कथित किसान आंदोलन में खालिस्तानियों और कट्टरपंथियों की घुसपैठ से आप परिचित हैं। ट्रैक्टर रैली की आड़ में 26 जनवरी को हुई हिंसा और टूलकिट से इसकी आड़ में रची जा रही देश विरोधी साजिशों से भी आप परिचित हैं। हम यह भी बता चुके हैं कि खुद को किसानों का नेता बताने वाले नुमाइंदे कैसे कृषि कानूनों पर अपनी ही बात से पलटे हैं। इस आंदोलन की अगुआई कर रहे लोगों की संपत्ति को लेकर भी सवाल उठते रहे हैं। अब मीडिया रिपोर्ट से पता चला है कि ‘किसान’ जहाँ सड़क पर टेंट और ट्राली में समय व्यतीत कर रहे हैं, वहीं उनके कुछ नेता थ्री स्टार होटल में आराम फरमाते हैं, जिसका बिल लाखों में है।
जी न्यूज (zee News) की रिपोर्ट के अनुसार होटल में ठहरने वाले नेताओं में बलबीर सिंह राजेवाल और कुलवंत सिंह संधू हैं। ये प्रदर्शन स्थल के पास कुंडली में स्थित थ्री स्टार होटल टीडीआई क्लब रिट्रीट (TDI CLUB Retreat) में ठहरे हैं। किसानों के प्रदर्शन के करीब 40 नेता अगुआ बने हुए हैं। इनके समर्थक ठंड, बरसात, गर्मी की परवाह किए बिना ही सड़कों पर टेंट, ट्रॉली वगैरह में डेरा डाले हुए हैं।
जी न्यूज ने अपनी रिपोर्ट की प्रमाणिकता के लिए होटल के कुछ बिल भी सार्वजनिक किए हैं। इसके मुताबिक भारतीय किसान यूनियन-राजेवाल (BKU राजेवाल) के अध्यक्ष बलबीर सिंह राजेवाल होटल के कमरा संख्या 206 में 12 दिसंबर 2020 से 3 मार्च 2021 के बीच रहते थे। फिलहाल वे कमरा संख्या 303 में रह रहे हैं। इसके लिए उन्होंने 12 दिसंबर से 28 जनवरी के बीच 1.30 लाख रुपए का भुगतान किया। इसमें नाश्ता और कपड़े धुलवाना जैसे खर्च शामिल थे।
नाश्ते और लॉन्ड्री जैसे खर्च समेत कमरे का प्रतिदिन का खर्च 2500 रुपए है। इस हिसाब से राजेवाल अब तक करीब 2.40 लाख रुपए खर्च कर चुके हैं। बताया जाता है कि राजेवाल को डिस्काउंट भी मिला है और उन्होंने ज्यादातार पेमेंट नकद में ही किया है।
वहीं जमुहारी किसान सभा, पंजाब के महासचिव कुलवंत सिंह संधू इसी होटल के कमरा संख्या 201 में अपने बेटे दोसांझ के साथ 27 दिसंबर 2020 से ठहरे हुए हैं। हालाँकि उनके ठहरने और खाने-पीने का इंतजाम फ्री है। संधू पर इस मेहरबानी के पीछे होटल के मालिकों में से एक रवींद्र तनेजा को बताया जा रहा है। तनेजा मानेसर लैंड स्कैम का आरोपित है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इस संबंध में साल 2020 में पंचकूला स्पेशल कोर्ट में चार्जशीट दायर की थी। इसके मुताबिक रविंद्र तनेजा समेत 13 अन्य बिल्डरों ने किसानों के साथ 1500 करोड़ का गबन किया था।