नालंदा जिले के लोगों का कहना है कि बिहार में भी अब ‘पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI)’ के लोग पाँव पसार रहे हैं और उनके द्वारा चलाई जा रही इस्लामी गतिविधियों को स्पष्ट तौर पर देखा जा सकता है। ताज़ा मामला नालंदा जिले के बिहारशरीफ में स्थित हिरण्य पर्वत (बड़ी पहाड़ी) पर स्थित एक मंदिर और मकबरे से जुड़ा हुआ है। हिन्दू कार्यकर्ताओं का कहना है कि ये मकबरा अवैध है और इसकी जगह हिन्दू संरचना हुआ करती थी।
इस पूरे मामले के विस्तृत विवरण से पहले बता दें कि PFI एक इस्लामी कट्टरवादी संगठन है, जिसका रोल दिल्ली में हुए दंगों में भी सामने आया था। हाथरस में दंगा करने की साजिश में भी इसके लोग शामिल थे। PFI के ही युवा संगठन का नाम SDPI है, जो उसी तरह की गतिविधियों में लिप्त रहता है। हाल ही में केरल में प्रतीकात्मक संघियों को जंजीर बाँध कर रैली करने और फिर एक RSS कार्यकर्ता की हत्या में इसका नाम सामने आया था।
क्या कहना है हिन्दू कार्यकर्ताओं का
हमने इस पूरे मामले को समझने के लिए बेंगलुरु में रह रहे सतीश से बातचीत की, जिन्होंने कहा कि बिहार में PFI खतरनाक रूप लेता जा रहा है। हिन्दू हितों के लिए विभिन्न संगठनों के साथ मिल कर कार्य कर रहे सतीश ने बताया कि कुछ लड़कों ने मजार के सामने तस्वीर क्लिक कराई, जिसके बाद PFI और इस्लामी कट्टरवादियों ने उन्हें काट डालने की धमकी दी है और उन्हें लगातार धमकियाँ मिल रही हैं।
उन्होंने कहा, “बिहार में कई जगह मिनी पाकिस्तान बने हुए हैं और PFI खासी सक्रिय है। दिल्ली में वो दंगा भी करते हैं और वकील लगा कर दंगाइयों को छुड़ा भी ले जाते हैं। हिन्दू बस आर्टिकल लिखते रह जाते हैं। हम नहीं चाहते हैं कि हमारे लोग मारे जाएँ, जिसके बाद उनके लिए न्याय का ट्रेंड चले और क्राउडफंडिंग हो। इन सभी को जान का खतरा है। वो मारे जा सकते हैं। उन्हें जीते जी समर्थन चाहिए।”
इस मामले में माधवलाल कश्यप को मुख्य आरोपित बनाया गया है, जिनसे हमने संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि हिरण्य पर्वत को भी मुस्लिम समाज के लोग ‘पीर पर्वत’ कहते हैं, ठीक उसी तरह जैसे बिहारशरीफ को हिन्दुओं द्वारा ‘बिहार श्री’ कहा जाता है। उन्होंने बताया कि हिरण्य पर्वत पर स्थित मंदिर में भगवान शिव भी स्थापित हैं और कुछ ही दूर पर जो मकबरा है, वो जरासंध की जेल की दीवारों से गिरने के बाद बनाया गया है।
उन्होंने कहा कि जरासंध महाभारतकालीन थे, जिससे इसकी पौराणिकता का पता लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आज से 650 वर्ष पूर्व इस मकबरे का निर्माण कराया गया था, जिसे मलिक इब्राहिम बयाँ ने बनवाया था। उन्होंने बताया कि तत्कालीन स्थानीय राजपूत राजाओं को पराजित कर उसने ये मकबरा बनवाया था। उसकी मृत्यु के बाद उसे वहीं दफनाया गया था। उन्होंने पूछा कि जरासंध की जेल में मकबरे का अस्तित्व कहाँ से आया?
