Friday, November 15, 2024
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‘बाबा की सरकार है, इसीलिए सब सही रहा’: हरी मस्जिद के आगे नहीं बढ़ पाई भीड़, कानपुर दंगे की ग्राउंड रिपोर्ट, चप्पे-चप्पे पर पुलिस

यतीमखाना के बारे में लोगों ने बताया कि यहाँ मुस्लिम समुदाय के अनाथ बच्चों को पाला जाता है। एक व्यक्ति ने ऑफ कैमरा बताया, "ये काफी पुराना है। मेरी उम्र लगभग 60 साल है और मैं इसे तब से देख रहा हूँ।'

UP के कानपुर जिले के बेकनगंज इलाके में 3 जून 2022 को हिंसा भड़क गई थी। यह हिंसा भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा के उस बयान के विरोध में भड़की जिसमें उन्होंने कथित रूप से इस्लाम के पैगंबर का अपमान किया था। पुलिस जाँच में उपद्रव में PFI की संलिप्तता भी संभावित मिली। इसी के साथ पूरे केस में अब तक 50 आरोपित गिरफ्तार किए जा चुके हैं। कानपुर के शहर काजी ने दंगाइयों के घर पर बुलडोजर चलने की दशा में घरों से कफ़न बाँध कर निकलने का एलान किया है। ऑपइंडिया ने घटनास्थल बेकनगंज पर जा कर जमीनी पड़ताल की।

6 जून, 2022 को ऑपइंडिया की टीम सुबह लगभग 4 बजे कानपुर सेंट्रल स्टेशन पहुँची। वहाँ हालात सामान्य थे। रिश्ते और ऑटो वाले अलग-अलग स्थानों की सवारियाँ भरने में व्यस्त थे। साथ ही स्टेशन के बाहर चाय की दुकानों पर लोग बातचीत करते नजर आए।

कानपुर सेंट्रल स्टेशन के बाहर का दृश्य

बाहर चौराहे पर पुलिस की तैनाती थी। ढाबे और होटल वाले सुबह की तैयारी में बर्तनों को साफ करते दिखाई दिए। फ़िलहाल तब तक सड़क पर वाहनों की आवाजाही काफी कम थी।

चौराहा और तैनात पुलिसकर्मी

इस टाइम नहीं ले जा सकते बेकनगंज

हमने स्टेशन के बाहर खड़े एक बुजुर्ग रिक्शेवाले से घटनास्थल बेकनगंज चलने के लिए कहा। रिक्शेवाला ने हमें बड़ी हैरानी से देखा और बोला, “वहाँ PAC और पुलिस लगी हुई है। इस टाइम बहुत सवाल-जवाब करेंगे। तुम्हे जाना है तो हम सुबह पहुँचा देंगे। तब तक यहीं रुको। इस टाइम मै नहीं जाऊँगा वहाँ।” स्टेशन से बेकनगंज लगभग 2.5 किलोमीटर था। हम वहीं खड़े रहे। थोड़ी देर बाद वो हमसे आ कर बोला, “20 रुपए लेंगे पर सब्ज़ी मंडी तक ही चलेंगे।” हम तैयार हो गए। सब्ज़ी मंडी घटनास्थल से लगभग 1 किलोमीटर पहले है।

सब्जी मंडी के बाहर खड़े ठेले

रास्ते में हमने रिक्शेवाले से घटना की जानकारी ली तो उसने बताया, “अपनी दुकानों को बंद कर दिया उन्होंने, फिर दूसरों की दुकानों को तोड़ डाला।” बातों ही बातों में हम सब्ज़ी मंडी तक पहुँच गए जो थाना बादशाही नाका के ठीक सामने है। वहाँ चहल-पहल थी। लेकिन बेकनगंज की तरफ से पुलिस के वाहनों का लगातार आना-जाना लगा रहा। मंडी में हमने दुकानदारों से घटना के बारे में जानकारी लेने की कोशिश की पर सभी ने कैमरे पर बोलने से मना कर दिया।

