई कारतूस
  6. कारतूस की गोलियाँ

यहाँ गौर करने वाली बात है कि उक्त सभी चीजें उस घटनास्थल से बरामद हुई हैं, जहाँ रतन लाल की हत्या को अंजाम दिया गया। इनमें से कुछ चीजें एक ऑटोरिक्शा दुकान की छत से भी मिली हैं।

चार्जशीट के अनुसार, केमिकल से भरी बोतलें, जिंदा कारतूस, पेट्रोल बम स्काईराइड ई-शॉप की छत से मिले। दिलचस्प यह है कि इसी छत से 2 इस्तेमाल हुई कारतूस भी मिली। जो यह सबूत हैं कि रतन लाल को मारने वाली भीड़ न केवल पूरी तरह हिंसा के लिए तैयार थी, बल्कि उन्होंने छत से कारतूसों का इस्तेमाल भी किया था।

गौरतलब हो कि दिल्ली दंगों में कुछ और ऐसे मामले हैं जहाँ छतों से हिंदुओं पर हमला हुआ। शिव विहार के राजधानी स्कूल, जिसका मालिक मुस्लिम है, उसे भी हिंदुओं पर हमला करने के लिए इस्तेमाल किया गया। इसके अलावा चांद बाग में ताहिर हुसैन की घर की छत से भी कई हथियार बरामद हुए थे। इस बिल्डिंग का इस्तेमाल भी हिंदुओं को निशाना बनाने के लिए किया गया और इसी में मौजूद भीड़ ने आईबी के अंकित शर्मा की निर्मम हत्या को अंजाम दिया।

मगर, फिर भी ये बात ज्ञात रहे कि रतनलाल की हत्या मामले में दायर चार्जशीट में कहीं भी अनिश्चित शब्दों में भी ये उल्लेख नहीं किया है कि पूरा दंगा पूर्व नियोजित था। चार्जशीट में तो लिखा है, “आरोपितों ने संयुक्त रूप से खुलासा किया है कि डीएस बिंद्रा, डॉ. रिजवान, अतहर, उपासना, तबस्सुम, रवीश और अन्य चांद बाग दंगों के पीछे साजिश में शामिल थे।”

बाद में गिरफ्तार शहनवाज और इब्राहिम ने भी यह खुलासा किया कि ये दंगे उसी साजिश का हिस्सा थे, जिसका आयोजन डीएस बिंद्रा, डॉ. रिजवान, सुलेमान, सलीम खान, सलीम मुन्ना और दूसरों की मदद से किया गया था।

सबसे महत्वपूर्ण बात, इस चार्जशीट में यह भी स्पष्ट रूप से कहा गया है कि साजिशकर्ता इस बात को अच्छे से जानते थे कि दंगे हो सकते हैं। इसलिए उन्होंने प्रदर्शनकारियों को हथियारबद्ध रहने का निर्देश दिया था।

इस प्रकार यह साफ होता है कि दिल्ली में हुई व्यापक हिंसा एक साजिश थी जिसमें इस्लामिक भीड़ ने रतन लाल को मौत के घाट उतारा। मगर वामपंथियों ने ऐसा नैरेटिव बनाया कि ऐसा लगे पूरे दंगे बहुत स्वभाविक थे और मुस्लिम समुदाय के विरोध का इससे कोई लेना-देना नहीं है।

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