Saturday, July 27, 2024
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नाम भगवान दास, घर को बना रखा था ईसाई धर्मांतरण का अड्डा: सीता-जानकी जैसे दूतों से हिंदुओं को फँसाता, सनातन के खिलाफ भड़काता

पास्टर भगवान दास के अलावा जानकी प्रसाद, पवन, प्रेरणा, सुनीता और सीता को नामजद किया गया है। FIR में नामजद महिलाओं पर अन्य घरों की महिलाओं को सभा में बहला-फुसलाकर लाने का आरोप है।

उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में हिंदुओं का ईसाई धर्मांतरण करने के आरोप में 6 लोगों के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। बताया जा रहा है कि धर्मांतरण का गिरोह इस इलाके में करीब 20 साल से सक्रिय है। हिंदू संगठनों ने रविवार (20 नवम्बर 2022) को इस मामले की शिकायत पुलिस से की थी।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक घटना सुभाष नगर थाना क्षेत्र की है। यहाँ के मोहल्ला बंशी नगला के एक घर में रविवार को लोगों को जुटा कर धर्मान्तरण करवाने की कोशिश का आरोप भगवान दास पर लगा है। सभा में अच्छी-खासी तादाद में महिलाएँ भी मौजूद थीं। हिन्दू संगठनों का आरोप है कि जब उन्होंने इस प्रयास का विरोध किया तो सभा में मौजूद लोगों ने उनके साथ मारपीट की। बताया जा रहा है कि सभा में हिन्दू देवी-देवताओं का अपमान करने के साथ ईसा मसीह की प्रार्थना करवाई जा रही थी।

सभा के विरोध में पहुँचे लोगों का आरोप है कि सनातन धर्म के बारे में सवाल करने पर सभा में मौजूद महिलाएँ भड़क गईं। महिलाओं ने भगवान दास द्वारा कपड़े और खाना दिए जाने की जानकारी दी। मामले की सूचना पर पहुँची पुलिस ने भगवान दास को हिरासत में ले लिया। भगवान दास ने अपने घर पर नियमित प्रार्थना करवाने की बात कबूल की। हालाँकि उसने किसी का भी धर्मान्तरण करवाने के आरोपों से इनकार किया है। उसने अपनी सभा का विरोध करने पहुँचे लोगों पर महिलाओं से अभद्रता का आरोप लगाया है। भगवान दास को छुड़वाने के लिए उसके कई समर्थकों ने थाने पर हंगामा भी किया।

इस मामले में थाने पर तहरीर हिन्दू संगठन के सदस्य हिमांशु पटेल ने दी है। अपनी शिकायत में उन्होंने पास्टर भगवान दास के अलावा जानकी प्रसाद, पवन, प्रेरणा, सुनीता और सीता को नामजद किया है। पुलिस ने इन सभी पर IPC की धारा 147, 323, 504, 506 और 295- A के तहत FIR दर्ज कर ली है। FIR में नामजद महिलाओं पर अन्य घरों की महिलाओं को सभा में बहला-फुसलाकर लाने का आरोप है। ऑपइंडिया के पास शिकायत कॉपी मौजूद है। बरेली के SP सिटी के मुताबिक केस दर्ज कर अग्रिम कार्रवाई की जा रही है।

गौरतलब है कि इसी साल जुलाई में बरेली के ही सेंट फ्रांसिस नाम के एक ईसाई मिशनरी के स्कूल में सिख छात्र को कृपाण और कड़ा पहनने से रोके जाने का आरोप लगा था। तब पीड़ित परिवार ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से न्याय की गुहार लगाई थी। इस घटना के बाद सिखों ने विरोध दर्ज करवाते हुए प्रिंसिपल लिमसिन को हटाने की माँग भी की थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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