Saturday, April 20, 2024
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जेल में मुझे ‘शिक्षित आतंकी’ कहते हैं, पुलिस देती है मानसिक प्रताड़ना: दिल्ली दंगा आरोपित MBA वाली गुलफिशा फातिमा

MBA ग्रेजुएट गुलफिशा फातिमा दिल्ली हिन्दू-विरोधी दंगों की साजिश रचने के आरोप में जेल में बंद है। गुलफिशा ने धमकी दी है कि अगर वो जेल में खुद को नुकसान पहुँचा देती हैं तो इसके लिए सिर्फ और सिर्फ जेल प्रशासन जिम्मेदार होगा।

दिल्ली में हुए हिन्दू-विरोधी दंगे के एक आरोपित ने तिहाड़ जेल में बंद रहते हुए पुलिस पर प्रताड़ना का आरोप लगाया है। सोमवार (सितम्बर 21, 2020) को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से दिल्ली की एक अदालत में पेश होते हुए गुलफिशा फातिमा ने ये आरोप लगाए। गुलफिशा फातिमा दिल्ली हिन्दू-विरोधी दंगों की साजिश रचने के आरोप में जेल में बंद है। वो MBA ग्रेजुएट हैं। उसने पुलिस पर मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाया।

कोर्ट द्वारा सभी आरोपितों को उसके समक्ष पेश होने को कहा था, जिसके बाद ये सुनवाई शुरू हुई। दिल्ली पुलिस द्वारा चार्जशीट पेश किए जाने के बाद से ये सुनवाई चल रही है। दिल्ली दंगे की आरोपित गुलफिशा फातिमा ने दावा किया कि उसे जब से जेल में लाया गया है, तभी से वो वहाँ भेदभाव का सामना कर रही है। साथ ही दावा किया कि वहाँ उसे ‘शिक्षित आतंकी’ कहा जाता है। एडिशनल सेशन जज अमिताभ रावल के समक्ष उसने ये बातें कहीं।

अब इस मामले की अग्नि सुनवाई अक्टूबर 3 को होगी। गुलफिशा फातिमा ने धमकी दी थी वो जेल में खुद को नुकसान पहुँचा देती हैं तो इसके लिए सिर्फ जेल प्रशासन ही जिम्मेदार होगा। कोर्ट ने आदेश दिया कि आरोपित के वकीलों को चार्जशीट की एक प्रति दी जाए। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने हिन्दू-विरोधी दंगा ममले में 17,000 पन्नों की चार्जशीट पेश की है, जिसमें 15 सीएए विरोधी दंगाइयों को आरोपित बनाया गया है।

इसमें ‘यूनाइटेड अगेंस्ट हेट’ के एक्टिविस खालिद सैफई, कॉन्ग्रेस की पूर्व पार्षद इशरत जहाँ, आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन, युवा राजद की नेता मीरान हैदर, और ‘पिंजरा तोड़’ की गुलफिशा फातिमा, सफूरा जरगर, नताशा नरवाल और देवांगना कलिता को आरोपित बनाया गया है। इनके अलावा उमर खालिद, शरजील इमाम, दानिश, परवेज, इलियास और फैजल खान को भी गिरफ्तार किया गया है, जिनका इस चार्जशीट में नाम नहीं है।

आरोपितों के खिलाफ आईपीसी और यूएपीए की विभिन्न धाराओं के तहत कार्रवाई की जा रही है। उधर एक अन्य आरोपित शादाब अहमद ने कोर्ट में याचिका दायर कर के आरोप लगाया कि पुलिस ने उसे धोखे में रख कर हस्ताक्षर ले लिया, जिसे कोर्ट ने रिजेक्ट कर दिया। जस्टिस रावत ने आरोपित के वकील से कहा कि आपने फोन पर बात भी की थी – फिर भी उसने उस दौरान ये बातें क्यों नहीं कही?

आरोपित ने कहा कि 24-26 अगस्त के दौरान जब वो पुलिस की हिरासत में था, तब पुलिस ने उससे विभिन्न कागजातों पर ही हस्ताक्षर करा लिए। उस दौरान वो जेल में ही क्वारंटाइन था और उसे 2 मिनट ही फोन पर बात कराया गया, ऐसा उसने दावा किया है। उसने दावा किया कि उस दौरान उसे इन दस्तावेजों के बारे में कुछ पता नहीं था और बाद में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग पर बात करते हुए उसे ये पता चला कि उनमें क्या था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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