उन्होंने इसे अतिक्रमण बताते हुए कहा कि 1991 में यहाँ प्रशासनिक अधिकारियों ने पूजा-पाठ किया था, लेकिन बाद में मुस्लिम समाज के कुछ लोगों ने वहाँ स्थित हिन्दू प्रतीक चिह्नों को तोड़-फोड़ दिया। बकौल माधवलाल, प्रशासन ने भी इस मामले में कार्रवाई करने की रुचि नहीं दिखाई क्योंकि हिन्दू समाज खुद सुसुप्त अवस्था में था। ये सारा विवाद माधवलाल के ही एक फेसबुक पोस्ट को लेकर है, जिसमें वो साथियों के साथ उस मजार के सामने दिख रहे हैं।
उक्त पोस्ट में लिखा है, “बिहारशरीफ बिहारश्री पहाड़ी पर बने इस ढाँचे को पुनः मंदिर के रूप में प्रतिष्ठित करना है। बस एक लक्ष्य – हिन्दू स्वराज। हर हर महादेव!” उनका कहना है कि इस पोस्ट में कुछ भी आपत्तिजनक न होने के बावजूद FIR दर्ज कर ली गई और PFI वालों ने शिकायत कर दी। उन्होंने बताया कि 500 से भी अधिक मुस्लिमों द्वारा सोशल मीडिया और फोन के माध्यम से उन्हें धमकियाँ दी गई हैं।
माधवलाल ने बताया कि यहाँ अंजुमन इस्लामिया, ईमारत-ए-शरिया और सुन्नी बोर्ड जैसी संस्थाएँ चलती हैं, जिन्होंने अलग-अलग प्रतिनिधिमंडल बना कर एसपी से मुलाकात की और इस मामले की शिकायत की। बता दें कि जहाँ की तस्वीर है, जो इलाका सोहसराय पुलिस थाने में आता है, FIR बिहार थाने में दर्ज की गई है और शिकायत लहेरी थाना में की गई थी। इस तरह से इस मामले में तीन थानों की पुलिस शामिल है।
माधवलाल के मित्र राधेश्याम ने भी इस बात की पुष्टि की कि उन्हें चारों तरफ से धमकी मिल रही है। उन्होंने बताया कि PFI काफी तेज़ी से बिहार में फ़ैल रहा है और हिन्दुओं को अगर ये ग़लतफ़हमी है कि बिहार उनसे पीड़ित नहीं है तो उन्हें समझना चाहिए कि कश्मीर, बंगाल और केरल के बाद बिहार ही उनका शिकार है। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछली बार की तरह पटना के अशोक राजपथ पर अब सरस्वती पूजा का जुलूस निकालने का अधिकार भी हिन्दुओं से छिन चुका है।
क्या कहा है SDPI ने अपनी शिकायत में
फरवरी 15, 2021 को क्लिक की गई उस तस्वीर और उक्त फेसबुक पोस्ट को लेकर पुलिस को दिए गए ज्ञापन में SDPI ने कहा है कि माधवलाल कश्यप बजरंग दल का सदस्य है और उन्होंने अपने 8 साथियों के साथ मिल कर सैयद इब्राहिम मलिक बयाँ के ऐतिहासिक मकबरे को तोड़ने की बात की है। SDPI ने माधवलाल कश्यप पर दो समुदायों के बीच फसाद कराने की इच्छा रखने का आरोप लगाया है।
साथ ही दावा किया कि इस फेसबुक पोस्ट से जिले का अल्पसंख्यक समाज खासा आहत है। धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने का आरोप लगाते हुए संगठन ने कहा है कि 700 वर्ष पुराने इस मकबरे के बारे में गूगल और विकिपीडिया के अलावा इतिहास की कई पुस्तकों में भी उल्लेख है। संगठन ने इसे ऐतिहासिक धरोहर बताते हुए पुलिस से कहा है कि वो इसे टूटने से बचाएँ। दावा किया गया है कि उक्त मजार ASI की निगरानी में भी है।
क्यों दर्ज हुई है FIR