छोटू की चाय की दुकान पर चल रही थी घटना की चर्चा

सब्जी मंदिर के दूसरी दिशा में प्रसिद्ध छोटू चाय वाले हैं। उनकी दुकान पर कई लोग चाय पीने के लिए जमा थे। उनमें से कई लोग बेकनगंज हिंसा पर चर्चा कर रहे थे। उन्ही में से एक ने कहा, “रात में फिर से दबिश पड़ी है। कुछ लोग पकड़े गए।” हमने उनमे से कुछ लोगों से बात की। उनका कहना था, “जहाँ आप खड़े हैं यहाँ तक हिन्दू अच्छी संख्या में रहते हैं। थोड़ी देर बाद आपको लगभग 500 मीटर बाद सड़क पर ही हरी मस्जिद दिखाई देगी। उसके बाद बेकनगंज तक हिन्दू न के बराबर हैं। भीड़ और हमला उसी हरी मस्जिद तक सीमित रहा। इधर उनकी (मुस्लिमों) की आबादी कम है। पुलिस भी लग गई थी इधर। इसलिए यहाँ तक वो (उपद्रवी) नहीं पहुँच पाए।”

छोटू की चाय की दुकान

उन लोगों में से एक अन्य ने कहा, “बाबा (योगी आदित्यनाथ) की सरकार है। इसलिए सब सही रहा।” छोटू टी स्टॉल पर भी हमें अंधेरे में घटनास्थल पर न जाने की सलाह दी गई इसलिए हमने वहीं पर उजाला होने की प्रतीक्षा की।

सड़क के ठीक किनारे है हरी मस्जिद

हिंसा और उपद्रव की जिस सीमा को हरी मस्जिद तक सीमित बताया गया वो हमें आगे चल कर दिखी। मस्जिद सड़क से सटी हुई बनी है। आम लोगों का आवागमन काफी कम दिखा वहाँ पर। रास्ते में जगह-जगह पुलिसकर्मी तैनात दिखे।

हरी मस्जिद

हरी मस्जिद के ठीक सामने ही समाजवादी पार्टी के नेता हाजी जियाउल हक के घर का बोर्ड लगा है। इस इलाके में बिजली के तार काफी अस्त व्यस्त हो कर इस दूसरे को क्रॉस करते दिखाई दिए।

परेड चौराहे पर भारी पुलिस बल तैनात

जिस परेड चौराहे पर भीड़ जमा हुई थी वहाँ भारी पुलिस बल तैनात था। पुलिस के साथ मौके पर एम्बुलेंस खड़ी दिखाई दी। सुबह लगभग 6 बजे के समय पर पुलिस बल को डिप्टी SP रैंक के 2 अधिकारी लीड करते नजर आए। उस क्षेत्र के चौकी प्रभारी सब इंस्पेक्टर नसीम अख्तर के कार्यालय में दोनों अधिकारी बैठे दिखे। PAC की 26 वीं बटालियन का वाहन भी मौके पर दिखा। इस इलाके के ACP मोहम्मद अकमल खान है। साथ ही SHO बेकनगंज का नाम इंस्पेक्टर नवाब अहमद है। साथ ही चौकी प्रभारी का नाम नसीम अख्तर है।

परेड चौराहा पर तैनात पुलिस बल

स्थानीय लोगों से जानकारी मिली कि चौराहे का नाम परेड ग्राउंड ब्रिटिश काल से है। उस जगह पर ब्रिटिश फौजें परेड किया करती थीं। तब से अब तक वही नाम चला आ रहा है।

यतीमखाना के गेट पर फ़ोर्स तैनात

इस पूरे प्रकरण में जिस यतीमखाना का जिक्र लगभग सभी मीडिया रिपोर्ट्स में है, उसका गेट बंद मिला। बाहर पुलिस बल तैनात था। बगल में एक किराने की दूकान खुली थी जिस से कुछ पुरुष खरीदारी कर रहे थे। मौके पर सिर्फ पुलिस और PAC दिखी। पैरामिलिट्री के जवान नहीं दिखाई दिए। यद्यपि इन तमाम तैनात पुलिसकर्मियों और अधिकारियों में से किसी ने भी स्वयं को आधिकारिक बाइट देने के लिए अधिकृत नहीं बताया।

यतीमखाना

यतीमखाना के बारे में लोगों ने बताया कि यहाँ मुस्लिम समुदाय के अनाथ बच्चों को पाला जाता है। एक व्यक्ति ने ऑफ कैमरा बताया, “ये काफी पुराना है। मेरी उम्र लगभग 60 साल है और मैं इसे तब से देख रहा हूँ।’

इस घटना के बारे में स्थानीय लोगों द्वारा दी गई जानकारी हम अपनी अगली रिपोर्ट में प्रकाशित करेंगे।

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राहुल पाण्डेय
राहुल पाण्डेयhttp://www.opindia.com
धर्म और राष्ट्र की रक्षा को जीवन की प्राथमिकता मानते हुए पत्रकारिता के पथ पर अग्रसर एक प्रशिक्षु। सैनिक व किसान परिवार से संबंधित।

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