नाबलिग लड़कों को ऑनलाइन गेम के माध्यम से अपने जाल में फँसा कर धर्मांतरण की तरफ धकेलने वाले गिरोह के बारे में गाजियाबाद पुलिस ने नए खुलासे किए हैं। कुछ साजिशकर्ताओं ने हिंदू नाम से भी ID बना रखी थी। बच्चों को शुरू में इस्लाम के बारे में जानकारी देने के लिए जाकिर नाइक और बाद में कट्टरपंथी बनाने के लिए पाकिस्तानी मौलाना तारिक जमील के वीडियो दिखाए जाते थे। कई चरणों में पूरी होने वाली धर्मान्तरण की इस प्रक्रिया के दौरान बच्चों को अपने परिवार से दूर रहने की सलाह दी जाती थी।
रिपोर्ट्स के मुताबिक 30 मई 2023 को गाजियाबाद के कवि नगर थाना में दर्ज FIR में 1 जैन और 3 हिन्दू नाबालिगों को पीड़ित बताया गया है। इन सभी को 5 टाइम की नमाज पढ़ने और अन्य इस्लामी प्रथाओं का पालन करने के लिए ब्रेनवाश किया गया था। एकदम नई तरह की इस साजिश में रैकेट के मास्टरमइंड शाहनवाज खान उर्फ बद्दो को महाराष्ट्र से गिरफ्तार किया गया था। वहीं दूसरा आरोपित मौलवी अब्दुल रहमान गाजियाबाद के बापूधाम थानाक्षेत्र के संजय नगर से गिरफ्तार हुआ था।
जाँच के दौरान पुलिस को यह जानकारी मिली कि साजिशकर्ताओं ने पहले उन किशोरों को टारगेट किया जो ऑनलाइन गेम के शौकीन थे। आरोपितों द्वारा इन बच्चों को ‘फोर्टनाइट’ और ‘डिस्कॉर्ड’ जैसे खेलों को खेलने का लालच दिया गया। डिस्कॉर्ड एक टेक्स्ट, वॉयस और वीडियो चैट ऐप है जिसका कोई चार्ज नहीं लगता। फ्री होने के कारण यह अधिक लोकप्रिय है। मासूमों के धर्मांतरण की इस प्रक्रिया को आरोपितों द्वारा कई चरणों में पूरा किया जा रहा था। पहले चरण में हिंदू नाम से ID बना कर हिंदू व जैन समुदाय के अनजान लड़कों के साथ फोर्टनाईट खेल खेलना था।
इस खेल की सेटिंग कुछ ऐसे की गई थी कि निशाने पर लिए गए किशोर तमाम मेहनत के बावजूद हार जाते थे। ऐसे में उन्हें जीतने के लिए इस्लामी आयतों को पढ़ने की सलाह दी जाती थी। आयतों को पढ़ने के बाद लड़कों को सेटिंग के माध्यम से जीत दिला दी जाती थी। पहले चरण में इस्लामी आयतों की ताकत पर किशोरों को यकीन जमाने के बाद इस साजिश का दूसरा चरण शुरू हो जाता था। इस चरण में लड़कों को ‘डिस्कॉर्ड’ नाम के ऑनलाइन चैट ग्रुप में जोड़ा जाता था।
इस ऑनलाइन चैटिंग में लड़कों को न सिर्फ इस्लामी प्रथाओं की जानकारी दी जाती थी, बल्कि उन्हें नमाज पढ़ना भी सिखाया जाता था। थोड़े समय में इसकी आदत पड़ने के बाद टारगेट किए गए बच्चों को पास की मस्जिद में जाने की नसीहत दी जाती थी। बच्चों को इस बात का भरोसा दिलाया जाता था कि उन्हें गेम जीतने के लिए 5 टाइम की नमाज पढ़नी होगी। जब बच्चे मस्जिद जाना शुरू कर देते तो आरोपित उनसे खुलकर मिलते थे। उन्हें अपना धर्म छोड़ कर इस्लाम कबूलने के लिए ब्रेनवॉश शुरू कर देते थे।
इसी के साथ साजिश के तीसरे चरण की भी शुरुआत हो जाती थी। इस चरण में बच्चों को भगोड़े आतंकी ज़ाकिर नाइक की वीडियो दिखाई जाती थी। वीडियो दिखाने के साथ बच्चों को तरह-तरह के लालच भी दिए जाते थे। एक बार अपने मनमाफिक बच्चों को ढाल लेने के बाद उनको तबलीगी जमात के पाकिस्तानी मौलाना तारिक जमील की भी वीडियो दिखाई जाती थी। ऐसा बच्चों में कट्टरपंथ भरने के लिए किया जाता था। साजिश के अंतिम चरण में मौलवियों की इंट्री होती थी।
इस आखिरी स्टेप में मौलवी खुद टारगेट किए गए बच्चों से मिलते थे और उन्हें नमाज पढ़ने के फायदे बताते थे। इन सभी चरणों के दौरान बच्चों को अपने माता-पिता से कुछ भी न बताने के लिए कहा जाता था। जब आरोपितों को यह लग जाता था कि उन्होंने बच्चे को पूरी तरह से ब्रेनवॉश कर लिया है तो अंत में उसे अपने परिवार वालों की बातों का जवाब देने के लिए छोड़ दिया जाता था। इस दौरान उसे सच पर कायम रहने जैसी सलाह भी दी जाती थी।
पुलिस के अनुसार ऑनलाइन गेमिंग एप्लिकेशन ‘फोर्टनाइट’ के बहाने जिन बच्चों को निशाने पर लिया जाता था, उन्हें पहले 2-3 गेम जानबूझकर जिताया जाता था। बाद में इन बच्चों को अपने यूट्यूब पर गेमिंग चैनलों में बाकी खेलों को भी खेलने के लिए मनाया जाता था। इन गेम के वीडियो के बहाने इस्लाम का प्रचार और प्रसार किया जाता था। बच्चे जब डिस्कॉर्ड जैसे नए खेलों की तरफ आकर्षित हो कर उन्हें खिलाने की माँग करते थे तब उन्हें इस्लामी तौर-तरीके मानने के लिए मजबूर किया जाता था। फिलहाल गाजियाबाद पुलिस इस केस की गहनता से जाँच कर रही है।