दरअसल, ये FIR खुद पुलिस ने दर्ज की और FIR कॉपी में कुमार सुमन का शिकायतकर्ता के रूप में नाम लिखा है, जो नालंदा के बिहार थाना में पदस्थापित हैं। इसमें हिन्दू संगठन से जुड़े माधवलाल कश्यप के खिलाफ शिकायत करते हुए लिखा गया है कि उन्होंने अपने कुछ साथियों के साथ मिल कर बड़ी पहाड़ी स्थित मजार के सामने की तस्वीर क्लिक कर के फेसबुक पर पोस्ट की है, जिसमें उक्त ढाँचे को पुनः मंदिर बनाने की बात की गई है।
FIR में लिखा है कि इस पोस्ट पर कई लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया दी है और कइयों ने शेयर भी किया है। माधवलाल कश्यप के डिटेल्स भी इस FIR कॉपी में है और बताया गया है कि उन पर पहले से ही एक मामला दर्ज है। पुलिस के अनुसार, जाँच में स्पष्ट हुआ कि हॉस्पिटल मोड़ पर वो कुछ लोगों के साथ दिखे थे और तस्वीर में दिख रहे मजार के बारे में पुलिस को स्थानीय लोगों ने बताया कि मुस्लिम समाज के लोग वहाँ फातिहा पढ़ने आते हैं।
FIR कॉपी में पुलिस की जाँच के विवरण के अनुसार, “स्थानीय लोगों ने बताया कि वो मजार की कद्र करते हैं और कभी किसी के द्वारा इस पर कोई प्रतिकूल टिप्पणी नहीं की गई है। इसीलिए माधवलाल कश्यप द्वारा एक षड्यंत्र के तहत दो समुदायों के बीच वैमनस्य फैलाने के लिए और सांप्रदायिक सौहार्द पर प्रतिकूल प्रभाव डालने के लिए जो पोस्ट किया गया, वो एक संज्ञेय अपराध है। अतः दी गई धाराओं के तहत कार्रवाई की जाए।”
इस मामले में माधवलाल कश्यप पर IPC धारा-153A (विभिन्न समूहों या जातियों या समुदायों के बीच वैमनस्य फैला कर शांति भंग करना), 295A (किसी उपासना के स्थान को या व्यक्तियों के किसी वर्ग द्वारा पवित्र मानी गई किसी वस्तु को नष्ट, नुकसानग्रस्त या अपवित्र करना), 120B (आपराधिक षड्यंत्र) और 64 के अलावा IT एक्ट की धारा 66 भी लगाई गई है। साथ ही उक्त फेसबुक पोस्ट और कश्यप की फेसबुक प्रोफ़ाइल की तस्वीर भी शेयर की गई है।
क्या कहना है पुलिस का
इस मामले में हमने बिहारशरीफ पुलिस से भी संपर्क किया। क्षेत्र के SDPO डॉक्टर शिब्ली नोमानी ने कहा कि पुलिस ने FIR किसी संगठन के कहने पर नहीं दर्ज की है, बल्कि स्वतः संज्ञान लेकर मामला दर्ज किया गया है क्योंकि हमें कई लोगों से इस तरह की सूचनाएँ मिली थीं। उन्होंने कहा कि सरस्वती पूजा के आसपास इस तरह का फेसबुक पोस्ट किया गया, जिससे माहौल बिगड़ने की भी आशंका थी।
उन्होंने कहा कि पुलिस ने पूरे मामले की जाँच के बाद ही FIR दर्ज की है। उन्होंने इस आरोप को नकार दिया कि PFI की शिकायत के बाद पुलिस हरकत में आई है। उन्होंने पूछा कि क्या जिस तरह की टिप्पणी फेसबुक पर की गई है, वो आपत्तिजनक नहीं है? साथ ही कहा कि आरोपित के ही एकाउंट से ये पोस्ट हुआ है। क्योंकि इसमें किसी और का कोई रोल होता या उनका अकाउंट हैक हुआ होता तो उन्हें पुलिस में मामला दर्ज कराना चाहिए था।
मकबरे की जगह पहले हिन्दू संरचना होने की बात पर उन्होंने कहा कि इस पर बयान देने के लिए वो अधिकृत नहीं हैं। लेकिन उन्होंने ये भी पूछा, “अगर आप कहें कि यहाँ गुरुद्वारा है और हम इसे कुछ और बना देंगे। यहाँ मंदिर, मस्जिद या चर्च है और कोई कहे कि इसे वो कुछ और बना देंगे। क्या ये ठीक है?” उन्होंने कहा कि पुलिस का काम सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ने से रोकना है और इसीलिए पुलिस का हरकत में आना ज़रूरी था।