उत्तर प्रदेश के फतेहपुर के उजाड़े गाँव में 20 साल पहले एक हिंदू जोड़े को धोखे से इस्लाम कबूल करवा दिया गया था, अब उस जोड़े ने हिंदू धर्म में वापसी कर ली है। पीड़ितों की पहचान शिव प्रसाद लोधी और कविता के रूप में हुई है। बताया जा रहा है कि इस दंपत्ति को ग्राम के प्रधान मोहम्मद अमिल शेख ने सरकारी पहचान वाले दस्तावेज उपलब्ध कराने के बदले इस्लाम स्वीकारने का दबाव बनाया था।
शेख ने हिंदू दंपत्ति को कहा था मुस्लिम आबादी में जिंदा रहने के लिए यही एक मात्र तरीका है। दोनों ही वाराणसी जिले के रहने वाले हैं, लेकिन रोजगार की तलाश में वह फतेहपुर के उजाड़े गाँव आ गए थे। उस समय उनके पास कोई पहचान पत्र नहीं था। ऐसे में ग्राम प्रधान ने उनकी मजबूरी का फायदा उठाया। उन्हें इस्लाम में परिवर्तित करके उन्हें पहचान पत्र दिलाए।
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शिव का नाम बदलकर अब्दुल्ला रखा गया जबकि कविता का नाम बदलकर फातिमा कर दिया गया। इस पहचान पत्र में इन दोनों के माता-पिता के नाम भी फर्जी लिखवाए गए।
इस घटना के संबंध में स्वराज्य पर प्रकाशित रिपोर्ट बताती है कि यूपी के वारणसी में शिव और कविता का घर था, लेकिन बुरा समय आने पर उन्हें अपनी पैतृक संपत्ति बेचनी पड़ी। इसके बाद वो उजाड़े गाँव गए। उस समय वह गर्भवती थी, लेकिन वहाँ उसका गर्भपात हो गया।
आसपास की महिलाओं ने समझाना शुरू किया कि हिंदू देवी-देवताओं को पूजने की वजह से ऐसा हुआ है। उसे दरगाह में दुआ करनी चाहिए। धीरे-धीरे वो ग्राम प्रधान के संपर्क में आए। वहाँ उसे सूट-सलवार पहनने को कहा गया और बिंदी लगाने से मना कर दिया गा। उसे भी गाँव की अन्य महिलाओं की तरह घर में रहने को कहा गया ।
दो साल बाद, उनके पति शिव प्रसाद लोधी ने मोहम्मद अमिल शेख से उजाड़े गाँव के बाहर एक प्लॉट खरीदा। सौदे के तहत ₹40000 का भुगतान करने के बाद, शिव को एहसास हुआ कि ज़मीन को अपने नाम पर पंजीकृत करने के लिए उन्हें सरकारी दस्तावेज़ों की ज़रूरत है।
जब उन्होंने गाँव के प्रधान से मदद मांगी तो मोहम्मद अमिल शेख ने उन्हें इस्लाम धर्म अपनाने के लिए कहा। स्थानीय मस्जिद में एक समारोह आयोजित किया गया जिसमें शिव और कविता को ‘कलमा ‘ पढ़ने को कहा गया।
दोनों पति-पत्नी मुस्लिम बने लेकिन पड़ोसियों ने उन्हें तंग करना नहीं छोड़ा। उन्हें नमाज पढ़ने को कहा गया । रमजान के दौरान रोजा रखने को कहा जाने लगा। नवरात्रि के व्रत छोड़ने का दबाव बनने लगा। हिंदू त्योहार मनाने से रोक दिया गया। इतना ही नहीं अमिल शेख ने शिव को खतना तक कराने को कहा।
हालाँकि शिव, इससे डर गए और उन्होंने घर का पंजीकरण तक अपने नाम पर नहीं कराया। आज भी वो घर अमिल शेख के नाम पर दर्ज है। खतना न होने की वजह से ग्रामीणों ने शिव का बहिष्कार कर दिया। उन्हें मुंबई जाकर काम करना पड़ा। वहीं कविता उजाड़े गाँव में रहने को मजबूर थी
2023 में शिव प्रसाद को राम बल नाम के हिंदू संगठन के बारे में पता चला। उन्होंने अपने साथ हुई घटना के बारे में संगठन वालों को बताया और उसके बाद संगठन ने बिन देरी किए पुलिस को सूचना दी और गाँव में शिव-कविता की हिंदू धर्म में घर वापसी कराने के इंतजाम कराए। रिपोर्ट के अनुसार, शिव-कविता ने इसी साल इस्लाम त्यागकर हिंदू धर्म अपनाया है। कड़ी सुरक्षा के बीच इस रस्म को पूरा किया गया। हिंदू धर्म में आने के बाद कविता ने कहा कि उन्हें धोखे से इस्लाम में लाया गया था। वो चाहती थी किं हिंदू बनते वो अमिल शेख उन्हें देखे, लेकिन उसका कुछ समय पहले इंतकाल हो गया है।