Friday, April 19, 2024
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केसरिया कुर्ते में नमाज पर भड़का इमाम, कहा- इस लिबास में अब मस्जिद न आना, मुस्लिम हुकूमत होती तो तुम्हें ढंग से समझाता

"अगर आज मुस्लिम हुकूमत होती तो तुम्हे ढंग से समझा दिया जाता। आइंदा इस रंग का लिबास पहन कर मस्जिद में आए तो अंजाम अच्छा नहीं होगा।"

उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में केसरिया कुर्ते के कारण एक व्यक्ति को चेतावनी देने का मामला सामने आया है। कुंवर आसिफ अली को कथित तौर पर एक मस्जिद के इमाम ने आगे से ऐसे लिबास में मस्जिद न आने को कहा। इमाम महताब हाफिज के खिलाफ पुलिस ने मामला दर्ज किया है। पीड़ित ने ऑपइंडिया को बताया है कि उसके साथ शुक्रवार (19 मई 2023) को यह घटना घटी थी।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मामला फर्रुखाबाद के थाना क्षेत्र शमशाबाद का है। यहाँ के मोहल्ला काजी टोला में जामा मस्जिद है। इसके इमाम महताब हाफिज हैं। पुलिस को दी गया शिकायत में पीड़ित कुँवर आसिफ अली ने बताया है कि घटना के दिन वह केसरिया रंग का कुर्ता पहनकर मस्जिद गए थे। जब वे नमाज पढ़कर उठे तो उन्हें इमाम ने रोक लिया। इमाम ने उनसे दोबारा ऐसे रंग के कपड़े पहनकर मस्जिद में नहीं आने को कहा।

पीड़ित ने शिकायत में बताया है कि उनके केसरिया कुर्ते को इमाम ने हिंदुओं का रंग बताया। केसरिया रंग में नमाज अदा नहीं करने को कहा। इमाम की इन बातों पर आसिफ ने कहा कि जब सभी रंग अल्लाह ने बनाए हैं तो केसरिया में नमाज क्यों नहीं पढ़ी जा सकती। इस बात पर इमाम भड़क गया। कथित तौर पर इमाम ने कहा, “अगर आज मुस्लिम हुकूमत होती तो तुम्हे ढंग से समझा दिया जाता। आइंदा इस रंग का लिबास पहन कर मस्जिद में आए तो अंजाम अच्छा नहीं होगा।”

जामा मस्जिद का इमाम महताब फर्रुखाबाद के ही घटियापुर का रहने वाला बताया जा रहा है। आसिफ का कहना है कि इन धमकियों के बाद इमाम ने उसे सबके आगे बेइज्जत कर मस्जिद से भगा दिया। पीड़ित ने इसे अपनी मौलिक स्वतंत्रताका हनन बताते हुए इमाम पर कार्रवाई की माँग की है। उसकी शिकायत पर पुलिस ने इमाम महताब हाफिज के खिलाफ IPC की धारा 506 के तहत FIR दर्ज कर ली। पुलिस के मुताबिक मामले में आगे की कानूनी कार्रवाई की जा रही है।

3 बार हो चुका हूँ नफरत का शिकार

ऑपइंडिया को कुंवर आसिफ अली ने बताया कि केसरिया रंग के कपड़े उन्हें अच्छे लगते हैं। लेकिन इसे पहनने की वजह से वे 3 बार अलग-अलग मस्जिदों में कभी इमाम तो कभी मुफ्तियों की नफरत के शिकार हो चुके हैं। आसिफ़ के मुताबिक एक बार तो उनके साथ शमसाबाद की ही एक मस्जिद में मारपीट भी की गई थी। रंगों को धर्म से जोड़ने वालों को आसिफ ने नफरती बताते हुए कहा कि कई हिंदू भी हरे रंग का कपड़ा पहनते हैं। लेकिन उन्हें कोई कुछ नहीं कहता।

मारने निकल पड़ी थी भीड़, योगी के डर से लौट गई

आसिफ़ ने बताया कि जामा मस्जिद के इमाम पर FIR दर्ज करवाने के बाद उन्हें मारने के लिए एक भीड़ निकल पड़ी थी। इस भीड़ में नई उम्र के लड़के शामिल था। लेकिन वे लोग आधे रास्ते से ही लौट गए, क्योंकि उन सभी को पता था कि योगी आदित्यनाथ की सरकार है और घरों पर बुलडोजर चल जाएगा। पीड़ित आसिफ ने खुद को डॉक्टर बताते हुए कहा कि वे भाजपा के टिकट पर सभासद का चुनाव भी लड़ चुके हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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