Monday, November 18, 2024
Homeदेश-समाज'आजीवन कारावास नहीं, सबको फाँसी हो': अहमदाबाद ब्लास्ट में अपने पिता और भाई को...

‘आजीवन कारावास नहीं, सबको फाँसी हो’: अहमदाबाद ब्लास्ट में अपने पिता और भाई को खोने वाले यश, मुश्किल से बची इनकी भी जिंदगी

इस बीच जमीयत उलमा-ए-हिंद ने दोषियों को मौत की सजा का विरोध किया है और कहा है कि जरूरत पड़ने पर वे हाई कोर्ट और यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ेंगे।

26 जुलाई 2008 को 8 साल के यश व्यास अपने 10-11 साल के भाई रोहन और पिता दुष्यंत व्यास के साथ साइकिल चलाना सीखने के लिए घर से बाहर निकले। उन्होंने लगभग 2-3 घंटे साइकिल चलाई। शाम करीब 7:30-7:45 बजे किसी ने उनके पिता को फोन कर सिविल अस्पताल में इंतजार करने को कहा। यश को इसके बारे में ठीक से पता नहीं होता, लेकिन अहमदाबाद सिविल अस्पताल के कैंसर विभाग की प्रयोगशाला में काम करने वाले उनके पिता ने इंतजार किया। 10 मिनट बाद एक एम्बुलेंस आई। उनके पिता ने अपने दो बेटों को साइकिल के साथ इंतजार करने के लिए कहा और एम्बुलेंस में चेक करने चले गए। उसी एक धमाका हुआ।

ऑपइंडिया से बात करते हुए यश ने कहा, “मैं ठीक से नहीं बता सकता कि धमाका एंबुलेंस में हुआ था या वहाँ से गुजरने वाले वाहन में हुआ था, लेकिन विस्फोट इतना शक्तिशाली था कि इसे दो किलोमीटर तक सुना जा सकता था। मेरा भाई साइकिल के साथ खड़ा था और वह इतना जल गया कि उसे पहचानना मुश्किल हो गया। मैं दूसरे रास्ते से भागा, क्योंकि मैं बहुत डरा हुआ था।”

दुष्यंत व्यास और रोहन व्यास

यश घायल अवस्था में अपने घर की ओर भाग रहे थे, लेकिन किसी छात्र या अस्पताल के कर्मी ने उन्हें देखा और अस्पताल में भर्ती कराया। यश ने बताया, “मैंने आखिरी बार अपने पिता को विस्फोट के दिन रात 8:30 बजे देखा था। वे उसे स्ट्रेचर पर ले जा रहे थे। उसके बाद मैं पूरी तरह बेहोश हो गया।” यश के अनुसार, उनके पिता के पैर बुरी तरह घायल हो गए थे और खून की गंभीर कमी के कारण उनकी मौत हो गई थी।

यश बताते हैं कि उन्हें सबसे पहले सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्होंने कहा, “मोदी साहब ने मुझे सबसे अच्छे इलाज का आश्वासन दिया था। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इलाज सुनिश्चित करने के लिए मुझे दुनिया के किसी भी हिस्से के किसी भी अस्पताल में भर्ती कराने के लिए तैयार है। फिर मुझे अपोलो अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया, जहाँ मैं तीन महीने तक आईसीयू में रहा और एक महीना आईसीयू के बिताया। अपोलो के डॉ श्रीकांत लगवंकर और डॉ ज्योतिंद्र कौर ने मेरा बहुत ख्याल रखा।”

यश ने कहा कि 1.62 करोड़ रुपये का बिल राज्य सरकार ने भरा। इसके अलावा परिवार को मुआवजा भी दिया गया। इस ब्लास्ट के दोषियों को हाल ही में दी गई मौत की सजा पर व्यास कहते हैं, “उन्हें बहुत पहले फाँसी दे दी जानी चाहिए थी। उन्होंने बेगुनाह लोगों की हत्या की है तो उन्हें क्यों बख्शा जाए। आजीवन कारावास उनके किसी काम का नहीं है।”

एक दशक से अधिक समय के बाद मिले न्याय की भावुक स्थिति उनकी आवाज़ में झलक रही थी। उन्होंने बताया, “मुझे कभी-कभी सुनने में कठिनाई होती है, क्योंकि विस्फोट की आवाज़ बहुत तेज़ थी।” उनके और उनकी माँ एवं दादी के लिए यह स्वीकार करना बहुत कठिन था कि उनका जीवन हमेशा के लिए बदल गया, लेकिन धैर्य बनाए रखे। उन्होंने अपने भाई और पिता को अपनी आँखों के सामने मरते देखा था।

इन सब घटनाओं को अपनी आँखों के सामने होते देखने के बावजूद यश ने हिंसा का रास्ता अपनाने के बजाय खुद को शिक्षित करने का विकल्प चुना। यश बी.एस-सी. (विज्ञान में स्नातक) कर रहे हैं और रसायन विज्ञान में परास्नातक कर ‘प्रयोगशाला’ जैसी किसी जगह पर नौकरी करना चाहते हैं।

इस बीच जमीयत उलमा-ए-हिंद ने दोषियों को मौत की सजा का विरोध किया है और कहा है कि जरूरत पड़ने पर वह हाईकोर्ट और यहाँ तक कि सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ेगा।

अहमदाबाद की एक विशेष अदालत ने 18 फरवरी 2022 को 2008 के अहमदाबाद बम विस्फोट मामले में सजा की घोषणा की। अपने फैसले में अदालत ने इस मामले में दोषी ठहराए गए 49 आरोपियों में से 38 दोषियों को मौत की सजा सुनाई, जबकि शेष 11 को मृत्यु तक आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। कानून के अनुसार, मौत की सजा की पुष्टि गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा की जानी है। इसके पहले भी जमीयत उलमा-ए-हिंद इस्लामिक आतंकियों को कानूनी सहायता पहुँचाता रहा है।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

Nirwa Mehta
Nirwa Mehtahttps://medium.com/@nirwamehta
Politically incorrect. Author, Flawed But Fabulous.

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

भीड़ ने घर में घुस माँ-बेटी को पीटा, फाड़ दिए कपड़े… फिर भी 2 दिन तक पीड़िताओं की कर्नाटक पुलिस ने नहीं सुनी: Video...

कर्नाटक के बेलगावी में एक महिला और उसकी बेटी पर वेश्यावृत्ति का आरोप लगाकर भीड़ ने उन्हें पीटा और निर्वस्त्र भी किया।

झारखंड में ‘वर्ग विशेष’ से पत्रकार को भी लगता है डर, सवाल पूछने पर रवि भास्कर को मारने दौड़े JMM कैंडिडेट निजामुद्दीन अंसारी: समर्थकों...

झारखंड से JMM प्रत्याशी निजामुद्दीन अंसारी ने पत्रकार रवि भास्कर पर हाथ उठाने की कोशिश की और उनके समर्थकों ने पीछे पड़कर उनका माइक तोड़ डाला।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -